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सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के रुख से झूमी रामनगरी, पुनर्विचार याचिका से इंकार को संतों ने बताया राष्ट्रीयता की जीत

सुन्नी वक्फ बोर्ड नहीं दायर करेगा पुर्नविचार याचिका फैसले पर अयोध्या के लोगों ने जताई खुशी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 05:01 PM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 08:46 AM (IST)
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के रुख से झूमी रामनगरी, पुनर्विचार याचिका से इंकार को संतों ने बताया राष्ट्रीयता की जीत
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के रुख से झूमी रामनगरी, पुनर्विचार याचिका से इंकार को संतों ने बताया राष्ट्रीयता की जीत

अयोध्या, जेएनएन। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के रुख से रामनगरी झूम उठी। इसी नौ नवंबर को रामलला के हक में सुप्रीम फैसला आने के बाद खुशी से लबरेज रामनगरी तब सकते में आ गई थी, जब मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का एलान किया पर मंगलवार को मस्जिद की दावेदार एक अन्य महत्वपूर्ण संस्था सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने से इंकार कर रामनगरी को नए सिरे से झूमने का मौका दे दिया।

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रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं शीर्ष पीठ मणिरामदास जी की छावनी के महंत नृत्यगोपालदास ने कहा, यह अत्यंत गौरवपूर्ण क्षण है और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के रुख से यह स्पष्ट हो रहा है कि न केवल सुप्रीमकोर्ट बल्कि पूरा देश रामंदिर के हक में खड़ा हो रहा है। संतों की नुमाइंदगी करने वाली संस्था रामानंद संप्रदाय के प्रमुख जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य के अनुसार वस्तुत: यह राष्ट्रीयता की जीत है और सुप्रीम फैसला स्वीकार करने के लिए मुस्लिम पक्ष बधाई का पात्र है तथा उनके प्रति जितनी भी कृतज्ञता अर्पित की जाय कम है।

रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास ने कहा, निर्णय आने के साथ ही यह स्पष्ट होने लगा था कि देश के आम मुस्लिमों ने उसे खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया है और अब सुन्नी मुस्लिमों की नुमाइंदगी करने वाली संस्था ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने से इंकार कर स्पष्ट कर दिया है कि इस देश में अलगाव-दुराव के लिए कोई स्थान नहीं है। अदालत में राममंदिर की पैरोकारी करते रहे पौराणिक महत्व की पीठ नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास ने कहा, नौ नवंबर को न्याय प्रतिष्ठित हुआ और आज राष्ट्रीय एकता-अखंडता प्रतिष्ठित हुई है, इसके लिए मुस्लिमों की जितनी भी प्रशंसा की जाय कम है।

राममंदिर के लिए सदियों से संघर्ष करने वाले निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्रदास के अनुसार सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का यह रुख अत्यंत सुखद है, वे निर्णय आने से पूर्व फैसले को स्वीकार करने का एलान करते रहे और अब उसे स्वीकार कर यह जता दिया कि वे सांप्रदायिक भेद-भाव से ऊपर देश के जिम्मेदार नागरिक हैं। विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, यह दौर विवाद से ऊपर उठकर सृजन-संवाद का है और मुस्लिम पक्ष ने इस सच्चाई को समझा, इसके लिए हम बतौर भारतवासी उनके प्रति अत्यंत कृतज्ञ हैं। 

विवाद छोड़ मुल्क की तरक्की के लिए आगे बढ़ें : इकबाल

मस्जिद के स्थानीय पक्षकार मो. इकबाल उन लोगों में रहे हैं, जिन्होंने सबसे पहले खुले दिल से फैसले का स्वागत किया। यह ङ्क्षचता किए बगैर कि वे अपने समुदाय में अलग-थलग पड़ सकते हैं। हालांकि फैसले को लेकर देश के किसी भी कोने में कोई अप्रिय घटना न होने से उनके रुख की नैतिकता स्वत: परिभाषित होती रही। मंगलवार को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का निर्णय एक प्रकार से उनकी जीत तय करने वाला सिद्ध हुआ। इकबाल ने कहा, यह समझ में आना स्वागतयोग्य है कि विवाद छोड़कर मुल्क की तरक्की के लिए आगे बढऩा चाहिए। 

सुन्नी बोर्ड के निर्णय पर मैं क्या कहूं : हाजी

पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के लिए पहले ही सुप्रीमकोर्ट जाने का एलान कर चुके मस्जिद के एक अन्य स्थानीय पक्षकार हाजी महबूब ने कहा कि पुनर्विचार याचिका न दाखिल करने का निर्णय सुन्नी बोर्ड का है, हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। जहां तक मेरी बात है, मैं पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के निर्णय पर आज भी कायम हूं।


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