खुशियों में डूबे देश की सुंदर तस्वीर दिखा रही रामनगरी Ayodhya News
अयोध्या में भक्ति के रंग से न्यास कार्यशाला के पत्थरों पर दिख रहा हर्षित भारत का भित्ति चित्र।
अयोध्या [आशुतोष मिश्र]। सुबह के करीब साढ़े सात बज रहे हैं। मानस भवन के बाहर चौतरफा भजनों की गूंज सुनाई दे रही है। एक साथ कई सुर-ताल। कुछ गीतों के बोल समझ आ रहे हैं तो कुछ बस गीत होने का अहसास करा पा रहे हैं। सामने भक्तों की कई टोलियांदिख रही हैं। बिल्कुल कानों में पड़ते गीतों की तरह, भिन्न-भिन्नमगर भाव एक...भक्ति। वही भक्ति, जिसकी शक्ति से अयोध्या के राजा हनुमंतलाल रामनगरी का कल्याण करते हैं। वही भक्ति, जिसके प्रवाह से कल-कल नाद करती सरससलिला सरयू हमें जीवन प्रसाद देती है। राम नाम की तूलिका के साथ भक्ति का यही रंग न्यास कार्यशाला के पत्थरों पर हर्षित भारत का भित्ति चित्र खींच रहा है।
विश्वनाथ प्रसाद, शांति देवी, कपीशआदि सहित बिहार के बेतिया से आई करीब 50 भक्तों की टोली नंगे पांव न्यास कार्यशाला से हनुमान गढ़ी के लिए निकली है। ऐसी तमाम सारी टोलियां रास्ते भर में मिलती हैं। मैले-कुचैले कपड़े उनके अभावग्रस्त जीवन की चुगली करते हैं लेकिन, चमकते चेहरे उनके हर्षित मन की गवाही देते हैं। हनुमान गढ़ी के पास भोजनालयचलाने वाले अचल गुप्ता इन चेहरों की प्रसन्नता निहारकर खुश हैं। फैसले के बाद यहां भक्तों की संख्या दोगुनी हो चुकी है। ऐसे में दुकान का मुनाफा भी बढ़ गया है।
वेणु गोपाल, शांता कुमारी आदि भक्तों की टोली आंध्र प्रदेश से आई है। टोली अभी मंदिर निर्माण की तैयारियां ही निहार पाई है। रामलला और हनुमंतलाल का दर्शन बाकी है। टोली अब इसी के लिए चल पड़ी है। अभी तक की अनुभूति पूछते ही वेणु सहित कई लोग एक साथ बोल पड़ते हैं... अद्भुत। मगन मन और पुलकित तन के साथ ऐसे अनगिनत भक्त रामजन्मभूमि तक की राह में मिलते हैं।
अगला पड़ाव सरयू है। सामने रश्मिरथी की किरणों से नहाई राम की पैड़ी पर नहाती बच्ची की हंसी ध्यान खींच लेती है। किरणों से चमकता सरयू का जल और मासूम की खिलखिलाहट माहौल में व्याप्त प्रसन्नता का अहसास करा रही है। चंद कदम दूर नयाघाट है। यहां पंडेअपने तख्त और आसपास साफ-सफाई कर रहे हैं। भक्त स्नान-ध्यान, आचमन और पूजन। तीन दर्जन से ज्यादा मोटरबोट एक के बाद एक खुशियों के शोर से सरयू के शांत जल को स्पंदित कर दे रही हैं। भगवानदीन मांझी भी खुश हैं। फैसला आने के बाद मोटरबोट पर सवारी करने वालों की संख्या दोगुनी नहीं तो डेढ़ गुनी, हुई ही है। देश के कोने-कोने से आ रहे भक्त यहां नौकायन करते दिख जाते हैं। लगता है मानो पूरी अयोध्या एक कैनवॉस हो गई है, जिस पर खुशी में डूबे देश की सुंदर तस्वीर बन रही है