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Ayodhya Case Verdict 2019 : मुस्लिम उलमा ने की लोगों से अपील, फैसला जो भी हो खुले दिल से करें इस्तकबाल

Ayodhya Case Verdict 2019 कोर्ट के फैसले से मुस्लिम उलमा ने अमन का पैगाम देकर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 09:25 AM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 09:45 AM (IST)
Ayodhya Case Verdict 2019 : मुस्लिम उलमा ने की लोगों से अपील, फैसला जो भी हो खुले दिल से करें इस्तकबाल
Ayodhya Case Verdict 2019 : मुस्लिम उलमा ने की लोगों से अपील, फैसला जो भी हो खुले दिल से करें इस्तकबाल

लखनऊ, जेएनएन। चंद घंटे बाद वर्षों से चले आ रहे विवाद का अंत होगा। देश की सर्वोच्च अदालत शनिवार को अपना फैसला सुनाएगी। कोर्ट के फैसले से मुस्लिम उलमा ने अमन का पैगाम देकर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का खुले दिल से इस्तकबाल करें। कोर्ट के फैसले का सम्मान करना हर देशवासी का फर्ज है। मंदिर-मस्जिद से ज्यादा इंसान की जान कीमती है। ऐसा कोई काम न करें जिससे दूसरे की धार्मिक भावनाएं आहत हो। अमन बनाए रखना हर इंसान के लिए जरूरी है।

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उपाध्यक्ष मौलाना डॉ. कल्बे सादिक का कहना है कि जिस तरह मुसलमानों के लिए मस्जिद अहम है, उसी तरह हिंदुओं के लिए मंदिर, लेकिन मंदिर-मस्जिद से ज्यादा इंसान की जान ज्यादा कीमती है। फैसला हक में हो या खिलाफ कोई भी ऐसा काम या बयान न दे, जिससे नफरत बढ़े। हमें हर हाल में अमन कायम रखना होगा। आसिफी मस्जिद इमाम-ए-जुमा मौलाना कल्बे जवाद के मुताबिक, कोर्ट के फैसले का सम्मान करें। कोई प्रतिक्रिया न दें। फैसला हमारे हक में हो या खिलाफ। खुले दिल से उसका इस्तकबाल करें। इसी में हमारी और हमारे देश की भलाई है। हिंदू-मुसलमानों को एक-दूसरे के जज्बातों का ध्यान रखना चाहिए।

लखनऊ ऐशबाग ईदगाह के ईमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आए, उसका एहतराम करें। किसी किस्म की नारेबाजी या जश्न ना मनाएं। दूसरे की धार्मिक भावनाओं की कद्र करें। युवा सोशल मीडिया पर कोई भी पोस्ट न डाले। ऐसा कोई काम न करें जिससे गलत पैगाम जाए। शिया मरकजी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास का कहना है कि हर देशवासी को सम्मान के साथ देश की सर्वोच्च अदालत के फैसले को स्वीकार्य करना चाहिए। फैसले आते रहते हैं, लेकिन हमारे मुल्क की पहचान गंगा-जमुनी तहजीब बनी रहनी चाहिए। जिसके भी हक में फैसला आए वह दूसरों की धार्मिक भावनाओं को आहत न करें।


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