Move to Jagran APP

Ayodhya Case: वेदांती बोले-कोर्ट का फैसला स‍िर माथे, सुप्रीमकोर्ट ने पहले ही साफ कर द‍िया वहां मस्‍ज‍िद नहीं थी

Ayodhya Case शिवसेना- पूर्वी उत्तरप्रदेश के प्रमुख संतोष दुबे ने कहा 30 सितंबर को जो भी फैसला आएगा वह सिर माथे पर होगा। अयोध्या ढांचा ध्वंस मामले में 30 सितंबर को आएगा फैसला।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 07:48 PM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 06:03 AM (IST)
Ayodhya Case: वेदांती बोले-कोर्ट का फैसला स‍िर माथे, सुप्रीमकोर्ट ने पहले ही साफ कर द‍िया वहां मस्‍ज‍िद नहीं थी
Ayodhya Case: वेदांती बोले-कोर्ट का फैसला स‍िर माथे, सुप्रीमकोर्ट ने पहले ही साफ कर द‍िया वहां मस्‍ज‍िद नहीं थी

अयोध्या, जेएनएन। विवादित ढांचा ढहाए जाने के आरोपी पूर्व सांसद डॉ. रामविलासदास वेदांती ने 30 सितंबर को फैसला आने की तारीख तय होने के बाद अपना रुख स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा, छह दिसंबर 1992 को जो ढांचा ढहाया गया, वह मस्जिद का नहीं था। राम मंदिर मामले में सुप्रीमकोर्ट का फैसला आने के बाद यह और स्पष्ट हो गया है। वेदांती के मुताबिक वह प्राचीन मंदिर था और रामलला उसमें विराजमान थे और उसका तोड़ा जाना जर्जर मंदिर की जगह नया मंदिर बनाने के उद्देश्य से था। ढांचा ढहाए जाने के एक अन्य आरोपी एवं शिवसेना- पूर्वी उत्तरप्रदेश के प्रमुख संतोष दुबे ने कहा, 30 सितंबर को जो भी फैसला आएगा, वह सिर माथे पर होगा। हम सौभाग्यशाली हैं कि आज मंदिर का निर्माण होते देख पा रहे हैं। 

loksabha election banner

अयोध्या के ढांचा ध्वंस मामले का फैसला सीबीआइ की विशेष अदालत तीस सितंबर को सुनाएगी। इस मामले में 6 दिसंबर 1992 को कुल 50 एफ आई आर दर्ज हुई। जिसकी तीन जांच एजेंसियों ने मिलकर विवेचना की। कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इस प्रकरण में 30 सितंबर तक फैसला देना था। इस समय विशेष अदालत में 32 आरोपितों के विरुद्ध विचारण हो रहा है जबकि 17 आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है। सीबीआइ ने कई चरणों में आरोप पत्र दाखिल कर अभियोजन पक्ष को साबित करने के लिए 994 गवाहों की सूची अदालत में दाखिल की। जिसमें विचारण के दौरान 354 गवाह पेश किए गए। मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव ने फैसले के दिन सभी आरोपितों को अदालत में उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं।

इस मामले से जुड़े अधिवक्ता केके मिश्र ने बताया कि अयोध्या ढांचा ध्वंस मामले की पहली रिपोर्ट (197/92) इंस्पेक्टर राम जन्मभूमि प्रियंवदा नाथ शुक्ला ने थाना राम जन्म भूमि पर 40 लोगों को नामजद करते हुए लाखों अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ दर्ज कराई थी। जबकि इसी दिन दूसरी रिपोर्ट (198/92) चौकी इंचार्ज राम जन्मभूमि जीपी तिवारी ने अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ दर्ज कराई थी। इसके अलावा 48 रिपोर्टें मीडिया कर्मियों की ओर से दर्ज कराई गई।

इस मामले की जांच कर रही सीबीआइ ने अपराध संख्या 197/92 की विवेचना करते हुए 40 आरोपितों के विरुद्ध 4 अक्टूबर 1993 को विशेष अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट( अयोध्या प्रकरण) लखनऊ के समक्ष आरोप पत्र दाखिल किया। जिसमें बालासाहेब ठाकरे ,लालकृष्ण आडवाणी ,कल्याण सिंह ,अशोक सिंघल ,विनय कटियार, मोरेश्वर सावे ,पवन पांडे ,बृजभूषण, शरण सिंह ,जय भगवान गोयल, उमा भारती ,साध्वी ऋतंभरा, महाराज स्वामी साक्षी ,सतीश प्रधान ,मुरली मनोहर जोशी, गिरीराज किशोर ,विष्णु हरि डालमिया ,विनोद कुमार वत्स, रामचंद्र खत्री, सुधीर कक्कर, अमरनाथ गोयल ,संतोष दुबे, प्रकाशशर्मा ,जय भान सिंह पवैया ,धर्मेंद्र सिंह गुर्जर ,राम नारायण दास ,रामजी गुप्ता, पूर्व विधायक लल्लू सिंह ,चंपत राय बंसल ,ओम प्रकाश पांडे, लक्ष्मी नारायण दास महा त्यागी ,विनय कुमार राय ,कमलेशत्रिपाठी ,गांधी यादव ,हरगोविंद सिंह ,विजय बहादुर सिंह ,नवीन भाई शुक्ला, रमेश प्रताप सिंह, आचार्य धर्मदेव आरएन श्रीवास्तव एवं देवेंद्र बहादुर राय को आरोपित बनाया गया था।

इसी दौरान राज्य सरकार ने केस की अग्रिम विवेचना सीबीआइ से कराने के लिए संस्तुति केंद्र सरकार से कर दी। सीबीआइ ने 27 अगस्त 1993 को जांच शुरू की। 24 जनवरी 1994 को रायबरेली की कोर्ट में सीबीआइ ने एक अनुरोध किया कि इस प्रकरण से संबंधित दूसरा मामला लखनऊ की विशेष अदालत में चल रहा है लिहाजा इस मामले को भी लखनऊ की विशेष अदालत को स्थानांतरित कर दिया जाए। जिस पर विशेष अदालत ने जिला जज रायबरेली को सूचित करते हुए मामले को लखनऊ की अदालत भेज दिया।

उच्चतम न्यायालय के 19 अप्रैल 2017 के निर्णय के उपरांत पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को छोड़कर अन्य आरोपितों ने लखनऊ की विशेष अदालत में हाजिर होकर अपनी जमानत कराई। उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा था कि आरोपित कल्याण सिंह मौजूदा समय में राजस्थान राज्य के राज्यपाल के पद पर हैं तथा संविधान के अनुच्छेद 360 के अंतर्गत पद पर रहने के दौरान उनके विरुद्ध अदालती कार्यवाही नहीं की जा सकती । राज्यपाल पद से हटने के बाद उनके हाजिर होने पर सभी आरोपितों के साथ साथ उनके विरुद्ध भी अदालती कार्यवाही प्रारंभ की गई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.