कैश वैन लूट कांड: 23 घटे बाद मिला बेटे का शव, पिता बोला-सुरक्षा में चूक से छिन गया बुढ़ापे का सहारा
रात 12 बजे पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा कैशवैन लूट में मारे गए गार्ड का शव। मंगलवार को तीन बजे के करीब घरवालों को मिला।
लखनऊ (जागरण संवाददाता)। राजभवन के पास कैश वैन लूटकर सुरक्षा गार्ड इंद्रमोहन की हत्या के मामले में उसके पिता मुंशीलाल यादव को सिस्टम से भरोसा उठ चुका है। सीतापुर संदना निवासी मुंशीलाल को बेटे का शव लेने में 23 घटे लग गए, शव मिलते ही वह उसके लिपटकर रोने लगे। सोमवार को पौने चार बजे गार्ड की हत्या के बाद सिविल अस्पताल से पोस्टमार्टम हाउस रात 12 बजे शव पहुंचा, मंगलवार (31 जुलाई) को तीन बजे के करीब शव घरवालों को मिल सका। मुंशीलाल ने एक हाथ से अपने आसू पोंछे और दूसरे से उंगली उठाते हुए बेटे के शव की ओर इशारा कर कहा मैं गरीब हूं इसलिए बेटे का शव देर से मिला। बुढ़ापे का सहारा था, लेकिन सुरक्षा में चूक से बेटे की हत्या ने बेसहारा बना दिया।
परिवार का था इकलौता सहारा:
इंद्रमोहन ने सालभर पहले ही कंपनी में नौकरी शुरू की थी। उसके परिवार में पिता मुंशीलाल के अतिरिक्त, पत्नी लक्ष्मी व चार बेटे विमलेश, संजय, रवींद्र, सत्येंद्र हैं। इंद्रमोहन अपने परिवार की कमाई का इकलौता सहारा थे, उनकी हत्या के बाद घरवालों का बुरा हाल है। कंपनी की ओर से सिर्फ बीस हजार की मदद:
एसआइपीएल (सिक्योरिट्रास इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) कंपनी की ओर से गार्ड के पिता मुंशीलाल को सिर्फ बीस हजार की आर्थिक मदद दी। कंपनी का कर्मचारी राजकुमार पैसे लेकर पहुंचा था।
अप्रशिक्षित गार्डो की कैश वैन के साथ लगा रहे ड्यूटी:
कैश वैन के साथ ऐसे गार्डो की ड्यूटी लगाई जा रही है, जिन्हें बंदूक चलाने का ठीक से प्रशिक्षण तक नहीं है। हसनगंज, सरोजनीनगर समेत अन्य स्थानों पर पूर्व में एटीएम कैश वैन से लूट के बाद गार्ड की हत्याओं के मामले में पहले भी यह बात सामने आ चुकी है। अब राजभवन के पास गार्ड की हत्या के बाद इसका मुद्दा उठा है। पुलिस अफसरों के मुताबिक, कैश वैन में ऐसे प्रशिक्षित सुरक्षा गार्डो की ड्यूटी लगाई जाए, जो वक्त आने पर लुटेरों का सामना कर सकें। सुरक्षा गार्ड इंद्रमोहन का कंपनी ने नहीं कराया था कोई बीमा:
कंपनी के कर्मचारी राजकुमार ने बताया कि इंद्रमोहन का कंपनी की ओर से कोई बीमा तक नहीं था। बीमा होता तो घरवालों को मोटी आर्थिक मदद मिल सकती थी। गार्ड कम वेतन में जान जोखिम में डालकर नौकरी कर रहा था, बावजूद इसके कंपनी ने उसका बीमा तक नहीं कराया, इससे लापरवाही भी सामने आई है।