सावधान! जानलेवा हो सकती है खर्राटों की समस्या, जानिए इसके कारण और निजात पाने के तरीके
Snoring Problem लोहिया संस्थान ईएनटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. मोहित सिन्हा ने बताया कि आमतौर पर यह समस्या 40 से 60 वर्ष की आयु में होती है लेकिन अब तो युवाओं और किशोरों में भी खर्राटे लेने की समस्या सामने आ रही है।
लखनऊ, [आशुतोष दुबे]। आप बहुत गहरी नींद में सोए थे, मैंने आपके खर्राटे सुने...किसी ने आपसे ऐसा कहा तो सचेत हो जाइए। खुद के खर्राटा लेने की बात हो, चाहे घर पर बच्चे या स्वजन के खर्राटे की आवाज। यह सुकून भरी नींद नहीं, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य विकार का संकेत है और यह जानलेवा हो सकता है। हृदयाघात, कैंसर, नपुंसकता जैसी तमाम स्वास्थ्य समस्याओं के मूल में गूंजते इन खर्राटों का निदान अब शहर के राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान में संभव है। जहां एक माह पहले ही इलाज के 'स्लीप एप्निया' की ओपीडी शुरू की गई है।
लोहिया संस्थान ईएनटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. मोहित सिन्हा ने बताया कि आमतौर पर यह समस्या 40 से 60 वर्ष की आयु में होती है, लेकिन अब तो युवाओं और किशोरों में भी खर्राटे लेने की समस्या सामने आ रही है। देशभर में 15 फीसद लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। यह डिस्डआर्डर महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में दोगुणा है। उनका कहना है कि विशेषज्ञ मानते हैं कि लोगों में एक भ्रामक धारणा यह भी है कि खर्राटे गहरी नींद के कारण आते हैं, लेकिन सच तो यह है कि खर्राटों से व्यक्ति ठीक से अपनी नींद पूरी नहीं कर पाता।
बच्चे के विकास पर प्रतिकूल प्रभावः डा. मोहित का कहना है कि पिछले एक माह में 100 में से 15 बच्चों में खर्राटे लेने की समस्या सामने आ रही है, जो आगे चलकर दिक्कत पैदा करेगी। शोध में पाया गया है कि खर्राटे लेने वाले बच्चे पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते। इसके कारण उनके नंबर कम आते हैं। ऐसे बच्चे खानपान की बजाय सोने पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
हो सकती है ये बीमारियांः डाक्टर का कहना है कि समय पर इलाज न कराने से गले का आपरेशन किया जाता है। यदि समस्या बहुत ज्यादा ही गंभीर हो तो गले में ट्रेकिया में छेद कर मरीज को राहत दी जाती है। इसके अलावा खर्राटे लेने वाले व्यक्ति को ओबेसिटी (मोटापा), अस्थमेटिक्स डायबिटिक्स (मधुमेह रोगियों), हाइपरटेशन (उच्च रक्तचाप), कार्डियक फेलियर (हृदय विफलता) और ब्रेन स्ट्रोक (मस्तिष्क आघात) जैसी गंभीर परेशानियां हो सकती है।