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Pandit Birju Maharaj: कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज की अस्थियां गोमती में विसर्जित

पद्मविभूषण पंडित बिरजू महाराज के बड़े बेटे अस्‍थ‍ि कलश अपने हाथों में लेकर महाराज की जन्मस्थली ड्योढ़ी पहुंचे थे। उनके साथ में महाराज के पोते त्रिभुवन महाराज बहू रजनी महाराज पोती रागिनी महाराज कनु महाराज और प्रमुख शिष्या शाश्वती सेन भी साथ आईं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 11:11 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 11:11 PM (IST)
Pandit Birju Maharaj: कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज की अस्थियां गोमती में विसर्जित
पंडित बिरजू महाराज का अस्थि कलश शुक्रवार को लखनऊ में उनके पैतृक आवास कालका बिंदादीन ड्योढ़ी लाया गया।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज का अस्थि कलश शुक्रवार को दिल्ली से लखनऊ में उनके पैतृक आवास कालका बिंदादीन ड्योढ़ी लाया गया। ड्योढ़ी पर अस्थि कलश के अंतिम दर्शन के बाद अस्थियों को गोमती में विसर्जित किया गया। बीती 17 जनवरी को हार्ट अटैक से महाराज जी का दिल्ली में निधन हो गया था। दिल्ली में ही उनका अंतिम संस्कार किया गया था। बेटे पंडित दीपक महाराज ने बताया कि पिता पंडित बिरजू महाराज को कुछ दिन पूर्व डायलिसिस के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था, तभी अपनी छोटी बहू आरती से उन्होंने कहा था कि मुझे कुछ हो जाए, तो मेरी अस्थियां मेरे जन्मस्थान, मेरे घर जरूर ले जाना। उसके बाद गोमती और बनारस में मां गंगा के चरणों मे विसर्जित करना । उनकी उसी अंतिम इच्छानुसार दो अस्थि कलश लखनऊ लाए गए।

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पद्मविभूषण पंडित बिरजू महाराज के बड़े बेटे जय किशन महाराज कलश अपने हाथों में लेकर महाराज की जन्मस्थली ड्योढ़ी पहुंचे थे। उनके साथ में महाराज के पोते त्रिभुवन महाराज ,बहू रजनी महाराज, पोती रागिनी महाराज ,कनु महाराज और प्रमुख शिष्या शाश्वती सेन भी साथ आईं। बहन मुन्नी देवी ड्योढ़ी पर ही रहती हैं, भाई किशन महाराज भी बनारस से आए थे। ड्योढी पर रखे अस्थि कलश को अंतिम प्रणाम करने के लिए संगीत जगत से जुड़े तमाम लोग पहुंचे।

लोक गायिका मालिनी अवस्थी, नृत्यांगना सुरभि सिंह, पूर्णिमा पांडे, मीरा दीक्षित, अनुज मिश्रा, हिमांशु , रेणु शर्मा, उमा त्रिगुणायत, बीना सिंह, रविनाथ मिश्रा, मनीषा मिश्रा, ज्योति किरन आदि ने पुष्पांजलि अर्पित की। सभी ने ड्योढ़ी से ही भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों से ही महाराज जी को भारत रत्न सम्मान दिए जाने की मांग भी की । ड्योढ़ी से निकलकर महाराज जी की कलश यात्रा चौक स्थित कुड़ियाघाट ले जाई गई, जहां विधिपूर्वक पूजन के बाद गोमती में एक कलश का विसर्जन किया गया । ड्योढ़ी से लेकर कुड़ियाघाट तक तमाम कला प्रेमियों ने प्रभु भजन गाकर नृत्य सम्राट को विदा किया ।


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