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प्रतिबंध का विरोध: प्लास्टिक कैरीबैग विक्रेता बंद रखेंगे दुकानें

पॉलीथिन व प्लास्टिक पर प्रतिबंध के विरोध में उत्तर प्रदेश प्लास्टिक टे्रड वेलफेयर एसोसिएशन ने शुक्रवार से अनिश्चितकालीन बंदी की घोषणा की है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 09:29 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 12:29 PM (IST)
प्रतिबंध का विरोध: प्लास्टिक कैरीबैग विक्रेता बंद रखेंगे दुकानें
प्रतिबंध का विरोध: प्लास्टिक कैरीबैग विक्रेता बंद रखेंगे दुकानें

लखनऊ (जेएनएन)। पॉलीथिन व प्लास्टिक पर प्रतिबंध के विरोध में उत्तर प्रदेश प्लास्टिक टे्रड वेलफेयर एसोसिएशन ने शुक्रवार से अनिश्चितकालीन बंदी की घोषणा की है। यानी शुक्रवार 20 जुलाई से प्रदेश में स्थित पॉलीथिन निर्माण की करीब दो हजार फैक्ट्रियों में प्रोडक्शन ठप हो जाएगा। साथ ही 10 से 12 हजार ट्रेडर्स अपनी दुकानें बंद रखेंगे। व्यापारी पॉलीथिन के साथ ही पैकिंग मैटीरियल भी नहीं बेचेंगे। 

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दरअसल, प्रदेश सरकार ने पॉलीथिन, प्लास्टिक व थर्मोकोल पर चरणवार ढंग से प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। पहले चरण में 15 जुलाई से 50 माइक्रोन तक के प्लास्टिक कैरीबैग प्रतिबंधित किए गए हैं। दूसरे चरण में 15 अगस्त से प्लास्टिक व थर्मोकोल के कप, प्लेट, ग्लास, चम्मच आदि प्रतिबंधित होंगे। तीसरे चरण में दो अक्टूबर से सभी प्रकार के प्लास्टिक कैरीबैग प्रतिबंधित होने हैं।

इसी का सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है। प्लास्टिक विक्रेता पूरी तरह से कैरीबैग बंद किए जाने के खिलाफ हैं। प्लास्टिक ट्रेड वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रवि जैन ने बताया कि शुक्रवार को सभी व्यापारी अनिश्चितकालीन बंदी शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि जब मल्टी नेशनल कंपनियों के उत्पादों की प्लास्टिक की पैकिंग पर कोई प्रतिबंध नहीं है तो छोटे व्यापारियों को क्यों सताया जा रहा है। केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना में भी केवल 50 माइक्रोन तक के कैरीबैग प्रतिबंधित किए गए हैं। इसलिए प्रदेश सरकार को भी पतली पॉलीथिन कैरीबैग प्रतिबंधित करने चाहिए। सरकार हमारी मांग सुन नहीं रही है। यदि हमारी मांग न मानी गई तो राजधानी में बड़ी रैली करेंगे। 

पैकिंग मैटीरियल बंद होने से छोटे उद्योगों पर पड़ेगा असर 

प्लास्टिक ट्रेड वेलफेयर एसोसिएशन की अनिश्चितकालीन बंदी से सबसे ज्यादा असर छोटे उद्योगों पर पड़ेगा। इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित ब्रेड, दालमोठ, रस, पाव, बिस्कुट आदि छोटे उद्योग होंगे। लखनऊ में ही ब्रेड व रस की करीब दो हजार फैक्ट्रियां हैं। दालमोठ, बिस्कुट आदि की भी करीब एक हजार से अधिक फैक्ट्रियां हैं। हालांकि यह असर तीन-चार दिन बाद नजर आएगा। 


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