Lakhimpur Kheri Violence: राजनीति की सीढ़ी पर चढ़ने से पहले ही फिसले अंकित दास, समाजसेवक की छवि को लगा ग्रहण
लखनऊ के रसूखदार ठेकेदार अंकित दास राजनीति में भी अपना हाथ आजमाना चाहते थे। जिसके लिए वह भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता के साथ रहकर कदम दर कदम सियासत की सीढ़ियां चढ़ने लगे थे। भाजपा का शायद कोई ऐसा कार्यक्रम होता जिसमें अंकित दास की होर्डिंग नजर नहीं आती।
लखीमपुर, जागरण संवाददाता। लखनऊ के रसूखदार ठेकेदार अंकित दास राजनीति में भी अपना हाथ आजमाना चाहते थे। जिसके लिए वह भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता के साथ रहकर कदम दर कदम सियासत की सीढ़ियां चढ़ने लगे थे। भारतीय जनता पार्टी का शायद ही कोई ऐसा कार्यक्रम होता जिसमें अंकित दास की होर्डिंग्स नजर नहीं आती। वह हर जगह खुद को समाजसेवी दर्शाते हुए एक भाजपा नेता का खुद को नजदीकी भी दिखाते थे। इन्हीं सब रिश्तों को लेकर बनवीरपुर में हुए दंगल में लाव लश्कर के साथ इनकी मौजूदगी अंकित दास के लिए मुसीबत बन बैठी।
सूत्रों के मुताबिक एसआइटी की गिरफ्त में आए आरोपितों में से एक ने ये पूरी कहानी पुलिस को बताई है कि अंकित दास वहां कब और कैसे पहुंचे। उसने ये भी बताया कि अंकित दास के काफिले में कौन-कौन लोग उनके लखनऊ स्थित आवास से 30 सितंबर को लखीमपुर के लिए रवाना हुए और पुलिस को दिए गए बयानों में ये बात भी सामने आई कि तीन अक्टूबर को दंगल में शामिल होने के लिए अंकित दास फार्चूनर गाड़ी से अपने ड्राइवर, गनर व दो अन्य लोगों के साथ सुबह ही लखीमपुर से बनवीरपुर दंगल के लिए रवाना हो गए।
बताया जाता है कि घटना वाले दिन दोपहर करीब डेढ़ बजे एक छोटी कार पर सवार कुछ लोग आए और आशीष मिश्र के कान में कुछ कहा। इसी के बाद मामला उग्र हुआ और लाव लश्कर के साथ सबक सिखाने के लिए पूरा काफिला निकल पड़ा। उस काफिले ने जो किया उससे एक दो नहीं पूरे चार किसान परिवारों को कभी न भरने वाला जख्म दे दिया। इसके साथ अंकित दास का वो सपना भी चूर-चूर हो गया जिसमें वह राजनीति के शिखर पर कदम दर कदम बढ़ाते जा रहे थे।