लखनऊवासियों की प्यास बुझाने वाली गोमती खुद प्यासी, जलीय जीवोंं पर भी मंडरा रहा खतरा
सात नाले गोमती नदी में सीधे गिर रहे हैं तो 17 नालों का पानी ओवरफ्लो होकर नदी में घुल रहा है। नदी के जल में बढ़ती गंदगी से घुलित आक्सीजन (डीओ) की मात्रा 4.0 मिलीग्राम से अत्याधिक कम हो गई है।
लखनऊ, [अजय श्रीवास्तव]। जीवनदायिनी गोमती का पानी खतरनाक होता जा रहा है। इसमें घुलित आक्सीजन की मात्रा घटकर इतनी कम हो गई है कि यह जलीय जीव के साथ ही शहरवासियों की सेहत के लिए खतरे का संकेत देने लगी है। सात नाले गोमती नदी में सीधे गिर रहे हैं तो 17 नालों का पानी ओवरफ्लो होकर नदी में घुल रहा है। नदी के जल में बढ़ती गंदगी से घुलित आक्सीजन (डीओ) की मात्रा 4.0 मिलीग्राम से अत्याधिक कम हो गई है। कुडिय़ाघाट, हनुमान सेतु और गोमती बैराज के पास तो घुलित आक्सीजन की मात्रा शून्य के आसपास पाई गई है। इससे मछलियों के जीवन पर खतरा मंडराने लगा है।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गोमती के पानी की बिगड़ती दशा पर अलर्ट जारी कर दिया है। बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डा. रामकरन ने बताया कि मुख्य अभियंता (शारदा सहायक खंड) सिंचाई विभाग को पत्र लिखा गया है, जिससे शारदा नहर का पानी गोमती में छोड़ा जाए और कम हो रही घुलित आक्सीजन का लेवल ठीक किया जा सके। उन्होंने बताया कि कई दिन से जांच में कुडिय़ाघाट, हनुमान सेतु और गोमती बैराज पर घुुलित आक्सीजन की मात्रा शून्य पाई जा रही है। श्रेणी डी हेतु निर्धारित मानक न्यूनतम 4.0 मिलीग्राम लीटर से अत्याधिक कम है, जबकि शहरवासियों को शोधन कर गोमती नदी का पानी दिया जाता है।
अभी सुरक्षित है गऊघाट पंपिंग स्टेशन
गऊघाट और बालागंज में अभी नदी जल की गुणवत्ता ठीक है। पानी का रंग साफ होने से रसायन की मात्रा बढ़ाई नहीं गई है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो वह दिन दूर नहीं जब तीन साल पूर्व जैसे हालात हो जाएंगे, जब गऊघाट पंपिंग स्टेशन के पास गोमती का पानी काला हो गया था और शहरभर में नलों से बदबूदार पानी आ रहा था। पानी शोधन करने के लिए रसायन की मात्रा चार गुना से अधिक की गई थी, लेकिन पानी में इतनी अधिक गंदगी थी कि वह फट नहीं रहा था, हालांकि जलकल के महाप्रबंधक एसके वर्मा का कहना है कि अभी गऊघाट और बालागंज पंपिंग स्टेशन पर लिए जा रहे गोमती नदी के पानी के नमूनों की गुुुणवत्ता ठीक है।
गोमती से हर दिन लिया जाता है 350 एमएलडी पानी
ऐशबाग जलकल के लिए 250 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) और बालागंज जलकल के लिए सौ एमएलडी पानी लिया जाता है। उसके बाद पुराने शहर के इलाकों के साथ ही ऐशबाग, नाका ङ्क्षहडोला, चारबाग, लाटूश रोड, मोतीनगर, आर्यनगर, गढ़ी कनौरा, करेहटा, अंबेडकर नगर, छितवापुर, कैसरबाग, माल एवेन्यू, हजरतगंज, नरही, मौलवीगंज, भदेवां निशातगंज, न्यू हैदराबाद, मनकामेश्वर मंदिर वार्ड और बाबू गंज इलाकों में नलकूप की मदद से गोमती नदी का पानी शोधन करके भेजा जाता है।
कहां नाले का कितना पानी नदी में जा रहा
- 0.65 एमएलडी बरीकला
- 6.01 एमएलडी घैला
- 11.58 एमएलडी फैजुल्लागंज अपस्ट्रीम
- 5.50 एमएलडी फैजुल्लागंज डाउनस्ट्रीम
- 18 एमएलडी लोनीपुरवा सीवेज पंपिंग स्टेशन
- 8.68 एमएलडी सहारा सिटी
- 35.90 एमएलडी गोमतीनगर का सीवर
- 29.60 एमएलडी गोमतीनगर ड्रेन
- 5.40 एमएलडी गोमतीनगर विस्तार
यहां ओवरफ्लो होकर नदी में गिर रहे नाले
नगरिया, वजीरगंज, घसियारी मंडी ला-प्लास, हैदर कैनाल, जियामऊ व उससे सटे नाल
- गोमती नदी से जुड़े नाले
- 07 नाले सीधे गोमती में गिर रहे
- 26 नाले ट्रैप किए गए थे, जिसमें से बारह नालों का पानी ओवरफ्लो होकर नदी में जा रहा है।
- 33 कुल नाले