UP: धर्मांतरण कर निकाह के मामले में हाई कोर्ट का फैसला, कहा- माता-पिता की अवैध कस्टडी में नहीं है लड़की
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने धर्म बदलकर निकाह करने के मामले में बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि लड़का प्रथम दृष्टया संतुष्ट नहीं कर सका कि लड़की माता पिता की अवैध कस्टडी में है।
लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने धर्म बदलकर निकाह करने के मामले में बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि लड़का प्रथम दृष्टया संतुष्ट नहीं कर सका कि लड़की माता पिता की अवैध कस्टडी में है। यह आदेश जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने कथित पत्नी की ओर से दाखिल पति की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज करते हुए पारित किया।
दरअसल, पति ने याचिका में कहा था कि वह बालिग है। उसकी पत्नी हिंदू थी, जिसने धर्म परिवर्तन करके उसके साथ निकाह किया है, लेकिन लड़की के घरवालों ने लखनऊ के विभूति खंड थाने में उसके खिलाफ रिपोर्ट लिखा दी और उसकी पत्नी को अवैध कस्टडी में बंद कर रखा है। याची ने हाई कोर्ट से कहा कि वह बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट जारी कर लड़की के घरवालों को आदेश दें कि वे लड़की को कोर्ट में पेश करें ताकि उसे रिहा किया जा सके।
याचिका का विरोध करके अपर शासकीय अधिवक्ता राव नरेंद्र सिंह का तर्क दिया कि लड़की का धर्म केवल इसलिए परिवर्तित कराया गया कि उससे निकाह किया जा सके जो कि अवैध है। यह एक खास धर्म के साथ षड्यंत्र है। अधिवक्ता राव ने कहा कि मामले में लड़की का परिवार वालों की अवैध निरुद्धि में होने का आरोप गलत है। सारे तथ्यों पर गौर करने के बाद हाई कोर्ट ने पाया कि लड़की अपने परिवार की अवैध निरुद्धि में नहीं है और याचिका को खारिज कर दिया।
बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने झूठ बोलकर, झांसा देकर या छल-प्रपंच कर धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश लागू किया है। इसके लागू होने के बाद झांसा देकर, झूठ बोलकर या छल-प्रपंच करके धर्म परिवर्तन करने-कराने वालों के साथ सरकार सख्ती से पेश आएगी। अगर सिर्फ शादी के लिए लड़की का धर्म बदला गया तो ऐसी शादी न केवल अमान्य घोषित कर दी जाएगी, बल्कि धर्म परिवर्तन कराने वालों को 10 साल तक जेल की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है।