संविधान दिवस पर 26 नवंबर को विधान मंडल के एक दिवसीय विशेष सत्र में शामिल होंगे सभी दल
गांधी जयंती पर 36 घंटे के विधानमंडल के विशेष सत्र का बहिष्कार करने वाले विपक्ष ने संविधान दिवस पर 26 नवंबर को आयोजित एक दिवसीय विशेष सत्र में शामिल होने की सहमति दे दी है।
लखनऊ, जेएनएन। अक्टूबर में गांधी जयंती पर 36 घंटे के विधानमंडल के विशेष सत्र का बहिष्कार करने वाले विपक्ष ने संविधान दिवस पर 26 नवंबर को आयोजित एक दिवसीय विशेष सत्र में शामिल होने की सहमति दे दी है। सभी दलों के नेताओं ने पूरा सहयोग देने का भरोसा दिया है। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि यह हमारे संविधान के प्रति निष्ठा, सम्मान और आदर व्यक्त करने का एक अवसर है, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि संविधान के उद्देश्य और मूल कर्तव्यों पर चर्चा होने से सार्थक और सकारात्मक संदेश जाएगा।
विधान सभा अध्यक्ष ने 26 नवंबर को आयोजित एक दिवसीय विशेष सत्र के सुचारु संचालन के लिए सभी दलों से सहयोग मांगा है। शुक्रवार को विधान भवन में आयोजित सर्वदलीय बैठक में दीक्षित ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने लंबे परिश्रम के बाद 26 नवंबर, 1949 को भारत का संविधान अंगीकृत किया था। संविधान की उद्देशिका और उसमें निहित मूल कर्तव्यों के संबंध में चर्चा के लिए यह सत्र आहूत किया गया है।
नेता सदन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता पक्ष के पूरे सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा कि लोकतंत्र की ताकत संवाद है और संवाद तथा तर्कसंगत चर्चा से ही समाधान निकलते हैं। इस चर्चा में संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के साथ-साथ संविधान के प्रति आदर और सम्मान की भावना को भी मजबूत कर सकेंगे। योगी ने भरोसा जताया कि सभी दलों का सहयोग मिलेगा और प्रभावी संदेश जायेगा। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि इस चर्चा से अच्छा संदेश जाएगा। बैठक में नेता विपक्ष राम गोविंद चौधरी, बसपा दल नेता लालजी वर्मा, अपना दल के नील रतन सिंह पटेल और कांग्रेस के सोहेल अख्तर अंसारी ने विशेष सत्र बुलाए जाने को सराहनीय पहल बताया। सभी दल नेताओं ने सहयोग का भरोसा दिया।