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मोबाइल पर इंटरनेट बंद, अब फ्लैशबैक में जिंदगी Lucknow News

बीते गुरुवार को रात 11 बजे से मोबाइल पर इंटरनेट की सुविधा बंद कर दी गई हैंं।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sun, 22 Dec 2019 04:31 PM (IST)Updated: Sun, 22 Dec 2019 04:31 PM (IST)
मोबाइल पर इंटरनेट बंद, अब फ्लैशबैक में जिंदगी Lucknow News
मोबाइल पर इंटरनेट बंद, अब फ्लैशबैक में जिंदगी Lucknow News

लखनऊ [अम्बिका वाजपेयी]। फ्लैश बैक... इस शब्द से परिचित होंगे ही। इस समय शहर के लोग कुछ इसी मोड में हैं, जी हां सत्रह साल पहले के फ्लैश बैक में जब राजधानी ने इंटरनेट की आभासी दुनिया में कदम नहीं रखा था। लैंडलाइन का जमाना था, बटन वाले फोन थे। लैंडलाइन में चिल्लाते हुए और मोबाइल में नेटवर्क खोजते हुए दिल खोलकर बातें होती थीं। उसके बाद अवतरित हुआ इंटरनेट यानी जीबी, एमबी और केबी की इन छोटी-छोटी कडिय़ों से बना एक जाल। इस सुविधाजनक जंजीर की जकडऩ का अहसास राजधानीवासियों को पहली बार हुआ। एनआरसी और सीएए के विरोध को लेकर भड़के उपद्रव के चलते तमाम शहरों में इंटरनेट बंद कर दिया गया।

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बीते गुरुवार को रात 11 बजे से मोबाइल पर इंटरनेट की सुविधा बंद कर दी गई है। इसके बाद आभासी दुनिया से बाहर निकलने का यूं कहें कि नेट के जाल की जकडऩ ये निकलने का मौका शहर के लोगों को पहली बार मिला। दिक्कतें स्वाभाविक थीं लेकिन जो लौट गया है वो अब दौर न आएगा जैसी शिकायत थोड़ी देर के लिए ही सही लेकिन दूर तो हुईं। घर बैठे कैब बुक करके गंतव्य तक पहुंचने की सुविधा बंद होने के बीच याद कीजिए पिछली बार कब आपने रिक्शा वाले से मोलभाव किया था या सिटी, टेंपो और नई नवेली मेट्रो में सफर किया था। फोन से फोन रीचार्ज करने के आदी हो चुके लोगों को आज वो दिन याद आ गए जब पर्ची से फोन में पैसे पड़ते थे। घर बैठे मनपसंद दुकान से ऑनलाइन खाना या नाश्ता मंगवाने के दौर में आप पड़ोस के हलवाई को तो भूल ही गए थे। राजधानी में बालिग होने की दहलीज पर पहुंच चुकी इंटरनेट की दुनिया के आदी हो चुके शहर के लोगों के लिए बिना इंटरनेट के दिन बिताने का पहला अनुभव था।

चलो इसी बहाने बात तो हुई

वाट्सएप ग्रुप पर दोस्तों को गुड मॉर्निंग, चुटकुले और गुड नाइट के मैसेज भेजने का सिलसिला आज रुका तो पता चला कि बहुत दिन हो गए किसी दोस्त से बात ही नहीं की। लगभग हर दूसरे परिवार में फेमिली वाट्सएप ग्रुप बना है। रिश्तेदार, नातेदार और परिवार के लोग जुड़े हैं। बाबा से लेकर बहू, बुआ और बेटियों के ग्रुप में चरण स्पर्श, प्रणाम और खैरियत बंद हुई तो लगा कि कानपुर वाली बुआ से फोन पर ही बात कर ली जाए। सबसे बड़ी बात यह कि फोन पर भी यही शिकायत कि रात से नेट बंद है। इस शिकवे से शुरू हुई बात ठंड, प्याज की महंगार्ई, स्कूलों की छुट्टी, शादी, मुंडन की यादों से होते हुए जल्द ही आने के वादे पर खत्म हुई।

घर पहुंचते ही जो बच्चे मोबाइल फोन छीनने को पापा के पास भागते थे वो आज टीवी पर ही कार्टून देखने को जमे बैठे थे। उधर, पापा को देश के उपद्रव की चिंता सता रही थी। अब रिमोट लेने या चैनल बदलने पर घर की शांति भंग होने की आशंका थी लिहाजा दो-चार दोस्तों को कॉल करके हालचाल ले लिया। हां, यहां भी यही शिकायत की नेट बंद है। इसके बाद  मंदी, नौकरी, बिजनेस और देश के हालात पर चर्चा करने के बाद कहीं मिलने के वादे ने वार्तालाप पर पूर्ण विराम लगाया। श्रीमती जी भी पूछ रही थीं, यह नेट कब शुरू होगा। दरअसल ऑनलाइन शॉपिंग की साइट आज मोलभाव छूट नहीं दे पा रही थीं।

सुबह उठते ही गुड मार्निंग, सुप्रभात, देवी-देवताओं के भजन और फूलपत्ती से सजे दिन शुभ रहने के संदेश गायब थे। अखबार से देश दुनिया की खबर लेने के बाद फिर मोबाइल की तरफ हाथ बढ़ाया लेकिन याद आया नेट तो बंद है। बार-बार मोबाइल की तरफ हाथ बढ़ता स्क्रीन अनलॉक होती लेकिन उम्मीदें तो नेट की दुनिया में कैद थे। बाइक में पेट्रोल भराने पहुंचे तो पहले ही बता दिया गया कि कार्ड पेमेंट नहीं होगा। इसके बाद जेब टटोलकर पेट्रोल डलवाया गया।

इतने बड़े उपद्रव के बाद शहर पर फिर नजर रखनी थी। इसके बावजूद पल-पल लिंक और ब्रेकिंग चलाने वाले न्यूज ग्रुप खामोश थे। मीडिया संस्थानों में आज चैट के बजाय संवाद हो रहा था। जर्नलिज्म की दुनिया में आए नए लोगों के लिए यह पहला अनुभव था, जब पता चला कि बिना नेट के भी पत्रकारिता होती है। वाट्सएप पर दिन भर खबरें इधर-उधर करने वाले ही तमाम खबरनवीस खबरों की तलाश में नजर आए।

आभासी दुनिया से बाहर भी हैं दोस्त

जितने अपनी बरात में नहीं ले गए, उससे ज्यादा दोस्त तो फेसबुक पर मैरिज एनिवर्सरी की बधाई देते हैं लेकिन आज लाइव चैट के लिए वही थी, जिसके लिए बरात ले गए थे।  वाट्सएप, इंस्टाग्राम, टिकटॉक और फेसबुक के क्रांतिवीर हथियार छोड़े बैठे हैं। जिन लोगों का वाट्सएप पर 24 घंटे पहले लगाया गया स्टेटस हट गया है, उनको देखकर लगता है जिंदगी बिना स्टेटस के हो गई है।

काम न आई स्मार्टनेस

मेट्रो स्टेशनों पर चले रहे फ्री वाई-फाई के जुगाड़ में तमाम स्मार्ट लोग वहां पहुंचे तो पता चला कि वहां भी नेट बंद है। सुरक्षा कारणों से सार्वजनिक स्थानों पर दी गई फ्री वाई फाई की सुविधा भी बंद कर दी गई है।

भाई, जरा पासवर्ड बताना

ऐसे समय में वो दोस्त याद आ गए जिनके यहां ब्राडबैंड कनेक्शन था। पहुंचते ही दुआ सलाम के बाद कान में धीरे से इल्तजा की गई, भाई जरा पासवर्ड बताना। दो मिनट बाद ही सामने रखी चाय ठंडी हो रही थी और चेहरे पर फैली मुस्कान बता रही थी कि दोस्ती काम आ गई।


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