अलीगढ़ का एनकाउंटर पूर्व नियोजित राजनीतिक कार्यक्रम : कांग्रेस
अलीगढ़ के एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने इसे पुलिस व राज्य सरकार का पूर्व नियोजित आयोजन करार दिया है।
लखनऊ (जेएनएन)। अलीगढ़ के एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने इसे पुलिस व राज्य सरकार का पूर्व नियोजित आयोजन करार दिया है। 11 महीने के 1241 एनकाउंटर में कांग्रेस ने अधिकतर दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को मारे जाने का आरोप लगाया है। ध्यान रहे कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग इस बाबत राज्य सरकार को कई नोटिस जारी कर चुका है फिर भी सारी संस्थाओं को दरकिनार कर प्रदेश पुलिस एनकाउंटर कार्यक्रम में जुटी है।
पुलिस और सरकार की साठगांठ
कांग्रेस के मीडिया कोऑर्डीनेटर राजीव बख्शी ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि प्रदेश पुलिस ने अलीगढ़ के पुलिस कप्तान की मौजूदगी में मीडिया बुलाकर जिस तरह दो अपराधियों के एनकाउंटर की पटकथा लिखी है, उससे यह एनकाउंटर मुठभेड़ की आकस्मिक व यकायक प्रकृति से इतर पुलिस और सरकार का पूर्व नियोजित व निश्चित आयोजन लगता है। बख्शी ने कहा कि जीवन अधिकारों के लिए जिम्मेदार सरकार और पुलिस जब मौत की वीडियो रिकार्डिंग करने का आमंत्रण दे तो यह मानवता को शर्मसार करने वाला अमानवीय कृत्य हो जाता है। मौत का ऐसा फिल्मांकन एक लोकतांत्रिक व सभ्य समाज को शोभा नहीं देता।
एनकाउंटर सरकार का राजनीतिक कार्यक्रम
कांग्रेस ने एनकाउंटर को राज्य सरकार का राजनीतिक कार्यक्रम करार देते हुए कहा कि विधि अनुसार अपराध रोकथाम और अपराधियों को दंड दिलाने में अक्षम और स्वेच्छाचारी सरकार यह भूल जाती है कि यह देश न्यायिक व्यवस्था संचालन के लिए इंडियन पेनल कोड और भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता से चलता है। बख्शी ने कहा कि कोई भी सरकार किसी व्यक्ति को उसके जीवन अधिकार से न्यायिक प्रक्रिया का शुचितापूर्ण पालन किए बिना वंचित नहीं कर सकती। भारतीय संविधान ने यह अधिकार न्यायालयों को दिया है, पुलिस और सरकार को नहीं।
एनकाउंटर की आड़ में वोट बैंक की सियासत
अलीगढ़ में तीन साधुओं समेत छह हत्याओं में आरोपित इनामी जीजा-साले का एनकाउंटर अब राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। लोकसभा चुनाव नजदीक है, सो राजनेताओं को बोलने का खूब मौका मिल रहा है। कांग्रेस व बसपा नेता एनकाउंटर की आड़ लेकर जहां योगी, मोदी सरकार की टांग खींच रहे हैं, वहीं सत्ताधारी और समर्थक अपराध मुक्त समाज का नारा देकर जनता को साथ लेने का मौका नहीं छोड़ रहे। एनकाउंटर को लेकर सोशल साइट्स पर भी टिप्पणियां की जा रही हैं। यूपी पुलिस पर संप्रदाय विशेष को ही निशाना बनाने के आरोप लग रहे हैं। पुलिस अधिकारी भी टिप्पणी, आरोपों को दरकिनार कर साक्ष्य व तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की बात कर रहे हैं।
पुलिस दोनों को लेकर घूम रही थी
हरदुआगंज मुठभेड़ में ढेर हुए 25-25 हजार के इनामी नौशाद (22) व मुस्तकीम (25) निवासी भैंसपाड़ा अतरौली को गरीब, बेकसूर बताकर कांग्रेस के पूर्व सांसद बिजेंद्र सिंह व बसपा नेता पूर्व विधायक जमीर उल्लाह तीखी प्रक्रिया दे चुके हैं। पूर्व विधायक ने तो दावा किया कि पुलिस दोनों को रविवार से लेकर घूम रही थी। कोई पुराना मुकदमा इन पर नहीं था। जो मुकदमे पुलिस ने लगाए, वे पिछले दिनों हुईं तीन साधुओं समेत छह हत्याओं के थे। इन्हें झूठा फंसाया गया था। बारीकी और निष्पक्षता से जांच होनी चाहिए। पूर्व सांसद बिजेंद्र सिंह ने कहा कि न्यायिक जांच होनी चाहिए। इधर, भाजपा नेता पुलिस की कार्रवाई की सराहना कर भयमुक्त समाज देने का दावा कर आमजन का विश्वास जीतने में लगे हैं।
नौशाद-मुस्तकीम पर दर्ज मुकदमे
- 170/18 धारा 302, 307 पालीमुकीमपुर
- 416/18 धारा 302 अतरौली
- 341/18 धारा 302 हरदुआगंज
- 342/18 धारा 302, 201 हरदुआगंज
- 1223/18 धारा 394 क्वार्सी
- 344/18 धारा 307 (मुठभेड़) हरदुआगंज
- 345/18 धारा 25/27 शस्त्र अधिनियम हरदुआगंज
- 346/18 धारा 25/27 शस्त्र अधिनियम हरदुआगंज
सोशल मीडिया पर जमीर, विजेंद्र निशाने पर
बदमाशों को बेकसूर बता रहे जमीर उल्लाह की सोशल मीडिया पर तीखी निंदा की जा रही है। वाट्सएप ग्रुप, फेसबुक अकाउंट टिप्पणियों से भरे पड़े हैं। सवाल दागे जा रहे हैं कि जब साधु मारे जा रहे थे तो ये लोग क्यों नहीं बोले, अभियुक्त ढेर हुए तो कार्रवाई को फर्जी बता रहे हैं। एसएसपी अजय साहनी ने कहा कि साधुओं और किसानों की हत्याओं में जेल गए और मारे गए अभियुक्तों के खिलाफ हमारे पास साक्ष्य हैं जिन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। जो लोग सवाल उठा रहे हैं, वे साबित करें।