टप्पल कांड में अलीगढ़ प्रशासन बरी, मनवीर तेवतिया दोषी
अलीगढ़ के टप्पल कांड में गठित एक सदस्यीय जांच आयोग ने स्थानीय प्रशासन को क्लीन चिट दे दी और किसान नेता मनवीर तेवतिया को दोषी करार देते हुए कार्रवाई की संस्तुति की है।
लखनऊ। अलीगढ़ के टप्पल कांड में गठित एक सदस्यीय जांच आयोग ने स्थानीय प्रशासन को क्लीन चिट दे दी और किसान नेता मनवीर तेवतिया को दोषी करार देते हुए कार्रवाई की संस्तुति की है। आज विधानसभा में संसदीय कार्यमंत्री आजम खां ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें 14-15 अगस्त 2010 को अलीगढ़ जिले के टप्पल थाना क्षेत्र में यमुना एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए अधिग्रहीत भूमि के मुआवजे की दर नोएडा के बराबर कराने की मांग को लेकर किसानों व पुलिस के बीच हुए हिंसक संघर्ष में स्थानीय प्रशासन की भूमिका को उचित व औचित्यपूर्ण बताया गया है। आयोग का मानना है कि स्थिति नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई किए जाने से बहुत बड़ी घटना होने से बच गयी।
घटना के पांच वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद आयी रिपोर्ट में ग्राम जिकरपुर थाना क्षेत्र टप्पल में 14-15 अगस्त 2010 को घटित घटना के लिए प्रत्यक्ष रूप से मनवीर सिंह तेवतिया व अन्य आंदोलनकारी जिम्मेदार माना गया है। मनवीर सिंह तेवतिया के साथ में अन्य आंदोलनकारियों की शिनाख्त करके उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गयी है।
पीडि़तों को मिलेगा मुआवजा
घटना में मृत पीएसी सूबेदार बृजेंद्र सिंह के अलावा मारे गए किसान धर्मेंद्र सिंह पुत्र अजब सिंह, प्रशांत पुत्र चंद्रपाल शर्मा व मोहित पुत्र श्रीपाल के आश्रितों को उचित मुआवजा देने की संस्तुति भी की गयी है। घटना में लांस नायक राजकुमार जांघ में गोली लग जाने के कारण अपाहिज हो गए थे। आयोग ने उन्हें भी समुचित मुआवजा देने की सिफारिश की। कार्रवाई करने के लिए महानिदेशक पुलिस और अलीगढ़ के जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को निर्देशित भी किया गया है।
167 शपथपत्र और 74 गवाही
23 अगस्त 2010 को सेवानिवृत जिला न्यायाधीश आरडी निमेष की अध्यक्षता में गठित एक सदस्यीय जांच आयोग ने घटनाक्रम की जांच रिपोर्ट तैयार करने में मौके पर निरीक्षण व गवाही, परिवाद पत्र एवं शपथपत्र दाखिल करा निष्कर्ष निकाला है। इसमें अभियोजन की ओर से 70, बचाव पक्ष की ओर से 64 और किसानों द्वारा 33 शपथपत्र दाखिल कराए गए24 जून 2011 को आयोग की पहली बैठक हुई और कुल 74 गवाहों से जिरह की गई। अभियोजन पक्ष की ओर से 70 एवं बचाव में चार गवाह उपस्थित हो सके।
हमलावरों की शिनाख्त न हो सकी
आयोग की रिपोर्ट में हमलावरों के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक 14-15 अगस्त 2010 को हिंसक घटना में कई पुलिसकर्मियों को भी चोटें आयीं। सूबेदार बृजेंद्र की मौत हुई और लांस नायक राजकुमार जांघ में गोली लगने से अपाहिज भी हुए परन्तु यह ज्ञात नहीं हो सका कि किन आंदोलनकारियों द्वारा इनको चोटें पहुंचाई गई। इसके अलावा प्रदर्शनकारी किसानों में धर्मेंद्र, प्रशांत और मोहित की मृत्यु चोटों के कारण हुई। कई किसानों को भी चोटें आई, परन्तु यह ज्ञात नहीं हो सका किसके द्वारा चोटें पहुंचाई गई थीं।