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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव गठबंधन की खातिर कम सीट लेने पर भी राजी

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश ने कहा कि उनका मकसद देश को भाजपा और आरएसएस से बचाना है। इसे रोकने के लिए गठबंधन किया जा रहा है। इसके लिए वह दो कदम पीछे हटने को भी तैयार हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 12:23 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 02:19 PM (IST)
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव गठबंधन की खातिर कम सीट लेने पर भी राजी
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव गठबंधन की खातिर कम सीट लेने पर भी राजी

लखनऊ (जेएनएन)। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव देश तथा प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को किसी भी कीमत पर दोबारा वापस नहीं आने देना चाहते हैं। वह महागठबंधन की जोरदार वकालत में लगे हैं, भले ही उनकी पार्टी को कम सीट मिलें।

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बसपा प्रमुख मायावती ने जहां कल यह कह कर अपना दबाव बनाया कि सम्मानजनक सीटें मिलने पर ही समझौता किया जाएगा, वहीं उनके बयान के कुछ देर बाद ही समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश ने कहा कि उनका मकसद देश को भाजपा और आरएसएस से बचाना है। इसे रोकने के लिए गठबंधन किया जा रहा है। इसके लिए वह दो कदम पीछे हटने को भी तैयार हैं।

महागठबंधन पर अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस को भी बड़ा दिल दिखाना चाहिए। उसकी जिम्मेदारियां बड़ी हैैं। अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि इस चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों की बड़ी भूमिका होगी। वही जोरदार ढंग से भाजपा का मुकाबला कर सकेगी। उन्होंने कहा कि गठबंधन में नेता एवं प्रधानमंत्री उम्मीदवार के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह मुद्दा नहीं है। यह चुनाव बाद तय हो जाएगा।

कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी लड़ाई भाजपा से है लेकिन, उससे भी ज्यादा सामने लड़ाई में न दिखाई देने वाली आरएसएस से है। आरएसएस की विचारधारा से समाजवादी विचारधारा ही लड़ सकती है। उन्होंने कहा कि जिस आरएसएस ने 70 वर्ष तक अपने मुख्यालय (नागपुर) पर तिरंगा न फहराया हो उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। अखिलेश यादव का कहना है कि उनका मकसद देश को भाजपा आरएसएस से बचाना है। इन्हें रोकने के लिए गठबंधन किया जा रहा है। इसके लिए वह दो कदम पीछे हटने को भी तैयार हैं। आरएसएस ने पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी के खिलाफ नफरत और झूठ फैलाने का काम किया इसलिए इससे सभी को सावधान रहना चाहिए उन्होंने कहा कि जिन्होंने 50 साल तक सत्ता में रहने की बात कही है, पता नही वह रहेंगे या नहीं। यह तय है कि देश की जनता अगले 50 हफ्तों में भाजपा को सबक सिखाने के लिए अपना फैसला देने जा रही है।

चंद्रशेखर से परहेज नहीं

बसपा प्रमुख मायावती ने भले ही चंद्रशेखर रावण की नजदीकी बढ़ाने की कोशिशों को नकार दिया हो, लेकिन अखिलेश यादव को उनसे सहयोग पर परहेज नहीं है। अखिलेश से पूछा गया कि चंद्रशेखर रावण, उमर खालिद व कन्हैया कुमार जैसे युवा नेताओं की भूमिका को किस रूप में आप देखते हैं, तो उन्होंने कहा कि जो भी समाजवादी पार्टी में आने के लिए तैयार होगा, हम उन्हें स्वीकार करेंगे। हम गठबंधन के लिए हमेशा तैयार हैं। 


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