उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों की और जहरीली हुई हवा, हरकत में आई सरकार
उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों की हवा और जहरीली हो गई है। शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। लखनऊ आगरा वाराणसी गाजियाबाद नोएडा हापुड़ बागपत मुरादाबाद मेरठ मुजफ्फरनगर आदि शहरों की हालत चिंताजनक हैं।
लखनऊ, जेएनएन। प्रदेश के प्रमुख शहरों की हवा और जहरीली हो गई है। शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। लखनऊ, आगरा, वाराणसी, गाजियाबाद, नोएडा, हापुड़, बागपत, मुरादाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर आदि शहरों की हालत चिंताजनक हैं। प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए सरकार भी हरकत में आ गई है। मुख्य सचिव सोमवार को जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हालात की समीक्षा करेंगे।
जब भी एक्यूआइ 150 से ऊपर पहुंचता है वह मानव को नुकसान पहुंचाने लगता है। इस समय ज्यादातर शहरों का एक्यूआइ 250 के आस-पास है। स्थिति इतनी तेजी से खराब हो रही है कि अभी 10 दिन पहले ही प्रदेश के ज्यादातर शहरों का एक्यूआइ 150 के आस-पास था। जिम्मेदार विभाग इसका कारण पारे में आ रही गिरावट और हवा की हल्की रफ्तार मान रहे हैं। इस कारण प्रदूषक तत्वों का जमाव हो रहा है। अभी भी कई जिलों में पराली जल रही है। इससे भी स्थिति और बदतर हो रही है। राजधानी लखनऊ की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब हो रही है। यहां पर शनिवार को एक्यूआइ 255 रहा। आगरा की भी कमोबेश यही स्थिति है। वाराणसी, मेरठ, मुजफ्फरनगर, नोएडा, गाजियाबाद आदि सभी शहरों मेें वायु प्रदूषण खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। बढ़ते वायु प्रदूषण को देख सुप्रीम कोर्ट ने भी एमसी मेहता बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य के मामले में छह अक्टूबर 2020 के आदेश में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा व पंजाब के मुख्य सचिवों को अगली सुनवाई में उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। स्थिति को देखते हुए मुख्य सचिव आरके तिवारी ने अति प्रदूषित 16 शहरों के जिलाधिकारियों सहित अन्य अफसरों के साथ 12 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा बैठक बुलाई है। इसमें मुख्य सचिव प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं की रोकथाम के लिए की जा रही कार्रवाई की समीक्षा करेंगे। 16 अति प्रदूषित शहरों में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए बनी कार्ययोजना की वर्तमान में स्थिति। चिह्नित हॉट-स्पॉट के क्रियान्वयन की स्थिति की भी समीक्षा करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अत्यधिक प्रदूषण वाले स्थानों पर लगने वाली एंटी स्मॉग गन की भी जानकारी लेंगे।
सेटेलाइट से पकड़ रहे पराली जलने की घटनाएं
वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में पराली (कृषि अवशेष) का जलना भी है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों के बावजूद हाल ही में प्रदेश में पराली जलने की 33 घटनाएं पकड़ में आई हैं। इसमें 25 जिलाधिकारियाें से स्पष्टीकरण मांगा गया है। यह मामले एक से चार अक्टूबर के बीच सेटेलाइट से पकड़े गए हैं। मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने संबंधित जिलाधिकारी को पत्र लिखकर पराली जलाने की घटनाओं का विवरण मांगने के साथ दोषियों पर हुई कार्रवाई की जानकारी मांगी है। जिन जिलों में पराली जलने की घटनाएं हुईं हैं उनमें अलीगढ़, बाराबंकी, बरेली, बस्ती, बुलंदशहर, एटा, फतेहपुर, गौतमबुद्धनगर, गोरखपुर, हापुड़, जौनपुर, कानपुर देहात, महराजगंज, मैनपुरी, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, रामपुर, संभल, संतकबीर नगर, शाहजहांपुर, शामली व सीतापुर हैं।
यह 16 शहर हैं अत्यधिक प्रदूषित
लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, आगरा, वाराणसी, गाजियाबाद, नोएडा, खुर्जा, फीरोजाबाद, अनपरा, गजरौला, झांसी, मुरादाबाद, रायबरेली, बरेली व मेरठ
यूपी के शहरों में वायु प्रदूषण
शहर-एक्यूआइ (10 अक्टूबर) आगरा- 255 बागपत- 289बुलंदशहर- 268गाजियाबाद-246 ग्रेटर नोएडा- 254हापुड़- 221कानपुर- 179लखनऊ- 255मेरठ-262नोएडा- 212मुजफ्फरनगर- 259मुरादाबाद- 218वाराणसी- 150(स्रोत-केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड)