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अमरेंद्र के मुंह से रस्क का नाम सुन बोले पीएम नरेंद्र मोदी ...रस्क क्या चीज है, जानते हैं हम चायवाले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत करने के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कामगारों से संवाद किया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 10:28 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2020 12:37 AM (IST)
अमरेंद्र के मुंह से रस्क का नाम सुन बोले पीएम नरेंद्र मोदी ...रस्क क्या चीज है, जानते हैं हम चायवाले
अमरेंद्र के मुंह से रस्क का नाम सुन बोले पीएम नरेंद्र मोदी ...रस्क क्या चीज है, जानते हैं हम चायवाले

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को राज्य के कामगारों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मुखातिब हुए। बातचीत के क्रम में जब संतकबीर नगर में बेकरी उद्योग चलाने वाले अमरेंद्र की बारी आई तो पीएम मोदी ने उनसे पूछा कि बेकरी में वह क्या बनाते हैं? जवाब मिला रस्क। रस्क का नाम सुन पीएम मोदी मुस्कुरा कर बोले, वही ना जिसको चाय के साथ लेते हैं। ...और फिर गहरी सांस लेकर कहा कि हम चाय वालों को मालूम है कि रस्क क्या चीज है।

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बातचीत में अमरेंद्र ने बताया कि प्रधानमंत्री रोजगार योजना की मदद से उनका उद्योग आगे बढ़ा है। प्रधानमंत्री ने जब उनसे यह पूछा कि उनके उद्योग में कितने लेबर लगे हैं? तो अमरेंद्र ने बताया कि पहले 12 थे पर अब 12 बढ़ गए हैं। इस पर मोदी ने प्रसन्न होकर कहा, तो आपने 24 लोगों को रोजगार दिया है। प्रधानमंत्री के अगले सवाल पर अमरेंद्र ने बताया कि उनका रस्क अपने जिले के अलावा पड़ोसी जिलों में भी जाता है। प्रधानमंत्री ने अमरेंद्र को सेवाभाव और कारोबार में संतुलन बनाने सलाह दी। मजाकिया लहजे में कहा-'कहीं ऐसा न हो कि ज्यादा लोगों को काम देने के चक्कर में कारोबार रह जाए और घर में आपको खाना ही न मिले।'

जो आज बड़े दिखते हैं, उन्होंने छोटे स्तर पर ही काम शुरू किया : संत कबीरनगर में ही होजरी उद्योग चलाने वाले रामचंद्र वर्मा ने जब यह बताया कि बीते दिनों ओडीओपी के तहत उनके खाते में बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के 11 लाख रुपये आ गए तो वह खुशी के साथ चौंक पड़े। फिर पूछा, आपके उद्योग में कितने लोगों को रोजगार मिला है? रामचंद्र ने बताया कि घर के एक व्यक्ति के साथ चार लोग पहले से उद्योग में लगे हैं। काम बढऩे के बाद बाहर से आए चार कामगारों को रोजगार दिया गया है। उन्हें बड़ा उद्योगपति बनने की शुभकामना देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में जितने लोग भी आज बड़े दिखते हैं, उन्होंने छोटे स्तर पर ही अपना काम शुरू किया था। जिन्हेंं विरासत में मिल जाता है, वह कई बार लुढ़क जाते हैं।

अरे, आप तो योगी जी के गांव के हैं और मेरे गांव से आए हैं : बातचीत के क्रम में जब गोरखपुर के पाली ब्लाक के नागेंद्र सिंह का नंबर आया तो उन्होंने बताया कि वह अहमदाबाद से लौटे हैं। यह सुन प्रधानमंत्री बोले, अरे आप तो योगी जी के गांव के हैं और मेरे गांव से आए हैं। प्रधानमंत्री के मुंह से यह सुनकर नागेंद्र आत्मीयता से भर गए और खुल कर अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री ने आगे पूछा कि घर आकर क्या कर रहे हैं? नागेंद्र ने बताया कि बैंक ऑफ बड़ौदा से एक लाख लोन लिया। प्रधानमंत्री ने इनसे ठिठोली भी की कि, बैंक वालों को यह कहकर डराया तो नहीं कि मोदीजी के गांव अहमदाबाद से आए हैं?

अब तो आप सॢटफाइड राजमिस्त्री बन गए कुर्बान अली : मुंबई में राज मिस्त्री का करने वाले सिद्धार्थनगर के कुर्बान अली से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवाद शुरू किया तो सबसे पहले यही पूछा कि इस बार रमजान का महीना तो घर मेें सबके साथ बीता होगा? प्रधानमंत्री का अगला सवाल मौजू था, अभी गांव में आकर क्या करते हैं? कुर्बान ने बताया कि गांव आने के बाद उन्हें प्रधान के माध्यम से सामुदायिक शौचालय बनाने का काम मिल गया। साथ ही राज मिस्त्री की ट्रेनिंग कराकर सर्टिफिकेट भी दिया गया। यह सुनकर प्रधानमंत्री चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई। बोले, अब तो आप बड़े सर्टिफाइड मिस्त्री बनकर काम करने जाएंगे आगे। 

हमें कुछ देना है तो अपने बच्चों को पढ़ाइए : बहराइच जिले के शिवपुर ब्लॉक की रखौना ग्राम पंचायत के तिलकराम से प्रधानमंत्री ने पूछा, आवास मिला। उन्होंने जवाब दिया, हां। यह भी बताया कि पहले हमारा परिवार फूस के छप्पर में रहता था। पीएम ने कहा, हमने आवास दिया, आप भी हमें कुछ दोगे? बोलो, मांगें? क्या दोगे? जवाब में तिलकराम ने कहा, हम आपको क्या दे सकते हैं! तब मोदी ने कहा, अपने बच्चों को पढ़ने भेजो, यही हमें चाहिए। हर साल मुझे चिट्ठी भेजकर बताइएगा कि बच्चों की पढ़ाई कैसी चल रही? इस पर तिलकराम ने आशीष देते हुए कहा, आप जिंदगी भर प्रधानमंत्री रहें। 

1 घंटे 10 मिनट बाद गारु का मतलब समझ पाए दीपू : उरई के दीपू से पीएम ने हालचाल पूछा-'और कैसे हैं दीपू गारु...? कोई जवाब नहीं। छह सेकेंड शांति..., फिर एक सवाल और... आपको तो वहां गारु ही कहते होंगे?, इस पर भी कोई जवाब नहीं। क्या काम कर रहे हैं, जवाब मिला-बुंदेलखंड एक्सप्रेस का। कितना कमा लेते हैं, जवाब- जितना हैदराबाद में कमा लेते थे। आधे मिनट से कुछ अधिक देर का यह संवाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उरई के डकोर ब्लॉक के वर्ध गांव के मजदूर दीपू के बीच हुआ। प्रधानमंत्री से बातचीत के एक घंटे दस मिनट बाद जब कार्यक्रम खत्म हुआ, तब लोगों ने पूछा कि गारु का मतलब नहीं समझे क्या, इसका मतलब होता है कि सम्मान। पीएम ने आपको सम्मान से बुलाया। जब दीपू से बात की गई तो उन्होंने कहा मुझे तो वहां कभी किसी ने गारु कहा नहीं, सम्मान दिया नहीं, गारु का मतलब कैसे समझता। गारु तेलगू भाषा का शब्द है जिसे सम्मानसूचक माना जाता है। हिंदी में गारु का मतलब 'श्री' होता है। 

विनीता जी नमस्कार, आपका काम उत्तम...शुभकामनाएं : कोरोना काल में आत्मनिर्भरता की स्वर्णिम कहानी लिखने वाली कमालपुर की महिलाओं से शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रूबरू हुए। महज पांच मिनट के संवाद में ही पीएम ने न सिर्फ उनसे सफलता की कहानी सुनी, बल्कि हौसला भी बढ़ाया। यह कहकर कि आपका काम वाकई उत्तम है। सभी को शुभकामनाएं...।  दैनिक जागरण ने कमालपुर के कमाल को दुनिया के सामने सबसे पहले पेश किया। 17 जून के अंक में समूह स्तर पर सरोकार के तहत प्रकाशित की, जिसकी धमक दिल्ली में पीएमओ तक धमक सुनाई दी। प्रधानमंत्री भी महिलाओं से बात करने को आतुर हुए और संवाद का कार्यक्रम तय किया।

मोदी ने शुरुआत की-'विनीता जी नमस्कार, अपने बारे में बताइए। आपके काम के बारे में मैं जानना चाहूंगा...।' धनगर स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष विनीता पाल ने बताया कि वह नर्सरी का काम करती हैं। पीएम ने विस्तार से उनके काम को सुना, सवाल पूछे। विनीता ने बताया कि 50 हजार हर महीने बचत हो जाती है। साल में छह लाख। पीएम बोले, एक साल में छह लाख, देखिए आप उत्तम काम कर रही हैं। इससे कमाई भी हो रही है और आप पर्यावरण की रक्षा भी कर रही हैं। फिर उन्होंने ट्रेनिंग बारे में जानकारी ली।


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