Move to Jagran APP

रामनगरी के धर्माचार्यों को भरोसा, पुनर्विचार याचिका पर पर्सनल लॉ बोर्ड को नहीं मिलेगा आम मुस्लिमों का साथ

अयोध्‍या के संतों ने कहा कि फैसले पर पुनर्विचार के लिए कोर्ट जाने वालों को आम मुस्लिमों का ही नहीं मिलेगा समर्थन।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 07:01 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 07:17 AM (IST)
रामनगरी के धर्माचार्यों को भरोसा, पुनर्विचार याचिका पर पर्सनल लॉ बोर्ड को नहीं मिलेगा आम मुस्लिमों का साथ
रामनगरी के धर्माचार्यों को भरोसा, पुनर्विचार याचिका पर पर्सनल लॉ बोर्ड को नहीं मिलेगा आम मुस्लिमों का साथ

अयोध्या [रघुवरशरण]। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड रामजन्मभूमि मामले पर पुनर्विचार के लिए सुप्रीमकोर्ट जाएगा। बोर्ड की यह पहल शीर्ष संतों को निराश करने वाली है। रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं मणिरामदास जी की छावनी के महंत नृत्यगोपालदास ने कहा, यह निराशाजनक है। मुस्लिम पक्ष सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय मानने की बात करता रहा है और अब निर्णय आने के बाद पुनर्विचार याचिका की बात कर अपनी ही बात से मुकर रहा है। 

loksabha election banner

आचार्य पीठ दशरथमहल बड़ा स्थान के महंत बिंदुगाद्याचार्य देवेंद्र प्रसादाचार्य ने कहा, यह जिद स्वयं उनके लिए ठीक नहीं है और वे मुस्लिमों के बीच ही अलग-थलग पड़ जाएंगे। अयोध्या राजा बिमलेंद्र मोहन मिश्र का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से सदियों पुराने विवाद का सम्माजनक समाधान निकला है और समझदारी इस फैसले को स्वीकार कर आगे बढऩे में है, हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि निर्णय देने वाली पीठ के सभी पांच जजों ने एक मत से यह फैसला दिया है।

रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के अध्यक्ष एवं जानकी घाट बड़ा स्थान के महंत जन्मेजयशरण ने ऐसे रवैये को अडिय़ल बताया। कहा, पुनर्विचार याचिका की बात करने वाले लोगों को दोनों समुदायों के रिश्तों और भाईचारा की भावना का आदर करते हुए सुप्रीमकोर्ट के फैसले का इस्तकबाल करना चाहिए था। हालांकि उन्होंने विवाद की दुकान चलाने वाले मुठ्ठी भर लोगों को छोड़कर देश के मुस्लिमों पर पूरा भरोसा जताया।

शीर्ष पीठ रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास ने कहा, मुस्लिमों के नेतृत्व का दावा करने वालों के पास बहुसंख्यक हिंदुओं से रिश्तों को मजबूत करने का शानदार मौका था पर अब वे अवसर खोते प्रतीत हो रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि आम मुस्लिम उनके बहकावे में नहीं आएगा। निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्रदास ने कहा, यह अनुचित है और मुस्लिमों के नेतृत्व का दावा ऐसे लोग कर रहे हैं, जिनमें नेतृत्व का रंचमात्र गुण नहीं है।

नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास के अनुसार यह विवाद की दुकानदारी जिंदा रखने की महज जिद है पर देश का हिूदू हो या मुस्लिम, अब उसे आसानी से बरगलाया नहीं जा सकता। मुस्लिम समुदाय के लोग जल्द ही यह साबित करेंगे कि पर्सनल ला बोर्ड उनकी नुमाइंदगी का हक खो चुका है। कोर्ट में रामलला के सखा रहे त्रिलोकीनाथ पांडेय ने कहा, यह एक प्रकार से अनर्थ है और सौहार्द की भावना के प्रतिकूल है। महापौर ऋषिकेश उपाध्याय ने कहा, जो इकबाल अंसारी और उनके अब्बू मरहूम हाशिम अंसारी मस्जिद के मुद्दई थे, उन्होंने फैसला स्वीकार कर लिया है। बाकी लोग क्या कर रहे हैं, यह बहुत मायने नहीं रखता। विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, पर्सनल ला बोर्ड का रुख मुस्लिमों की ही भावना के खिलाफ है। नौ दिन के दौरान यह स्पष्ट हो गया है कि आम मुस्लिमों ने फैसला स्वीकार किया है और अब रिव्यू में जाने की बात कर रहे लोग अपनी खिसियाहट ही मिटा रहे हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.