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ह‍िस्‍ट्रीशीटर विकास दूबे के भाई दीपक दूबे की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज

फौजदारी के जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी ने मुल्जिम की अग्रिम जमानत अर्जी का जोरदार विरोध किया। कहा कि इसका गंभीर आपराधिक इतिहास है। इसके खिलाफ आठ गंभीर मुकदमे दर्ज हैं। इसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट व कुर्की की कार्यवाही की नोटिस भी जारी है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 09:17 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 06:34 AM (IST)
ह‍िस्‍ट्रीशीटर विकास दूबे के भाई दीपक दूबे की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज
एक अन्‍य मामले में कैदी को गवाही के ल‍िए नहीं भेजने पर जेल अधीक्षक को नोटिस।

लखनऊ, जेएनएन। रंगदारी व धोखाधड़ी के एक आपराधिक मामले में वांछित विकास दूबे के भाई दीपक दूबे की अग्रिम जमानत अर्जी सत्र अदालत ने खारिज कर दी है। एडीजे अमरजीत वर्मा ने प्रथम दृष्टया मुल्जिम के अपराध को गंभीर करार दिया है। कहा है कि इस स्तर पर मुल्जिम को अग्रिम जमानत पर रिहा करना वाजिब नहीं है। फौजदारी के जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी ने मुल्जिम की अग्रिम जमानत अर्जी का जोरदार विरोध किया। कहा कि इसका गंभीर आपराधिक इतिहास है। इसके खिलाफ आठ गंभीर मुकदमे दर्ज हैं। इसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट व कुर्की की कार्यवाही की नोटिस भी जारी है।

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पांच जुलाई, 2020 को इस मामले की एफआईआर विनीत पांडेय ने थाना कृष्णानगर में दर्ज कराई थी। वर्ष 2009 में विनीत ने एक सरकारी अम्बेसडर कार नीलामी में खरीदी थी। इसके कुछ दिनों बाद दीपक दूबे अपने भाई विकास दूबे व अन्य के साथ इनके घर आया। धमकाते हुए कहा कि यह गाड़ी दे दो। वरना तुम अच्छी तरह जानते हो इसका अंजाम क्या होगा। मैंने फौरन अपनी गाड़ी इन्हें दे दी और डर की वजह से इसकी कही चर्चा नहीं की। इस दरम्यान जब मैने अपनी गाड़ी वापस मांगी तो जान की धमकी देकर भगा देते थे। जब मैने गाड़ी खरीदी थी, तब उस पर जीएन हाउस नहीं लिखा था। सोशल मीडिया से मालुम हुआ कि इस गाड़ी को पुलिस ने अपने कब्जे में लिया है।

जेल अधीक्षक को नोटिस जारी, क्यों न दर्ज हो मुकदमा

गैंगरेप व जानमाल की धमकी के एक मामले में कई आदेश के बावजूद गवाही के लिए गवाह को नहीं भेजने पर एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने कड़ा रवैया अपनाया है। विशेष जज पवन कुमार राय ने इस मसले पर जेल अधीक्षक को नोटिस जारी किया है। पूछा है कि क्यों न आपके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जाए। आठ दिन में जवाब दें। गैंगरेप के इस मामले में गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य मुल्जिम निरुद्ध हैं। विशेष अदालत में गवाही की प्रक्रिया चल रही है। इस मामले का एक गवाह राम सिंह एक आपराधिक मामले में न्यायिक हिरासत में निरुद्ध है। अदालत में उसकी गवाही होनी है। लेकिन उसे गवाही के लिए अदालत में पेश नहीं किया जा रहा है। जबकि अदालत ने इस संदर्भ में कई आदेश जारी किए। एक तारीख पर उसे सांय पांच बजे पेश किया गया था। अदालत ने इसे गंभीर लापरवाही माना हैै।

18 फरवरी, 2017 को इस मामले की एफआईआर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य छह मुल्जिमों के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में दर्ज हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश चित्रकुट की रहने वाली पीड़िता की अर्जी पर दिया था। पीड़िता ने मुल्जिमों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरिया दुष्कर्म के प्रयास का आरोप लगाया था। विवेचना के दौरान पुलिस ने गायत्री समेत सभी मुल्जिमों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। 


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