एक से अडानी का होगा चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, जानिए अब क्या होगा खास
अडानी ग्रुप एक नवंबर से लखनऊ एयरपोर्ट को अगले 50 साल के लिए अपने जिम्मे ले लेगा। इसके बाद यहां कामर्शियल गतिविधियों के साथ एयरपोर्ट के विकास और यात्री सुविधाओं को बेहतर करने का जिम्मा अडानी ग्रुप का होगा।
लखनऊ, (निशांत यादव)। चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर एक नवंबर से बहुत कुछ बदला हुआ नजर आएगा। एयरपोर्ट के घरेलू और इंटरनेशनल टर्मिनल पर भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआइ) की जगह यात्रियों का सामना अडानी लखनऊ इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. (एएलआइएएल) से होगा। अडानी ग्रुप एक नवंबर से लखनऊ एयरपोर्ट को अगले 50 साल के लिए अपने जिम्मे ले लेगा। इसके बाद यहां कामर्शियल गतिविधियों के साथ एयरपोर्ट के विकास और यात्री सुविधाओं को बेहतर करने का जिम्मा अडानी ग्रुप का होगा। उधर, एयर ट्रैफिककंट्रोल पूर्व की तरह एटीसी और सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) पर होगा।
लखनऊ एयरपोर्ट से सालाना करीब 55 से 60 लाख घरेलू और इंटरनेशनल यात्री उड़ान भरते हैं। सामान्य दिनों में 50 से 55 घरेलू विमान रोजाना लखनऊ आते और इतने ही रवाना होते हैं। इंटरनेशनल विमानों की संख्या भी कोरोना काल से पहले यहां प्रतिदिन छह से सात थीं। इस एयरपोर्ट को 50 लाख तक सालाना यात्रियों वाली श्रेणी में बेहतर सुविधाओं के लिए कई अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड मिल चुके हैं। दिल्ली एयरपोर्ट पर बाधा होने पर लखनऊ में विमानों की आपातकालीन लैंडिंग होती है।
दूसरी सबसे बड़ी बोली लखनऊ की
लखनऊ, गुवाहाटी, अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम, मेंगलुरु और जयपुर एयरपोर्ट को निजी हाथ में सौंपने के लिए पिछले साल फरवरी में एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट मांगा गया था। लखनऊ एयरपोर्ट के लिए छह कंपनियों ने बोली लगाई थी। प्रति यात्री शुल्क के आधार पर अडानी ग्रुप ने 171 और एएमपी कैपिटल ने 139 रुपये की बोली लगाई थी। यह अहमदाबाद के 177 रुपये प्रति यात्री के बाद किसी एयरपोर्ट के लिए अडानी ग्रुप की सबसे बड़ी बोली थी।
एससी होता ने संभाला कार्यभार
लखनऊ एयरपोर्ट के पूर्व निदेशक एससी होता अब प्राधिकरण से सेवानिवृत्त हो गए हैं। वह अडानी लखनऊ इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. (एएलआइएएल) के सीईओ बनाए गए हैं। उन्होंने अपना कार्यभार भी संभाल लिया है। फिलहाल इंटरनेशनल टर्मिनल भवन में पुराना निदेशक ऑफिस ही एएलआइएएल का मुख्यालय होगा। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के 300 कर्मचारी लखनऊ एयरपोर्ट पर तैनात हैं। इनमें ऑपरेशन के अधिकांश कर्मचारी एटीसी व नेवीगेशन में लगे रहेंगे। जबकि कामर्शियल के कर्मचारी दो साल अडानी ग्रुप के साथ काम करेंगे।
ये होंगे विकास कार्य
लखनऊ एयरपोर्ट के वर्तमान घरेलू व इंटरनेशनल टर्मिनल की यात्री सुविधाएं अडानी ग्रुप बेहतर करेगा। कार्गो से लेकर रनवे के विकास और एयरलाइंस से जुड़ी कामर्शियल एक्टिविटी अडानी ग्रुप के पास होंगी। यहां रनवे की लंबाई अभी 2742 मीटर है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत बोइंग जैसे बड़े विमानों की लैंडिंग के लिए यह लंबाई 3500 मीटर होनी चाहिए। कानपुर रोड की ओर 800 मीटर रनवे के विस्तार का प्रस्ताव लंबित है। माना जा रहा है कि अब इस रनवे के विस्तार की अड़चन दूर हो जाएगी। यहां 1380 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे टर्मिनल तीन बनाने के काम में भी तेजी आएगी। यह काम 36 माह में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
ऐसा पूरा किया सफर
लखनऊ एयरपोर्ट खास उद्योगपतियों और सरकार के इस्तेमाल के लिए सन 1986 में बना था। हालांकि, इस एयरपोर्ट को 17 जुलाई 2008 को यात्रियों के लिए विकसित किया गया। मई 2012 में लखनऊ एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय दर्जा दिया गया। दो जून 2012 से नया थ्री टियर का करीब दो हजार यात्रियों की क्षमता वाला घरेलू टर्मिनल भी शुरू हो गया।