सोनिया के गढ़ में भाजपा के नए खेवनहार, अरुण जेटली की सक्रियता से हलचल
भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में अपना किला मजबूत करने के बाद यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के क्षेत्र रायबरेली पर भी निगाह लगा दी है।
रायबरेली ( रसिक द्विवेदी) भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में अपना किला मजबूत करने के बाद यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के क्षेत्र रायबरेली पर भी निगाह लगा दी है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इन दोनों क्षेत्रों को मथने के बाद अपने प्रयोग शुरू कर दिए हैं। अमेठी में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी 2014 से ही सक्रिय हैं और अब रायबरेली पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली मेहरबान हो गए हैं। इससे संकेत मिल रहे हैं कि जेटली यहां भाजपा के खेवनहार होंगे। जेटली उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य हैं। पहले तो रायबरेली को वित्तमंत्री का नोडल जिला घोषित किया गया। फिर उसे ढाई करोड़ का बजट भी मिल गया।
बजट खर्च होने को लेकर अभी प्रस्ताव नहीं
खास बात यह है कि घोषणा से लेकर बजट दिलाने तक पूरी कार्रवाई 53 दिनों में पूरी कर ली गई। यह बजट तो महज प्रतीकात्मक है। आगे कई बड़ी योजनाओं का श्रीगणेश होना है और भाजपा अरुण जेटली को यहां लाने की तैयारी कर रही है। इससे कांग्रेस समेत अन्य दलों में खलबली मच गई है। जेटली ने 30 जुलाई को रायबरेली को नोडल जिला बनाने की घोषणा की और एक अगस्त को राज्यसभा सचिवालय से इसका पत्र जारी हुआ। केंद्र सरकार ने वित्त मंत्री के नोडल जिले में विकास के लिए ढाई करोड़ रुपये भी भेज दिए हैं। वित्त मंत्री की ओर से जारी बजट रायबरेली में कहां खर्च हो यह अभी तय नहीं है। इसके लिए रायबरेली प्रशासन ने अरुण जेटली को 28 सितंबर को पत्र भेजकर उनसे प्रस्ताव की मांग की है।
जेटली की सक्रियता से विपक्ष की धड़कन तेज
रायबरेली को लेकर अरुण जेटली की सक्रियता से हलचल बढ़ गई है। जिस तरह 53 दिनों के भीतर जेटली ने रायबरेली के विकास के लिए धनराशि आवंटित कराई। उससे विपक्ष की धड़कन बढ़ गई है। जेटली 2019 में कहां से चुनाव लड़ेंगे, यह तो संसदीय बोर्ड तय करेगा लेकिन यह संदेश जरूर चला गया है कि रायबरेली के विकास में वह रुचि लेंगे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कुछ माह पहले रायबरेली में रैली को संबोधित किया था और तब विधान परिषद में कांग्रेस दल नेता दिनेश सिंह को भाजपा में शामिल कराया था। ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत स्तर पर भी बहुत से नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा के साथ हो गए हैं। इसे भाजपा के पक्ष में अच्छा संकेत माना जा रहा है। 2014 में सोनिया के मुकाबले सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अजय अग्रवाल को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया था। इस बार वित्त मंत्री का नोडल जिला बनाये जाने से क्षेत्र में चर्चा होने लगी है कि अरुण जेटली को ही पार्टी रायबरेली के समर में उतारेगी।