Lucknow Encounter: एक इंस्पेक्टर की हत्या की सुपारी लेकर लखनऊ आया था सचिन, पुलिस को देखते ही चलाई गोलियां Lucknow News
आजमगढ़ में आतंक का पर्याय बना था सचिन पांडेय। खुद का बनाया था गिरोह अकेले देता था वारदात को अंजाम। कई दिन से राजधानी में छिपा था स्थानीय पुलिस को नहीं लगी भनक।
लखनऊ, जेएनएन। आजमगढ़ में सचिन पांडेय आतंक का पर्याय बना हुआ था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, सचिन लखनऊ में एक इंस्पेक्टर की हत्या करने आया था। इसके लिए उसने सुपारी ले रखी थी। हालांकि, वह किस इंस्पेक्टर को और क्यों मारना चाहता था, इसके बारे में अधिकारी मौन हैं। एसटीएफ का कहना है कि उन्हें यह इनपुट मिला था कि सचिन लखनऊ में कोई बड़ी वारदात को अंजाम देने वाला है। कई बिंदुओं पर अभी छानबीन की जा रही है। बता दें, बीते दिन यानी रविवार को विभूतिखंड स्थित विनम्र खंड तीन में एमिटी इंटरनेशनल स्कूल के पास एसटीएफ ने 50 हजार के इनामी कांट्रेक्ट किलर को मार गिराया था।
चाय पी रहा था शूटर, पुलिस को देखते ही चलाई गोलियां
मुठभेड़ से चंद मिनटों पहले शूटर खाली प्लाट में पंडित की चाय की दुकान में बेंच पर बैठकर चाय पी ही रहा था। थोड़ी दूरी पर एक पराठे की दुकान भी है। सचिन कुछ देर पहले पराठा खाकर चाय पीने आया था। स्थानीय लोगों के मुताबिक सचिन ने करीब आठ से 10 पराठे खाए थे, जिसको लेकर दुकानदार व ग्राहक चर्चा कर रहे थे। कुछ देर बाद वह पंडित की दुकान पर चाय पीने चला गया। तभी अचानक एक गाड़ी से करीब छह लोग वहां पहुंच गए। सभी सादे कपड़ों में थे, लेकिन दो लोगों के हाथ में एके 47 थी। सभी गाड़ी से उतरते ही सचिन की तरफ दौड़े। चाय पी रहा सचिन उन्हें देखते ही भांप गया कि सभी पुलिसवाले हैं। खाली प्लॉट के पीछे और अगल-बगल मकान बने हुए हैं और सामने से एसटीएफ ने सचिन को घेर लिया था। सचिन ने बिना कुछ सोचे कमर से पिस्टल निकाल ली और एसटीएफ टीम पर फायङ्क्षरग शुरू कर दी और जवाबी कार्रवाई में मारा गया। आनन-फानन में पराठे वाले ने भी दुकान बंद कर दी और कर्मचारियों समेत वहां से चला गया। वहीं चाय दुकानदार ने भी सामान समेटा और वहां निकल गया।
संदिग्ध स्थानों पर छापेमारी
एसटीएफ का कहना है कि लगातार कुछ दिनों से सचिन की लोकेशन लखनऊ में थी। वह विभूतिखंड इलाके में ही कहीं छिपकर रह रहा था, लेकिन इसकी भनक लखनऊ पुलिस को नहीं थी। चाय की दुकान पर सचिन किसी का इंतजार कर रहा था या उसका कोई साथी वहां मौजूद था, इसके बारे में एसटीएफ को जानकारी नहीं है। शक के आधार पर एसटीएफ ने सचिन के कुछ संभावित ठिकानों पर दबिश दी है। पुलिस का कहना है कि सचिन को पनाह देने वालों के बारे में जानकारी की जा रही है, जिनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
कांट्रेक्ट किलर पर दर्ज हैं कई मुकदमे
आजमगढ़ के निजामाबाद थाने में वर्ष 2013 में सबसे पहला मुकदमा सचिन पर हत्या का दर्ज हुआ था। आरोपित ने कस्बा निजामबाद निवासी अबूल कैश की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मुकदमे में सचिन के अलावा मुहम्मद अजीम और रेहान कुरैशी भी नामजद थे। यही नहीं निजामबाद में ही रंगदारी नहीं देने पर सचिन ने किशन सोनकर की हत्या करवा दी थी। इस मुकदमे में भी तीन अन्य आरोपित नामजद थे। इसके अलावा वर्ष 2016 में देवदत्त पट्टी निजामबाद निवासी राम सूरत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसमें सचिन समेत चार लोगों पर हत्या समेत अन्य धाराओं में एफआइआर दर्ज की गई थी।
एएसपी के गनर को मार दी थी गोली
आजमगढ़ के कोतवाली थाना क्षेत्र में तत्कालीन एएसपी शैलेष पांडेय अपने हमराहियों के साथ चेकिंग पर निकले थे। 18 सितंबर 2013 की रात में उन्होंने एक स्थान पर सचिन व उसके साथियों को रोककर चेकिंग शुरू की। इसपर सचिन ने फायङ्क्षरग कर दी थी। गोली एएसपी के गनर रजनीश सिंह को लगी थी, जो गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
रंगदारी न देने पर मार देता था गोली
आजमगढ़ व आसपास के इलाकों में लोगों में सचिन का खौफ था। वह अक्सर फोन कर लोगों से रंगदारी वसूलता था। इस दौरान जो व्यक्ति उसे रंगदारी देने से मना कर देता था, उसे सचिन अपने साथियों संग गोली मार देता था। आरोपित ने आजमगढ़ के तहबरपुर निवासी संजीव जायसवाल से रंगदारी मांगी थी और धमकाया था। यही नहीं भैरोपुर कला निवासी शफात अहमद के घर पर चढ़कर उन्हें गोली मार दी थी, जिसमें वह घायल हो गए थे। शफात ने रंगदारी देने से इंकार कर दिया था। इसके अलावा सचिव व उसके साथियों ने अंजनी सोनकर को भी गोली मारकर घायल कर दिया था।