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गर्म सि‍काई से सर्वाइकल कैंसर का सटीक इलाज, लखनऊ के क्वीनमेरी में लगी प्रदेश की पहली थर्मोकॉग्युलेटर मशीन

क्वीनमेरी की डॉ. रेखा सचान के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में सबसे अधिक होने वाला कैंसर है। डब्ल्यूएचओ ने 2030 तक सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में क्वीनमेरी में थर्मोकॉग्युलेशन विधि से प्री-सर्वाइकल कैंसर के इलाज का फैसला किया गया।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 01 Jan 2021 05:27 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jan 2021 07:35 AM (IST)
गर्म सि‍काई से सर्वाइकल कैंसर का सटीक इलाज, लखनऊ के क्वीनमेरी में लगी प्रदेश की पहली थर्मोकॉग्युलेटर मशीन
गर्म स‍िकाई कैंसर को नष्ट करने में कारगर पाई गई।

लखनऊ, जेएनएन। महिलाओं में प्री-सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय-ग्रीवा) का सटीक इलाज संभव है। यूपी के क्वीनमेरी में लगाई गई पहली थर्मोकॉग्युलेटर मशीन से उपचार में बेहतर परिणाम मिले हैं। अस्पताल में 160 मरीजों का दो विधि से अलग-अलग इलाज किया गया। इसमें गर्म स‍िकाई कैंसर को नष्ट करने में कारगर पाई गई। लिहाजा, मरीजों की स्टडी को जनरल में प्रकाशन के लिए भेजा गया है।

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क्वीनमेरी की डॉ. रेखा सचान के मुताबिक, सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में सबसे अधिक होने वाला कैंसर है। डब्ल्यूएचओ ने 2030 तक सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में क्वीनमेरी में थर्मोकॉग्युलेशन विधि से प्री-सर्वाइकल कैंसर के इलाज का फैसला किया गया। अस्पताल में यूपी की पहली थर्मोकॉग्युलेटर मशीन लगाई गई। नई विधि से उपचार के परिणाम के आकलन के लिए सर्वाइकल कैंसर की महिलाओं को दो वर्गों में बांटा गया। इसमें एक वर्ग को प्रचलित क्रोयोथेरेपी (ठंडी सि‍काई) दी गई। वहीं, दूसरे वर्ग की महिलाओं का उपचार थर्मोकॉग्युलेशन विधि से (गर्म सि‍काई) किया गया। इसमें थर्मोकॉग्युलेशन से इलाज में बेहतर परिणाम मिले। इस विधि से शुरुआती सर्वाइकल कैंसर को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। स्टडी में डॉ. उमा सि‍ंंह, डॉ. मंजू लता वर्मा, डॉ. पुष्प लता शंखवार की टीम रही। इसेे इंडियन जनरल ऑफ कैंसर में प्रकाशन के लिए भेजा गया।

95 फीसद ज्यादा कारगर

डॉ. रेखा सचान ने बताया कि दो साल में ओपीडी में 1500 मरीजों में से 160 मरीजों में सर्वाइकल कैंसर की शुरुआती अवस्था पाई गई। इसमें 80 मरीजों को क्रायोथेरेपी दी गई। वहीं, 80 मरीजों को थर्मोकॉग्युलेटर से इलाज दिया गया। क्रायोथेरेपी वाले मरीजों में पानी निकलने की समस्या हो गई थी। वहीं थर्मोकॉग्युलेटर से इलाज में कोई समस्या मरीज में नहीं पाई गई। थर्मोकॉग्युलेटर से 95 फीसद ज्यादा इलाज कारगर रहा।

100 डिग्री ताप से बर्न होते कैंसर सेल

डॉ. रेखा सचान के मुताबिक, थर्मोकॉग्युलेटर में प्रोब होता है। इसका प्वाइंटर 100 डिग्री के तापमान पर गर्म किया जाता है। वहीं, कैंसर सेल की पहचान कर टारगेटेड हीट देते हैं। ऐसे में एक मिनट में कैंसर सेल्स नष्ट हो जाते हैं। इसमें मरीज का एक ही सेंट‍िंग में उपचार मुमकिन है। वहीं क्रायोथेरेपी में दो से तीन सेटि‍ंंग दी जाती थी।


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