Paan Grant : एक हजार वर्ग मीटर वाले पान, लॉकडाउन ने किसानों को सताया; अब मिलेगा अनुदान
Paan Grant लखनऊ समेत महोबा उन्नावरायबरेली वाराणसी कानपुर गोरखपुर भदोही व सोनभद्र समेत प्रदेश के 21 जिलों 700 हेक्टेयर क्षेत्र में पान की खेती होती है। छोटे पान किसानों को राहत लॉकडाउन के दौरान बर्बाद हो गई पान की खेती।
लखनऊ, जेएनएन। पान का नाम आते ही जिस खुशबू और स्वाद का एहसास होता है उसका अंदाजा तो इसके शौकीन ही लगा सकते हैं। पूजा-पाठ और अन्य शुभ कार्य में काम आने वाला पान भले ही खास हो, लेकिन पान किसानों की स्थिति अन्य किसानों के मुकाबले ज्यादा खराब है। लॉकडाउन में पान की दुकान व मंडी बंद होने से पान सड़कर बेकार हो गया। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग पान किसानों को राहत देने के लिए अनुदान देने की तैयारी कर रही है।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशक डॉ.एसबी शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की ओर अनुदान की सीमा को 1500 से घटाकर 1000 वर्ग मीटर कर दिया गया है। अनुदान के लिए खेती की सीमा अधिक होने से छोटे किसानों अनुदान नहीं मिल पाता था। उद्यान विभाग ने सीमा घटाकर एक हजार वर्ग मीटर करके छोटे पान किसानों को राहत देने का निर्णय लिया है। पहले आओ पहले पाओ के आधार पर अनुदान दिया जाएगा। रहा है। राजधानी समेत महोबा, उन्नाव,रायबरेली, वाराणसी, कानपुर, गोरखपुर, भदोही व सोनभद्र समेत प्रदेश के 21 जिलों 700 हेक्टेयर क्षेत्र में पान की खेती होती है।
ब्राह्ण कर रहे पान की खेती
राष्ट्रीय पान किसान यूनियन के महासचिव छोटेलाल चौरसिया ने पान मसाले को बंद करने की मांग की हैञ उनका कहना है कि कैंसर का कारक पान मसाला किसानों के लिए भी घातक हो रहा है। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग से मांगी गई सूचना के आधार पर राजधानी में छह पिछड़े वर्ग को अनुदान मिला है जबकि सीतापुर में 22 किसानों को मिले अनुदान में पांच ब्राह्मण भी पान उगा रहे हैं जबकि चौरसिया समाज के मात्र तीन किसानों को अनुदान दिया गया। उनका आरोप है कि गुणवत्ता युक्त पान किसान योजना और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत चौरसिया समाज के न होने पर अन्य जाति को अनुदान देने का प्रावधान है। इसके बावजूद दूसरी जातियों को अनुदान दिया गया है। उन्होंने नुकसान की भरपाई के लिए अनुदान की मांग की है।