Move to Jagran APP

90 फीसद कोरोना संक्रमित 10-12 दिन में हो जाते हैं ठीक, कुछ मरीजों को लगता है समय

हर इंसान की संरचना अलग होने की वजह से कुछ कोरोना संक्रमित मरीजों को ठीक होने में समय लगता है अन्‍यथा 90 फीसद मरीज 10-12 दिनों में ठीक हो जाते हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 07:47 AM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 10:25 AM (IST)
90 फीसद कोरोना संक्रमित 10-12 दिन में हो जाते हैं ठीक, कुछ मरीजों को लगता है समय
90 फीसद कोरोना संक्रमित 10-12 दिन में हो जाते हैं ठीक, कुछ मरीजों को लगता है समय

लखनऊ (जेएनएन)। कोरोना वायरस से संक्रमित 90 फीसद लोगों की जांच रिपोर्ट 10-12 दिन में निगेटिव हो जाती है। बाकी लोगों में कुछ लंबा समय लग सकता है। हर व्यक्ति के शरीर की मॉलीक्युलर संरचना अलग होती है। इसलिए कुछ लोगों में लंबा समय लग सकता है। यदि 10-12 दिन में रिपोर्ट निगेटिव नहीं आ रही है तो इसको लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है।

loksabha election banner

विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि रैपिड टेस्ट में लक्षण खत्म होने के बावजूद लंबे समय तक रिपोर्ट पाजिटिव आ सकती है। इंडियन एसोसिएशन कॅफ माइक्रो बायोलॉजिस्ट सदस्य डॉ. विनीता खरे के मुताबिक, माइल्ड पॉजिटिव लोगों में आरएनए वायरल लोड कम रहता है। देखा गया है कि इनमें 10-12 दिन में मॉलीक्युलर कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव हो जाती है, जबकि अधिक वायरल लोड के मरीजों में थोड़ा लंबा समय लगता है। हालांकि, रिपोर्ट पॉजिटिव रहने के बाद भी मरीज की परेशानी काफी कम हो जाती है।

डॉ.विनीता कहती है अभी हम लोगों के पास इस तरह के कम मामले हैं। इसलिए इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल में दूसरे देशों के शोध पत्र के आधार पर सारी जानकारी एकत्र की जा रही है।लांसेट जर्नल में प्रकाशित शोध में 76 मरीजों पर किए गए अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है 90 फीसद मरीजों में जांच रिपोर्ट 10-12 दिन में निगेटिव हो जाती है। मतलब, नाक और गले में वायरस खत्म हो जाता है।

देखा गया है कि नए संक्रमित कोविड-19 मरीज में जितना अधिक वायरल लोड होता है, लक्षण भी उतने गंभीर होते हैं। गंभीर मामलों में वायरल लोड माइल्ड (हल्के) केस के मुकाबले 60 गुना अधिक होता है। 10-12 दिन में माइल्ड और गंभीर केस के 90 फीसद मामले निगेटिव हो जाते हैं।

वायरल लोड के आधार पर होती है प्लानिंगअधिक वायरल लोड वाले मरीजों में दूसरी परेशानियां जैसे दिल, किडनी व फेफडे़ की परेशानी अधिक होती है। इनको आइसीयू की भी जरूरत पड़ सकती है। डॉ.विनीता का कहना है कि वायरल लोड के आधार पर इलाज की प्लानिंग में काफी मदद मिल सकती है।

ये भी पढ़ें:-  

48 घंटों में 1661 लोगों की मौत से सहमा स्‍पेन, ताबूत रखने को भी कम पड़ रही है जगह 

भारत और पाकिस्‍तान से सामने आई कुछ तस्‍वीरें अमेरिका और यूरोप के लिए बन सकती हैं सीख 

पाकिस्‍तान में भी सरकार की अपील ठुकराकर हुई थी तब्लीगी जमात, अब मिले कोरोना के 63 मामले

COVID-19: मौत के बढ़ते आंकड़ों के बावजूद इन तीन देशों को मंजूर नहीं Lockdown, तीनों की वजह भी एक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.