आइटी एक्ट के 800 मामले लंबित, ठगी के शिकार हो रहे लोग
पुलिसकर्मियों को जानकारी का अभाव। पुलिस महकमे के लिए सिरदर्द बने बढ़ते मामले।
लखनऊ(ज्ञान बिहारी मिश्र)। राजधानी के 43 थानों में आइटी एक्ट से संबंधित 800 से अधिक विवेचनाएं लंबित हैं। पीड़ित दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं और पुलिस विवेचना में हीलाहवाली करती नजर आ रही है। उधर, साइबर अपराध पर नकेल लगाने के लिए स्थापित एक मात्र शाखा साइबर क्राइम सेल संसाधनों की कमी के कारण सुस्त है। आइटी एक्ट के बढ़ते मामले पुलिस महकमे के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। नियम के मुताबिक, आइटी एक्ट से संबंधित मामलों की जाच इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी ही करते हैं। थानों में अपराध नियंत्रण से लेकर कानून व शाति व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाने वाले थानेदारों के कंधे पर आइटी एक्ट की विवेचना का भार भी बढ़ने लगा है। ऐसे में तमाम थानेदार परेशान नजर आ रहे हैं। हाल में ही पुलिस लाइन में साइबर लॉ एवं क्राइम की कार्यशाला में सेंटर फॉर रिसर्च ऑन साइबर क्राइम एंड साइबर लॉ के चेयरमैन अनुज ने पुलिसकर्मियों को विवेचनाओं के निस्तारण के तरीके बताए थे। उन्होंने डिजिटल एवीडेंस को महत्वपूर्ण बताते हुए इससे छेड़छाड़ न करने की बात कही थी। हालाकि ऑनलाइन लुटेरों को पकड़ने में नाकाम राजधानी पुलिस आइटी एक्ट से संबंधित विवेचनाओं का निपटारा नहीं कर पा रही है। साइबर का काम करने वाले पुलिसकर्मियों का कहना है कि अपराधी दूसरे प्रदेशों में बैठकर घटनाएं कर रहे हैं, जिन्हें पकड़ने के लिए समुचित पुलिस बल और संसाधन की जरूरत है।
डीजीपी ओपी सिंह ने सर्किल के थानों में तीन एडिशनल इंस्पेक्टर पोस्ट करने की पहल की थी। डीजीपी ने इंस्पेक्टरों को सम्मानजनक तैनाती देने के लिए थानेदार के अलावा तीन एडिशनल इंस्पेक्टर निरीक्षक तैनात करने के निर्देश दिए थे। हालाकि उक्त योजना विफल हो गई। ऐसे में अब साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों के मद्देनजर उच्चाधिकारी प्रत्येक थाने में एक साइबर इंस्पेक्टर की तैनाती कर नई चुनौती से निजात पा सकते हैं।