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सड़क सुरक्षा सप्‍ताह : 80 प्रतिशत मौतें सिर पर लगी चोटों के कारण

मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक राजधानी में 2017 में 642 और जनवरी 2018 से 15 सितंबर तक 421 की मौत।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 03:18 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 03:18 PM (IST)
सड़क सुरक्षा सप्‍ताह : 80 प्रतिशत मौतें सिर पर लगी चोटों के कारण
सड़क सुरक्षा सप्‍ताह : 80 प्रतिशत मौतें सिर पर लगी चोटों के कारण

लखनऊ, (सौरभ शुक्ला)। सड़क पर निकलते ही जिंदगी दांव पर लग जाती है। किस क्षण जिंदगी की आखरी सांस थम जाए इसका आकलन कर पाना मुश्किल है। हादसों का प्रमुख कारण वाहन चालकों द्वारा ट्रैफिक नियमों का न करना है। मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक सड़क दुर्घटनाओं में 80 प्रतिशत घायलों की मौत सिर्फ हेड इंजरी के कारण होती हैं।

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इस लिए बिना ब्रांडेड हेलमेट के दोपहिया वाहन और सीट बेल्ट के कारण कतई न चलाएं। वहीं, राजधानी में ट्रामा सेंटर में सड़क हादसे में घायल 30-35 लोग रोजाना इलाज के लिए आते हैं। जिसमे सबसे अधिक लोग हेड इंजरी के होते हैं। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016 में पूरे भारत में सड़क दुर्घटना में 4,80,652 हैं। जिसमे 1,50,785 लोगों की मौत हुई और 4,90,624 घायल हुए। वहीं, जबकि यूपी में 17,500 और राजधानी में 652 लोगों की मौत हुई। वहीं, राजधानी में वर्ष 2017 में कुल 642 और जनवरी 2018 से 15 सितंबर तक 421 लोगों की मौत हुई। मरने वालों मे 80 फीसद लोगों की मौत का कारण हेड इंजरी था।

ब्रांडेड हेलमेट ही लगाएं ‘सिर सुरक्षित सब सुरक्षित’

रोड सेफ्टी एक्सपर्ट सैय्यद एहतेशाम बताते हैं कि दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट अवश्य पहने। हेलमेट सड़क मानक के अनुरूप होना चाहिए। सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या सबसे अधिक सिर की चोट के कारण होती है। अगर हेलमेट अच्छा होगा तो आपका सिर सलामत रहेगा। सिर सुरक्षित सब सुरक्षित।

ऐसा हो आपका हेलमेट

हेलमेट 4151 आइएसआइ मार्का होना चाहिए। यह हेलमेट इंडियन ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री से सर्टीफाइड और पूरी तरह से सुरक्षित है। हेलमेट के अंदर कुशन और थर्माकोल उच्च क्वालिटी का होना चाहिए। ताकि सिर पर उसकी ग्रिप अच्छी बने। हेलमेट की स्टिप को बांधते समय ध्यान रखें की थोड़ी के नीचे करीब एक इंच का गैप अवश्य होना चाहिए। बिना स्टिप को बांधे हेलमेट कतई न चलाएं। नहीं तो हादसे के समय झटका लगते ही हेलमेट दूर गिरेगा और आप हेड इंजरी का शिकार होंगे।

कार में बच्चों के लिए लगवाएं इनफैंट सीट

कार में एक से डेढ़ साल बच्चों के लिए एक इनफैंट सीट लगवाएं, ताकि बच्चे उसमे सुरक्षित रहते हैं। मार्केट में दो से ढाई हजार रुपये कीमत में यह सीट आसानी से मिल जाती है। इसे पीछे की सीट पर लगाकर बेल्ट के हुक से कस सकते हैं। इससे बच्चे सुरक्षित रहेंगे। हालांकि मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट भारत सरकार द्वारा अब आटो मोबाइल कंपनियों को यह आदेश दे दिए गए हैं कि वह कार के नए माडल में इनफैंट सीट लगाकर देंगे।

सुझाव : रोड सेफ्टी एक्सपर्ट सुमित मिश्र के मुताबिक वाहन चालकों द्वारा ट्रैफिक नियम का पालन न करने के कारण सबसे अधिक हादसे होते हैं। वाहन चलाते समय चालक विशेष सावधानी बरते ताकि वह सुरक्षित रहें और दूसरों को भी सुरक्षित रखे।

हेलमेट दुर्घटना की स्थिति में सुरक्षित रहने की संभावना को 50 प्रतिशत बढ़ा देता है। हेलमेट सिर एवं स्पाइन की चोट को बचाता है। हेलमेट आंखों को भी सुरक्षित रहता है। सीट बेल्ट पहनने से दुर्घटना की स्थिति में सुरक्षित रहने की संभावना दोगुनी हो जाती है। सीट बेल्ट दुर्घटना होने पर वाहन के अंदर टकराकर या बाहर गिरकर चोट खाने से बचाता है। सीट बेल्ट पहनने से एयर बैग सही काम करता है।

प्रत्येक बुधवार हेलमेट और सीट बेल्ट जागरूकता दिवस

शासन के आदेश पर यातायात माह पर पुलिस और परिवहन विभाग द्वारा अब हर बुधवार को हेलमेट और सीट बेल्ट जागरूकता दिवस मनाया जाएगा। इस अभियान में बिना हेलमेट और सीट बेल्ट के वाहन चलाने वालों के वाहनों का चालान किया जाएगा।

बच्चों को गोद में बैठाकर सीट बेल्ट लगाया तो टूट सकती है हड्डी

रोड सेफ्टी एक्सपर्ट के अनुसार बच्चों को गोद में बैठाकर सीट बेल्ट न लगाएं। ऐसी स्थिति में हादसे के समय झटका लगने पर आपकी रीढ़ की हड्डी टूट सकती है और बच्चा गोद से छिटककर शीशे से टकरा कर बाहर गिर सकता है। यदि पीछे बैठे होंगे तो सीट से टकराकर पुन: पीछे आ सकता है। इस स्थिति में बच्चे के गले की हड्डी टूट सकती है। गाड़ी की सीट बेल्ट सिर्फ एक ही व्यक्ति के हिसाब से सेट होती है।


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