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यूपी में ऑपरेशन कायाकल्प से अछूते 58% प्राइमरी स्‍कूल, पड़ताल में सामने आए कई चौंकाने वाले सच

यूपी के प्राइमरी स्‍कूलों को मूलभूत सुविधाओं से लैस करने को जिस ऑपरेशन कायाकल्प योजना की जोरशोर से डुगडुगी पीटी जा रही है आधे से ज्यादा स्कूल उससे अछूते हैं। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से आइवीआरएस के जरिये करायी गई पड़ताल में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 02:28 AM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 06:40 PM (IST)
यूपी में ऑपरेशन कायाकल्प से अछूते 58% प्राइमरी स्‍कूल, पड़ताल में सामने आए कई चौंकाने वाले सच
यूपी में बेसिक शिक्षा विभाग की पड़ताल में ऑपरेशन कायाकल्प का हाल सामने आया है। (सांकेतिक तस्वीर)

लखनऊ [राजीव दीक्षित]। उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्‍कूलों को आकर्षक बनाने और मूलभूत सुविधाओं से लैस करने के लिए जिस ऑपरेशन कायाकल्प योजना की जोरशोर से डुगडुगी पीटी जा रही है, आधे से ज्यादा स्कूल उससे अछूते हैं। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से हाल ही में इंटरऐक्टिव वायस रिस्पांस सिस्टम (आइवीआरएस) के जरिये करायी गई पड़ताल में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। यूपी के 1,22,583 स्कूलों से की गई पूछताछ में पता चला कि 71,702 यानी 58.5 प्रतिशत विद्यालयों में ऑपरेशन कायाकल्प की कोई गतिविधि ही नहीं संचालित है। यह भी सच्चाई सामने आई है कि प्रदेश के 28,360 हजार परिषदीय स्कूल ऐसे हैं जो बिजली की सुविधा से वंचित हैं। वजह यह है कि इन स्कूलों से बिजली के निकटतम खंभे की दूरी 40 मीटर से ज्यादा है। 

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उत्तर प्रदेश के जिन प्राइमरी स्कूलों में ऑपरेशन कायाकल्प की गतिविधियां ठप हैं, उनमें से 43,709 विद्यालयों (61 प्रतिशत) की ओर से बताया गया कि इसमें ग्राम प्रधान या ग्राम पंचायत सचिव का सहयोग नहीं मिल रहा है। वहीं 25,165 स्कूलों की ओर से ग्राम पंचायत निधि में धनराशि की किल्लत को जिम्मेदार ठहराया गया। 3139 विद्यालयों (4.4 प्रतिशत) की ओर से कहा गया कि खंड शिक्षा अधिकारी सहयोग नहीं कर रहे हैं। बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.सतीश चंद्र द्विवेदी का कहना है कि ऑपरेशन कायाकल्प के लिए अंतरविभागीय समन्वय की जरूरत होती है। हम पंचायती राज विभाग का ध्यान इन तथ्यों की ओर आकर्षित करेंगे। असहयोग करने वाले खंड शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

14 मूलभूत सुविधाओं से लैस करने का निर्देश : यह स्थिति तब है जब शासन ने परिषदीय स्कूलों को सितंबर 2020 तक ऑपरेशन कायाकल्प के तहत 14 मूलभूत सुविधाओं से लैस करने का निर्देश दिया था। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में ऑपरेशन कायाकल्प की गतिविधियां राज्य वित्त आयोग की संस्तुतियों पर पंचायतों को मिलने वाली धनराशि से संचालित की जा रही हैं। नगरीय क्षेत्र के स्कूलों में इसके लिए केंद्रीय व राज्य वित्त आयोग, स्मार्ट सिटी फंड, निकाय निधि के इस्तेमाल की व्यवस्था है। जिला खनिज निधि और स्कूलों को मिलने वाली कंपोजिट ग्रांट की धनराशि से भी मरम्मत के कार्य कराये जा सकते हैं।

स्कूलों में कराये जाने यह काम : ऑपरेशन कायाकल्प के तहत विद्यालयों में ब्लैक बोर्ड, छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय व मूत्रालय, स्वच्छ पेयजल व मल्टिपल हैंडवाशिंग सिस्टम, स्कूल की दीवारों, छत तथा दरवाजे-खिड़की व फर्श की मरम्मत, फर्श में टाइल्स लगाना, विद्युतीकरण, किचन शेड का जीर्णोद्धार, फर्नीचर, चहारदीवारी व गेट का निर्माण, विद्यालय प्रांगण में इंटरलॉकिंग टाइल्स लगाना, अतिरिक्त क्लासरूम का निर्माण आदि कार्य कराये जाने हैं।

28 हजार से ज्यादा परिषदीय स्कूल बिजली से वंचित : उत्तर प्रदेश के 28,360 हजार परिषदीय स्कूल ऐसे हैं जो बिजली की सुविधा से वंचित हैं। वजह यह है कि इन स्कूलों से बिजली के निकटतम खंभे की दूरी 40 मीटर से ज्यादा है। स्कूलों को बुनियादी सुविधाओं से लैस करने में जुटे बेसिक शिक्षा विभाग ने जब स्कूलों में बिजली की सुविधा न होने के कारणों का प्रेरणा पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण किया तो यह तथ्य सामने आया। इनमें से 21665 स्कूल ऐसे हैं जिनसे बिजली का निकटतम पोल 40 से 80 मीटर दूर है। वहीं 125 स्कूल ऐसे हैं जिनसे बिजली के निकटतम खंभे की दूरी एक किलोमीटर से भी ज्यादा है। बिजली विभाग सामान्यत: बिजली के निकटतम खंभे से 40 मीटर की दूरी तक के भवनों में कनेक्शन चार्ज जमा करने पर कनेक्शन दे देता हैं। इससे ज्यादा दूरी पर कनेक्शन देने के लिए बिजली विभाग इस पर आने वाले खर्च की धनराशि की मांग करता है।

बिजली के खंभे की ज्यादा दूरी बनी समस्या : वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले शासन ने स्कूलों में बिजली का कनेक्शन मुहैया कराने के लिए 32.67 करोड़ रुपये मुहैया कराये थे। यह राशि उन परिषदीय स्कूलों को बिजली कनेक्शन से जोड़ने के लिए दी गई थी जिनमें चुनाव के लिए पोलिंग स्टेशन बनाये जाने थे। बिजली के खंभे से 40 मीटर तक के दायरे में आने वाले स्कूल भवनों को कनेक्शन मुहैया कराने के लिए 6995 रुपये प्रति स्कूल की दर से धनराशि मुहैया करायी गई थी। जो स्कूल खंभे से 40 मीटर से कम दूरी के फासले पर थे, उनमें तो बिजली के कनेक्शन दे दिये गए लेकिन 40 मीटर से अधिक दूरी पर स्थित स्कूल बिजली कनेक्शन से वंचित हैं।

बिजली कनेक्शन का काम 15 अक्टूबर तक कराने का निर्देश : महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि स्कूलों के विद्युतीकरण के लिए पूर्व में दी गई धनराशि में से बचे हुए 4.7 करोड़ रुपये से स्कूलों को बिजली कनेक्शन दिलाने का काम 15 अक्टूबर तक कर लिया जाए। इसमें उन स्कूलों को वरीयता दी जाए जिनसे भवन बिजली के पोल से अधिकतम दूरी पर हों। यदि जिले में उपलब्ध धनराशि से बाकी स्कूलों को कनेक्शन दिलाना संभव न हो तो उस स्थिति में शेष विद्यालयों के विद्युतीकरण के खर्च का एस्टीमेट 30 सितंबर तक उनके कार्यालय को उपलब्ध कराया जाए। महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने कहा कि पहली कोशिश यह होगी कि इन स्कूलों में बिजली कनेक्शन ऑपरेशन कायाकल्प के अंतर्गत कराया जाए।


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