Indian Railway: गंदे बेडरोल में लिपटे रेलवे के दावे, छह माह में 3700 शिकायतें; 23% खराब खाना की भी कंप्लेन
Indian Railway 3700 शिकायतें लखनऊ मंडल में छह महीने में की गईं। 1369 शिकायतें गंदे बिस्तर बेडरोल न देने और वसूली की भी। खराब खाने का नंबर दूसरा।
लखनऊ, जेएनएन। चित्रकूट एक्सप्रेस की एसी फस्ट में शुक्रवार को यात्री हैरी लखनऊ जंक्शन से जबलपुर के लिए सवार हुए। एसी फस्र्ट में अटेंडेंट ने उनको जो बेडरोल दिया। वह बहुत गंदा निकला। यह बेडरोल लखनऊ जंक्शन पर ही बनी मैकेनाइज्ड लांड्री से साफ होकर निकले थे। कुछ इसी तरह साबरमती एक्सप्रेस से लखनऊ से झांसी जा रहे प्रेम सिंह धूमन को एसी सेकेंड बोगी में बेडरोल मिला तो उसकी तकिया का कवर गंदा था। खाकी लिफाफे में रखी दोनों चादरें भी इस्तेमाल की हुईं थी।
रेलवे के मैकेनिज्म और दावों को चुनौती दे रहे यह वह मामले हैं। जो सोशल मीडिया के जरिए रेलवे के कंट्रोल रूम को हासिल हुए हैं। टीटीई के पास मिलने वाली शिकायत पुस्तिका में ऐसी शिकायतों का जिक्र तक नहीं हो रहा है। रेलवे में पिछले छह महीनों में आयी शिकायतों में से सबसे अधिक मामले गंदे बेडरोल के सामने आए हैं। ऐसा तब है जब उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की बेडरोल को साफ करने के लिए मैकेनाइज्ड लांड्री चारबाग में ही बनी हुई हैं। उत्तर व पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की छह महीनें में आयी 3700 शिकायतों में से 1369 शिकायतें गंदे बेडरोल, बेडरोल न देने और उसके नाम पर वसूली करने की आयी हैं। पिछले दिनों ही जम्मूतवी वाराणसी बेगमपुरा एक्सप्रेस में बी-2 में नौ व 12 पर कुंवर श्रीवास्तव सवार हुए। उनको रास्ते में बेडरोल ही नहीं दिया। रायपुर गरीब रथ में यात्री सौरभ ने तीन फरवरी का टिकट बुक कराने के साथ 25 रुपये बेडरोल का दे दिया। लेकिन यात्री सीट पर पहुंचा तो अटेंडेंट ने 25 रुपये वसूल कर लिया। जबकि 15054 लखनऊ छपरा एक्सप्रेस बी-2 में नीरज कुमार जयसवाल सहित कई यात्रियों को बाराबंकी तक भी बेडरोल नहीं दिया गया।
इनकी भी आयीं शिकायतें
गंदे बेडरोल के बाद सबसे अधिक 23 प्रतिशत शिकायत खराब खाना और ट्रेनों के समय पर न चलने की आयी। जबकि शौचालय की गंदगी, बायोटॉयलेट के चोक होने, मोबाइल चार्जिंग व लाइट काम न करने, अधिक किराया वसूलने की भी शिकायतें मिली हैं।
प्राफिट का खेल
दरअसल, रेलवे अपने ठेकेदार को हर पैकेट पर धुलाई का 26 रुपये का भुगतान करता है। एक पैकेट में दो चादर, एक तकिया कवर और एक छोटी तौलिया होती है। मुनाफाखोरी के लिए ठेकेदार चादर और तकिया कवर को दो से अधिक बार इस्तेमाल करता है। उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में एक लाख से अधिक चादरों का भंडार है।
इन ट्रेनों में अधिक शिकायतें
साबरमती एक्सप्रेस, पटना-कोटा एक्सप्रेस, कैफियत एक्सप्रेस, पद्मावत एक्सप्रेस, फैजाबाद दिल्ली एक्सप्रेस, नीलांचल एक्सप्रेस, बरौनी ग्वालियर मेल, गोरखपुर पनवेल एक्सप्रेस, लखनऊ छपरा एक्सप्रेस
बेहतर हैं इनके बेडरोल
लखनऊ मेल, पुष्पक एक्सप्रेस, लखनऊ एलटीटी एसी सुपरफास्ट, काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस, लखनऊ चंडीगढ़ सुपरफास्ट, नई दिल्ली एसी एक्सप्रेस, गोरखधाम एक्सप्रेस
वीआइपी ट्रेन में भी सफाई नहीं
रेलवे ने कई ट्रेनों में ऑन बोर्ड क्लीनिंग सिस्टम की व्यवस्था लागू की है। हालांकि उनके लिए जो सीट नंबर आवंटित की गई है। उनपर जल्दी सफाई कर्मी नहीं दिखते। लखनऊ मेल की स्लीपर बोगी एसई में यात्रियों ने कीचड़ आ जाने की शिकायत की थी। इस बोगी की सफाई नई दिल्ली पहुंचने तक की ही नहीं गई।