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उत्तर प्रदेश के सभी नौ होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों के 352 संविदा शिक्षक व कर्मियों की सेवा समाप्त

उत्तर प्रदेश के सभी नौ राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों में संविदा पर तैनात 192 शिक्षकों व 152 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 01:48 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 01:48 AM (IST)
उत्तर प्रदेश के सभी नौ होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों के 352 संविदा शिक्षक व कर्मियों की सेवा समाप्त
उत्तर प्रदेश के सभी नौ होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों के 352 संविदा शिक्षक व कर्मियों की सेवा समाप्त

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के सभी नौ राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों में संविदा पर तैनात 192 शिक्षकों और 152 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। वर्ष दिसंबर 2017 को इनकी नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी हुआ था और जून-जुलाई 2018 में इन्हें तैनाती मिली थी। फिलहाल नियमों को ताक पर रखकर हुई नियुक्ति की शिकायत होने पर तत्कालीन होम्योपैथिक निदेशक डॉ. वीके विमल को पद से हटाने के बाद जांच हुई थी। आयुष विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रशांत त्रिवेदी ने बताया कि नियुक्ति में गड़बड़ियों को लेकर लोकायुक्त के यहां शिकायत हुई थी। इसके बाद जो जांच की गई उसमें गड़बड़ी उजागर हुई है, ऐसे में संविदा शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया गया है और अब आयोग के माध्यम से पूर्णकालिक शिक्षक की भर्ती पर जोर दिया जा रहा है। नए सिरे से संविदा पर भी जरूरत के अनुसार भर्ती होगी। वैसे भी संविदा का नवीनीकरण हर साल किया जाता है, और यह विभाग परफार्मेंश के आधार पर करता है।

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यूपी में गाजीपुर, कानपुर, मुरादाबाद, आजमगढ़, अयोध्या, अलीगढ़, प्रयागराज, लखनऊ और गोरखपुर के राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों में संविदा पर भर्ती हुए 196 शिक्षकों की सेवाएं क्रमबद्ध तरीके से 30 जून तक और 156 कर्मचारी जिसमें लैब टेक्नीशियन, लाइब्रेरियन, क्लर्क व अन्य स्टाफ शामिल को बीती 20 जुलाई को पद से हटा दिया गया। ऐसे में संविदा पर भर्ती सभी शिक्षकों व कर्मचारियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया है।उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक संविदा शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव डॉ. एसपी राय का कहना है कि जांच में किसी भीअभ्यर्थी को अनुचित लाभ देने की बात सही साबित नहीं हुई है। इसमें से तमाम शिक्षक लोक सेवा आयोग द्वारा चिकित्साधिकारी पद पर भी चयनित हुए हैं, अगर वह मेरिट के आधार पर चयनित न होते तो फिर चिकित्साधिकारी कैसे बन गए।

डॉ. एसपी राय ने कहा कि वर्ष 2016-17 में शिक्षकों की कमी के कारण गाजीपुर, कानपुर व मुरादाबाद के मेडिकल कॉलेजों की मान्यता एक साल के लिए स्थगित कर दी गई थी। चार मेडिकल कॉलेजों को मानक पूरे करने की चेतावनी देकर ग्रे लिस्ट में डाला गया था। शिक्षकों के 388 पदों में से सिर्फ 70 ही नियमित शिक्षक हैं। ऐसे में संविदा शिक्षकों को हटाए जाने के बाद पढ़ाई कैसे होगी? फिर इन संविदा पर भर्ती तमाम शिक्षक एमडी पास हैं। वहीं रेग्युलर पदों पर भर्ती 70 शिक्षकों में से आधे शिक्षक एमडी नहीं हैं। ऐसे में लखनऊ व प्रयागराज के राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों में नान एमडी शिक्षक एमडी विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। फिलहाल शिक्षकों को हटाए जाने का विरोध होगा।


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