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Mission Shakti: 'मिशन शक्ति' की कसौटी पर खरे नहीं उतरे 22 जिलों की पुलिस, अफसरों से होगा जवाब तलब

Mission Shakti उत्तर प्रदेश में मिशन शक्ति के तहत महिलाओं व बच्चों के साथ हुई संगीन घटनाओं में आरोपितों को सजा दिलाने में 22 जिले फिसड्डी रहे हैं। एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय ने इसे लेकर एक रिपोर्ट गृह विभाग को सौंपी है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 10:16 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 10:16 PM (IST)
Mission Shakti: 'मिशन शक्ति' की कसौटी पर खरे नहीं उतरे 22 जिलों की पुलिस, अफसरों से होगा जवाब तलब
महिलाओं व बच्चों के साथ हुई संगीन घटनाओं में आरोपितों को सजा दिलाने में 22 जिले फिसड्डी रहे हैं।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में 'मिशन शक्ति' के तहत महिलाओं व बच्चों के साथ हुई संगीन घटनाओं में आरोपितों को सजा दिलाने में 22 जिले फिसड्डी रहे हैं। एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय ने इसे लेकर एक रिपोर्ट गृह विभाग को सौंपी है। रिपोर्ट में मिशन शक्ति के तहत की गई कार्रवाई का ब्योरा दिए जाने के साथ ही 22 जिलों के प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल भी उठाए गए हैं। कहा गया है कि इन जिलों के अधिकारियों ने अभियान के तहत आरोपितों को सजा दिलाने में रुचि नहीं ली।

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उत्तर प्रदेश के अभियोजन विभाग की रिपोर्ट में अलीगढ़, एटा, देवरिया, कुशीनगर, गोंडा, श्रावस्ती, बहराइच, बलरामपुर, कानपुर देहात, इटावा, जालौन, झांसी, ललितपुर, सीतापुर, रायबरेली, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, प्रयागराज, शामली, कौशाम्बी, मऊ व भदोही में अभियान के तहत आरोपितों को सजा दिलाने में रुचि न लिए जाने की बात कही गई है।

एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय के अनुसार मिशन शक्ति के तहत सूबे में 600 आरोपितों की जमानत खारिज कराई गई। इसके अलावा 42 मुकदमों में 86 आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा दिलाई गई। 65 मामलों में 96 आरोपितों को 10 वर्ष व उससे अधिक की सजा दिलाने में कामयाबी मिली। इसके अलावा 296 आरोपितों को जिला बदर कराया गया।

अभियान अधिकारियों की मजबूत पैरवी के चलते महिलाओं व बच्चों के साथ हुए जघन्य अपराधों में बीते एक वर्ष में अब तक 11 मुकदमों में 18 आरोपितों को फांसी की सजा दिलाई गई है। एडीजी का कहना है कि जिन जिलों में अभियान के तहत कार्रवाई पीछे रही है, उनके अभियोजन अधिकारियों से जवाब मांगा जा रहा है।


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