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177 इंजीनियरिंग कॉलेजों में नहीं हुआ एक भी एडमिशन, तीन राउंड की मुख्य काउंसिलिंग खत्म

593 इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट कॉलेजों में से 177 कॉलेज ऐसे हैं जिसमें मुख्य काउंसिलिंग में नहीं भर पाई एक भी सीट।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Jul 2018 10:08 AM (IST)Updated: Tue, 24 Jul 2018 11:36 AM (IST)
177 इंजीनियरिंग कॉलेजों में नहीं हुआ एक भी एडमिशन, तीन राउंड की मुख्य काउंसिलिंग खत्म
177 इंजीनियरिंग कॉलेजों में नहीं हुआ एक भी एडमिशन, तीन राउंड की मुख्य काउंसिलिंग खत्म

लखनऊ(जागरण संवाददाता)। सूबे में इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट कॉलेजों में सीटें भरना मुश्किल हो गया है। 593 इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट कॉलेजों में से 177 कॉलेज ऐसे हैं जिसमें मुख्य काउंसिलिंग में एक भी सीट नहीं भर पाई है। इन कॉलेजों में दाखिले के लिए एक भी विद्यार्थी को सीट आवंटित नहीं हुई है। मुख्य काउंसिलिंग में कुल 1.34 लाख सीटों में से 29 हजार सीटें भरना मुश्किल हो गया है।

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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) से संबद्ध इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट कॉलेजों में तीन राउंड की मुख्य काउंसिलिंग खत्म हो चुकी है। काउंसिलिंग में करीब 29500 विद्यार्थियों को सीटें आवंटित की गईं हैं, इसमें भी लगभग 3700 ऐसे हैं जिन्होंने फीस नहीं भरी है। एकेटीयू के मीडिया इंचार्ज आशीष मिश्र का कहना है कि कॉलेजों पर लगातार निगरानी व सख्ती की जा रही है। बीबीएयू दाखिले में फिर उठे आरक्षण पर सवाल:

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (बीबीएयू) में अब एमबीए कोर्स की मेरिट लिस्ट में आरक्षण को गलत ढंग से लागू करने पर सवाल उठे हैं। विद्यार्थियों ने मामले की लिखित शिकायत कुलपति प्रो. आरसी सोबती से की है। पत्र में एससी-एसटी के विद्यार्थियों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया गया है।

छात्र सुधाकर पुष्कर का कहना है कि एमबीए में कुल 240 सीटें हैं और इसमें आरक्षित श्रेणी के विद्यार्थियों का हक मारा जा रहा है। रजिस्ट्रार प्रो. आरबी राम ने शिकायतकर्ताओं को आश्वासन दिया कि वह मामले की पड़ताल करवाएंगे और अगर कहीं कोई खामी है तो वह दूर होगी। विद्याथी बोले कि एमबीए रूरल मैनेजमेंट कोर्स सहित विभिन्न कोर्सेज में मेरिट लिस्ट में शामिल एससी-एसटी कैटेगरी के कई विद्यार्थियों को दाखिले के लिए आमंत्रित ही नहीं किया गया। बीबीएयू में एससी-एसटी श्रेणी के विद्यार्थियों को 50 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था है। इसके बावजूद खेल किया जा रहा है।


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