तेंदुए की मौत के मामले में बोलने से बच रहे ग्रामीण
जागरण संवाददाता, लखनऊ : राजधानी के आशियाना स्थित औरंगाबाद क्षेत्र में बीते शनिवार को हुई तेंदुए की म
जागरण संवाददाता, लखनऊ : राजधानी के आशियाना स्थित औरंगाबाद क्षेत्र में बीते शनिवार को हुई तेंदुए की मौत के मामले में क्षेत्र के लोग खुलकर नहीं बोल रहे हैं। तेंदुए की मौत पुलिस की गोली से हुई, या किसी और की गोली से, यह अभी भी पहेली बनी हुई है। गांव वाले भी तरह-तरह की कहानी बता रहे हैं, जिससे जांच अधिकारी को जांच करने में काफी परेशानी हो रही है।
वारदात के फौरन बाद पुलिस इस बात का श्रेय ले रही थी कि तेंदुए की दहशत एसएचओ ने खत्म की है। कुछ देर बाद उसके सुर बदल गए, और सिर्फ गोली चलाने की बात कही। वहीं तेंदुए की मौत के बाद वन विभाग की टीम पर कई सवाल उठे। विभाग ने अपनी लापरवाही मानते हुए तत्काल तेंदुए की मौत पर अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कराया। जांच की जिम्मेदारी एसडीओ अयोध्या प्रसाद को सौंपी। एसडीओ ने बताया कि जांच चल रही है, साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। गांव वाले खुल कर बात नहीं कर रहे हैं, शायद कुछ डरे हुए हैं। इसीलिए अलग-अलग कहानी बता रहे हैं। मौके पर भी कोई कारतूस का खोखा भी नहीं मिला है।
वन विभाग ने इस मामले में राजधानी में तैनात एक वन संरक्षक स्तर के अधिकारी की गैरहाजिरी पर नोटिस भी जारी किया है। लुप्तप्राय परियोजना को देख रहे वन संरक्षक स्तर केअधिकारी से गैरहाजिर रहने का कारण पूछा गया है। साथ ही उन फील्ड कर्मियों के बारे में भी पड़ताल की जा रही है जो शनिवार को मौके पर नहीं थे। आशियाना में जान गंवाने वाले तेंदुए के मामले में देश के अन्य वन्यजीवप्रेमियों में भी गुस्सा दिखने लगा है। लखनऊ की पशुप्रेमी कामना पांडेय ने लखनऊ पुलिस की संवेदनहीनता का मामला एनटीसीए, वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल बोर्ड, एनिमल वेल्फेयर बोर्ड ऑफ इंडिया में उठाया है। मामले में कई फुटेज, तस्वीरों और लेखों को भी भेजा गया है। मुख्य वन संरक्षक अवध के प्रवीण राव के बताया कि जांच अधिकारियों द्वारा उन सभी कर्मियों के बयान लिये जाएंगे जो शनिवार को वारदात के दौरान फील्ड में थे।