अंबेडकर लाए थे संस्कृत को राजभाषा बनाने का प्रस्ताव
- उप्र संस्कृत संस्थान में डॉ. भीमराव अंबेडकर परिनिर्वाण दिवस समारोह - वक्ताओं ने माल्यार्पण कर उन
- उप्र संस्कृत संस्थान में डॉ. भीमराव अंबेडकर परिनिर्वाण दिवस समारोह
- वक्ताओं ने माल्यार्पण कर उनके विचारों को जीवन में उतारने की अपील की
जागरण संवाददाता, लखनऊ:
भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की याद में बुधवार को परिनिर्वाण दिवस मनाया गया। वक्ताओं ने कहा कि अंबेडकर संस्कृत को राजभाषा बनाने का प्रस्ताव लाए थे। इस दौरान बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। साथ ही उनके विचारों को जीवन में उतारने की सभी ने अपील की।
न्यू हैदराबाद स्थित उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान में डॉ. भीमराव अंबेडकर परिनिर्वाण दिवस समारोह मनाया गया। संस्थान के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र ने कहा कि भारत की राजभाषा संस्कृत हो। इसका प्रस्ताव संविधान सभा में लाने वाले भी अंबेडकर ही थे। उन्होंने कहा कि जब संविधान सभा में राजभाषा के संबंध में चर्चा हो रही थी, तभी डॉ. अंबेडकर और पंडित लक्ष्मीकांत मैत्रा परस्पर संस्कृत में ही वार्तालाप कर रहे थे। कार्यक्रम में जगदानंद झा के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. नवलता, प्रो. ओमप्रकाश पाडेय, डॉ. श्यामलेश और प्रो. कृष्ण कुमार मिश्र सहित अन्य वक्ताओं ने विचार रखे। उधर, महामना राम स्वरूप वर्मा शोध संस्थान की ओर से राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में भी डॉ. भीमराव अंबेडकर का परिनिर्वाण दिवस मनाया गया। मिर्जापुर से आए भंते अशोकानंद ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने इंसानियत व मानवता का पैगाम दिया। उन्होंने समतामूलक समाज के लिए अपना जीवन व्यतीत किया। इस मौके पर राम चंद्र वर्मा, संतराम गौतम व कमलेश मौर्या सहित अन्य ने बाबा साहब की शिक्षाओं पर चलने की अपील की।