लखनऊ: 23 दिन में 13 गोलीकांड से दहली राजधानी, ताबड़तोड़ फायरिंग से छलनी हो रही कानून व्यवस्था Lucknow News
लखनऊ में एक महीने में हुईं घटनाओं में हमलावरों ने चलाईं अंधाधुंध गोलियां। 23 दिन में हुई 13 गोलीकांड।
लखनऊ, जेएनएन। राजधानी में बेखौफ बदमाश एक के बाद एक वारदात कर रहे हैं। गत 23 दिन में हुए 13 गोलीकांड से लखनऊ दहल गया है। बीती सोमवार को एपी सेन रोड पर बाइक सवार शूटर ने रेलकर्मी मोहम्मद शहनवाज को गोलियां मार दी थीं। मंगलवार को शाहनवाज ने दम तोड़ दिया, जबकि इसके एक दिन पहले कैंट कोतवाली के करीब पूड़ी सब्जी बेचने वाले दीपू की अंधाधुंध गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी। सितंबर महीने में हुए अब तक जिस तरह तबाड़तोड़ फायरिंग करके वारदात की जा रही हैं उससे साफ है कि शहर में अवैध असलहों की बड़ी खेप आ गई है।
सक्रिय तस्करों से यह असलहे दुर्दांत अपराधियों के अलावा भी कई छोटे अपराधियों के हाथ लग चुके हैं।पिछले कई महीनों से हथियारों के तस्कर पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ सके हैं। मोहनलालगंज में प्रॉपर्टी डीलर अशोक यादव हत्याकांड से लेकर अमीनाबाद के भीड़भाड़ इलाके में हत्याएं करने के लिए हमलावरों ने अवैध असलहों का इस्तेमाल किया गया है। अब हमलावर पिस्टल का इस्तेमाल कर रहे हैं। अपराधी मुंगेर मेड देशी पिस्टल का खूब इस्तेमाल करते हैं। खासतौर पर 7.65 बोर वाली पिस्टल चलन में है। अपराधियों के पास अब पिस्टल होने का बड़ा कारण इसकी गोलियों की उपलब्धता है।
सूत्रों के मुताबिक अवैध फैक्ट्रियों में हथियार तो बन जाते हैं लेकिन गोलियां नहीं बनतीं। ऐसे में हथियार बनाने वाले वैसे हथियार ही तैयार करते हैं जिसकी गोली आसानी से उपलब्ध हो। जिस साइज की गोली उपलब्ध होती है उसी के अनुसार हथियार तैयार किए जाते हैं।
23 दिन 13 गोलीकांड
- 2 में लाइसेंसी बंदूक से चली गोली
- 11 घटनाओं में लहराए अवैध असलहे
- 5 की मौत
- 9 का खुलासा
- 4 में अब भी विवेचना जारी
- 40 हजार लाइसेंसी शस्त्र हैं जिले में
18 से 25 हजार है कीमत
सूत्रों के मुताबिक अवैध फैक्ट्री में तैयार 9 एमएम की पिस्टल मुंगेर में 18 से 25 हजार तक में उपलब्ध हो जाती है। इसी पिस्टल की डिलीवरी अगर दिल्ली में करनी हो तो कीमत एक लाख तक हो जाती है। लेथ मशीन से बैरेल तैयार किया जाता है। हथियारों में इस्तेमाल होने वाले स्प्रिंग कानपुर व देश के अन्य हिस्सों से मंगाए जाते हैं।
इन हथियारों की ज्यादा है मांग
पुलिस की गिरफ्त में आए हथियार तस्करों का दावा है कि 9 एमएम, 7.65 एमएम, 7.62 एमएम, प्वाइंट 32 एमएम और प्वाइंट 38 एमएम पिस्टल की देशभर में मांग है। इनमें मैग्जीन लगती है। साथ ही ये आसानी से उपलब्ध हैं।