लखनऊ में 113वां दादा मियां का सालाना उर्स नौ नवंबर से
लखनऊ शहर-ए-लखनऊ की गंगा जमुनी रंग की तस्वीर दादा मियां की मजार पर नजर आती है। पांच दिवसीय उर्स का आगाज नौ नवंबर को होगा। लखनऊ उर्स से पहले मालएवेंयू स्थित दरगाह में परचम कुशाई की रस्म अदा की।
लखनऊ, जेएनएन। नजाकत और नफासत के शहर-ए-लखनऊ की गंगा जमुनी रंग की तस्वीर दादा मियां की मजार पर नजर आती है। यहां मुस्लिम जितनी सिद्दत से आता है उतनी ही सिद्दत से हिंदू भी आकर सिर झुकाता है। गंगा जमुनी तहजीब को अपने आंचल में छिपाए हजरत दादा मियां का सलाना का 113वां सलाना उर्स अगले महीने शुरू होगा। पांच दिवसीय उर्स का आगाज नौ नवंबर को होगा। उर्स से पहले मंगलवार को माल एवेंयू स्थित दरगाह शरीफ पर परचम कुशाई की रस्म अदा की गई।
हर साल की तरह इस साल भी सूफी नूर मुहम्मद फसाहती कानपुर ने अपने मुरीदों के साथ परचम लेकर आए। परचम कुशाई दरगाह के सज्जादा नशीन हजरत मुहम्मद शबाहत हसन शाह की सदारत और फरहत मियां व मिस्बा मियां की मौजूदगी में पूरा हुआ। परचम कुशाई से पहले महफिले समा का आयोजन हुआ, जिसमें कव्वालों ने सूफियाना कलाम पेश किए। इससे पहले दारुल उलूम शाहे रजा के मोहतमिम कारी ज़रीफ जहांगीरी ने परचम कुशाई के महत्व के बारे में लोगों को बताया।
इस मौके पर दरगाह शरीफ के सज्जादा नशीन हजरत मुहम्मद शबाहत हसन शाह ने खुशी का इजहार करते हुए माहे रबी अव्वल की मुबारकबाद पेश की और शासन व प्रशासन से अपील करते हुए कहा कि सभी कार्यक्रमों में अपना पूरा सहयोग देने की कृपा करें। इस बार कोविड-19 को ध्यान रखते हुए और प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार उर्स मुबारक के सारे कार्यक्रमों को किया जाएगा, जिससे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक इस उर्स का आयोजन सही ढंग से हो सके।