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उजाड़ दिए गए ताजमहल के आसपास खड़े 11 हजार पेड़

ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट हरा-भरा क्षेत्र बचाने को कह रहा है परंतु आगरा में वन विभाग अफसरों ने ही 11 हजार पेड़ कटवा दिए। बाबरपुर में बिल्डर ने बड़े पैमाने पर जमीन हथियाई है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 06 May 2016 05:27 PM (IST)Updated: Fri, 06 May 2016 05:31 PM (IST)
उजाड़ दिए गए ताजमहल के आसपास खड़े 11 हजार पेड़

लखनऊ। ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट हरा-भरा क्षेत्र बचाने को कह रहा है परंतु आगरा में वन विभाग अफसरों ने ही 11 हजार पेड़ कटवा दिए। नेशनल ग्र्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के पर्यावरणविद एमसी मेहता ने अपनी जांच रिपोर्ट में इस पर मुहर लगा दी। रिपोर्ट में साफ है कि बाबरपुर में बिल्डर ने बड़े पैमाने पर जमीन हथियाई है। साथ ही ताज के आसपास होने वाले कांसर्ट को भी खतरा बताते हुए रोक की बात कही है। मेहता ने सुझाव दिया है कि ताज के आसपास पेड़ों की कटाई पर नजर रखने को सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। वैसे उनकी रिपोर्ट आगरा में तैनात रह चुके डीएफओ एनके जानू समेत अन्य अफसरों के लिए परेशानी बढ़ाने जा रही है।

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ताज के आसपास और बाबरपुर के जंगल में पेड़ कटने के मामले की सुनवाई गुरुवार को एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस स्वतंत्र कुमार की पीठ ने की। पर्यावरणविद एमसी मेहता ने पीठ के सामने अपनी 16 पेज की जांच रिपोर्ट पेश की। इसमें कहा है कि ताज वन ब्लॉक में साढ़े तीन हजार और बाबरपुर में 7.5 सात हजार पेड़ काटे गए, जिससे टीटीजेड में हरियाली को बुरी तरह क्षति पहुंची है। मेहता की रिपोर्ट ने आगरा जोन के मुख्य वन संरक्षक एके जैन की उस रिपोर्ट पर मुहर लगा दी, जो उन्होंने पिछली जून में पूर्व प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक को भेजी थी। मुख्य वन संरक्षक ने भी बाबरपुर में 25 एकड़ जमीन बिल्डर की ओर से कब्जाने और 12 हजार पेड़ काटे जाने की रिपोर्ट शासन को भेजी थी, जिसके बाद शासन की कमेटी से जांच कराई। इसमें जैन की रिपोर्ट को गलत करार दे दिया गया। बाद में एनजीटी ने मामले की जांच एमसी मेहता को दे दी थी।

एनजीटी ने मामले की सुनवाई के लिए अब अगली तिथि चार जुलाई तय कर दी है। इस दौरान रिपोर्ट का अध्ययन किया जाएगा। वहीं, राज्य सरकार व अन्य पक्षकारों को जवाब दाखिल करना होगा।


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