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10th Jagran Film Festival: पुलिस और सियासत की फांस में फंसा 'इकराम'

लखनऊ में आयोजित दसवें जागरण फिल्‍म फेस्टिवल में दिखाई जा रही हैं फिल्‍में।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 28 Jul 2019 07:26 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jul 2019 07:26 PM (IST)
10th Jagran Film Festival: पुलिस और सियासत की फांस में फंसा 'इकराम'
10th Jagran Film Festival: पुलिस और सियासत की फांस में फंसा 'इकराम'

लखनऊ [महेन्द्र पाण्डेय]। सच्ची घटना पर आधारित 'इकराम देख दर्शक गम और गुस्से भर गए। तमाम लोगों को तो इस बात का अंदाजा भी न था कि एक निर्दोष को इतनी कड़ी सजा भी हो सकती है। फिल्म ने यह संदेश दिया कि सियासत जिसे चाहे फंसा सकती है। इकराम हो या राम। बस गरीब होना चाहिए। 

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जागरण फिल्म फेस्टिवल में दूसरे दिन प्रदर्शित मूवी इकराम को देखने के लिए दर्शक देर रात तक डटे रहे। जैसे फिल्म की कास्टिंग शुरू हुई, दर्शकों के माथे पर गंभीर भाव तैर गए।

दिल्ली में हुए बम ब्लास्ट पर केंद्रित इकराम की कहानी एक ऐसे लड़के की है, जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ता है। एक दिन दिल्ली के कनॉट प्लेस में एक रिक्शा में बम ब्लास्ट हुआ और रात में अपनी दोस्त के साथ बर्थडे मनाने के लिए निकला इकराम आतंक निरोधी दस्ता के हत्थे चढ़ जाता है। मारपीट कर उससे सादे कागज पर दस्तखत करा लिया गया और चार्जशीट दाखिल कर उसे जेल भेज दिया गया। फिल्म में उसके गिरफ्तार होने से रिहाई तक का दर्द दिखाया गया है। यही नहीं, एक निर्दोष को समाज में स्वीकार करने के संघर्ष को भी संजीदगी से प्रस्तुत किया गया है। द एंड होने के बाद बाहर निकलने के बाद भी दर्शकों में सरकारी सिस्टम के प्रति नाराजगी का भाव दिखता है। 

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