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खदानों के बन्द होने से 'बुझा' 40 हजार मजदूरों का 'चूल्हा'

ललितपुर ब्यूरो : खदानों पर प्रतिबन्ध लगने से प्रभावित हुए खनन कर्ताओं, व्यापारी, परिवहन कर्ताओं ए

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 12:30 AM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 12:30 AM (IST)
खदानों के बन्द होने से 'बुझा' 40 हजार मजदूरों का 'चूल्हा'
खदानों के बन्द होने से 'बुझा' 40 हजार मजदूरों का 'चूल्हा'

ललितपुर ब्यूरो :

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खदानों पर प्रतिबन्ध लगने से प्रभावित हुए खनन कर्ताओं, व्यापारी, परिवहन कर्ताओं एवं मजदूरों ने सोमवार दोपहर कलेक्टरेट पहुँचकर जमकर प्रदर्शन किया। यहाँ एकत्रित सैकड़ों लोगों ने एक घण्टे तक नारेबाजी करते हुए प्रतिबन्धित खदानों को फिर से चालू कराए जाने की माँग करते हुए श्रम राच्यमंत्री मनोहर लाल पंथ व उप जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। कहा कि खदानों पर प्रतिबन्ध से जहाँ हजारों की संख्या में परिवारों के समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया है, तो वहीं कइयों का रोजगार छिन गया है। क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ा गयी है।

लोगों ने बताया कि यहाँ प्राचीन समय से चले आ रहे परम्परागत कार्य से विशेषत: जाखलौन, धौर्रा, पाली एवं बालावेहट के करीब 50 गाँवों के सैकड़ों खनन पट्टेदार तथा हजारों मजदूर, व्यापारी व परिवहन कर्ता रोजगार प्राप्त कर रहे थे। जीविकोपार्जन का यहाँ एक मात्र साधन था, लेकिन खनन कार्य बन्द होने से गम्भीर स्थिति उत्पन्न हो गई है। उन्होंने प्रभागीय वनाधिकारी कैमूर वन्य जीव प्रभाग मिर्जापुर के पत्र को भ्रामक बताते हुए इसे गलत जानकारी एवं तथ्यों पर आधारित बताया। ज्ञापन पर नीरज शर्मा, नवनीत शर्मा, देवीप्रसाद वर्मा, भगवानदास, हुसैन शाह, सन्जीव लिटौरिया, देवसिंह, विनोद मिश्रा, विजय पटैरिया, दीपक मिश्रा, बृजभान, रतन सिंह, दशरथ, कल्यान, अमित शर्मा, प्रेमपाल सिंह, लक्ष्मीकान्त, कृष्णदास, फूलचन्द्र, राकेश कुमार, इद्दू खाँ, गोविन्द सिंह, हुकुम सिंह, काशीराम पंथ, विजय सिंह, बब्बूराजा, लक्ष्मण सिंह, सुनील, राकेश, आलोक, सुजान, सुरेश, गनपत, जगदीश, नन्दकिशोर, खलक, अखिलेश कुमार, कुंजबिहारी, प्रदीप, सुदामा, भजन, संजीव कुमार, दिनेश कुमार, पप्पू शर्मा, शीलचन्द्र, चार्ली यादव, रामकिशन, लालाराम, मुकेश, अनूप यादव, रामचरन, राजाराम, हलक सिंह, हरीसिंह, रामप्रसाद, सुदामा मिश्रा, रघुवीर सिंह, लोकेन्द्र सिंह, रतन सिंह के हस्ताक्षर है।

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आदेशों में उल्लेखित बिन्दुओं पर यह दिया स्पष्टीकरण

- इको सेन्सेटिव जोन 10 किमी तक है, इस क्षेत्र में खनन रेगुलेट किया जाना है, न कि प्रतिबन्धित।

- महावीर स्वामी जन्तु बिहार देवगढ़ कोई इको सेन्सेटिव जोन अस्तित्व में नहीं है।

- जिला स्तरीय समिति एवं राच्य सरकार द्वारा इको सेन्सेटिव जोन का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के समक्ष विचाराधीन है।

- किसी काल्पनिक 10 किमी.इको सेन्सेटिव जोन मान लेना और उसके आधार पर यह प्रतिबन्ध उचित नहीं है।

- प्रभागीय वनाधिकारी कैमूर वन जीव प्रभाग मिर्जापुर द्वारा कोई भी शासनादेश इस सम्बन्ध में प्रेषित नहीं किया गया।

- बिना किसी अधिसूचना के काल्पनिक इको सेन्सेटिव जोन मान 10 किमी. की परिधि में खनन बन्द नहीं किया जा सकता।

- वनाधिकारी द्वारा महावीर स्वामी जन्तु बिहार के गठन की अधिसूचना, प्रमाणित मानचित्र कहीं भी उपलब्ध नहीं है।

- बार-बार निर्देशेा के बाद भी महावीर स्वामी वन जन्तु विहार का टोपो ग्राफिक मेप प्रेषित नहीं किया जा रहा है।

- प्रदेश सरकार को 100 मीटर इको सेन्सेटिव जोन का प्रस्ताव भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को प्रेषित है।

- प्रभागीय वनाधिकारी कैमूर इस तथ्य को छिपाकर राच्य सरकार के विरुद्ध काल्पनिक 10 किमी इको सेन्सेटिव जोन घोषित कर पत्राचार करते रहते है। राच्य सरकार के निर्णय के विरुद्ध अन्य किसी भी एजेन्सी द्वज्ञक्रा यह तय कर लेना अनुचित है।

- प्रभागीय वनाधिकारी कैमूर द्वारा वर्ष 2006 व 2011 की गाइडलाइन का उल्लेख किया गया है, इसके पश्चात न्यायालय, राच्य सरकार व केन्द्र सरकार द्वारा लिये गये किसी भी निर्णय व शासनादेश का जिक्र नहीं किया गया है।

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प्रभागीय वनाधिकारी का प्रतिबन्ध पर तर्क

देवगढ़ स्थित महावीर वन्य जीव अभ्यारण्य की खूबसूरती और यहाँ के वन्य प्राणियों का जीवन खतरे में है। देवगढ़ से समीपस्थ इलाकों के सीने को चीरकर पत्थरों का अवैध खनन हो रहा है। मशीनों की चिंघाड़ती आवाज निकलते धूल से जंगल प्रदूषित हो रहा है। इसकी सुन्दरता बिगड़ रही है। वन्य प्राणियों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है। इसकी जानकारी सभी को है, लेकिन कार्रवाई से यह बचे हुए थे। प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी कैमूर ने प्रतिबन्ध पर यह तर्क देते हुए ललितपुर जिलाधिकारी को पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई हेतु अनुरोध किया। जिसके बाद उक्त खदानों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।

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इको सेन्सेटिव जोन के लिए जारी गाइडलाइन

- प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग नहीं लगेंगे।

- लकड़ी पर आधारित किसी भी नए उद्योग की स्थापना नहीं होगी।

- फल-फूल, कृषि से सम्बन्धित कार्य की अनुमति।

- स्थानीय निवासी को घरेलू आवश्यकता के सिवास किसी प्रकार के खनन की अनुमति नहीं है।

- क्रेशर चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

- वन्य अभ्यारण्य की सीमा से 10 किमी.के भीतर किसी भी प्रकार का खनन नहीं होने दिया जाएगा।

- पर्यटन के लिए इको टूरिच्य को मिलेगा बढ़ावा।

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17 गाँवों के हजारों मजदूरों के पलायन का क्रम शुरू

ललितपुर : आर्थिक संसाधन उपलब्ध न होने के चलते जनपद ललितपुर पलायन की स्थिति काफी पहले से ही बनी हुयी है। गत वर्ष तक यहाँ सूखे की स्थिति के चलते जनपद का किसान रोजगार की तलाश में महानगरों की ओर रुख कर रहे है। हालाँकि इस वर्ष बारिश अच्छी हो जाने के चलते यह क्रम थम गया था। लेकिन 17 गाँव देवगढ़, कुचदों, गढ़ौली, रमपुरा, बन्दरगुढ़ा, सैपुरा, अमऊखेड़ा, धौजरी, कपासी, सगौरिया, बम्हौरीपठार, चाँदपुर, जहाजपुर, धौर्रा, हरदारी, बंट व मादौन में खदानें बन्द होने से मजदूरों का रोजगार छिन गया है। परिवार के भरण पोषण के लिए अब वह महानगरों की ओर पलायन करने लगे है। प्रतिदिन यहाँ से करीब 500-500 मजदूर रोजगार की आस में महानगरों की ओर रुख कर रहे है। इस बात की गवाही रेलवे स्टेशन पोटरी से बंधे मजदूरों की भीड़ से साफ दिखाई दे रही है।

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प्रभावित लोगों की कहानी..उन्हीं की जुबानी

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ललितपुर : नरेन्द्र राजा।

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खदान बन्द होने से बिगड़े हालात

खदान पर सैकड़ों मजदूर कार्य करते थे। इसके अलावा परिवहन कर्जा व व्यापारी भी जुड़े हुए थे। खदान पर प्रतिबन्ध से संकट गहरा गया है, हालात बिगड़ गए है। मजदूरों के समक्ष आर्थिक संकट है, उनके घरों में चाक-चूल्हा भी नहीं हो रही है।

- नरेन्द्र राजा, खदान मालिक, जाखलौन।

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ललितपुर : बबलू।

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18 साल से कर रहे थे कार्य, अचानक हुआ ठप

18 साल से खदान पर कार्य करके अपना भरण पोषण कर रहे थे। जैसे-तैसे घर का गुजारा चल रहा था। अब खदान बन्द होने से वह भी छिन गया है। मुख्यालय पर आकर मजदूरी पर अब आश्रित हो गए है।

- बबलू, मजदूर मादौन।

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ललितपुर : हनुमत।

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जिन्दगी गुजर गई खदान में, अब हुए बेरोजगार

40 साल से लगातार खदान पर कार्य कर जिन्दगी गुजार दी। अब अचानक सरकार द्वारा खदान पर पाबन्दी लगा दी गयी है। वह व उनका परिवार भुखमरी पर आ गया है। यहाँ कारीगर के रूप में कार्य करते रहे है।

- हनुमत, कारीगर रमपुरा।

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ललितपुर : तुलसीराम।

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- अब दूसरा रोजगार ढूढ़ना होगा

खदानों के प्रतिबन्ध लगने से कई लोगों का रोजगार छिन गया है। काम की तलाश में वह यहाँ-वहाँ भटक रहे है। रोजगार बन्द होने से वह व उनके साथी परेशान है। अब दूसरा रोजगार ही ढूढ़ना होगा।

- हनुमत सिंह, रमपुरा।

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इनका कहना -

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ललितपुर : मानवेन्द्र सिंह।

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कार्रवाई नियमत: होगी

- देवगढ़ स्थित महावीर स्वामी वन्य जीवन अभ्यारण्य के आसपास क्षेत्र को इको सेन्सेटिव जोन घोषित किया गया है। जिसके चलते यहाँ पर किसी तरह के खनन पर प्रतिबन्ध लगाया गया है। ऐसे में यहाँ संचालित करीब 31 खनन पट्टों पर प्रतिबन्ध किया गया है। इसका विरोध हो रहा है, लेकिन जो भी कार्रवाई होगी वह नियमत: होगी।

- मानवेन्द्र सिंह

जिलाधिकारी ललितपुर।


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