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संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति का प्रतिबिम्ब

ललितपुर : संस्कृत भारती एवं संस्कृत संस्कृति संस्थानम के तत्वावधान में नेहरू महाविद्यालय के संस्कृत

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Aug 2017 12:14 AM (IST)Updated: Wed, 09 Aug 2017 12:14 AM (IST)
संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति का प्रतिबिम्ब
संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति का प्रतिबिम्ब

ललितपुर : संस्कृत भारती एवं संस्कृत संस्कृति संस्थानम के तत्वावधान में नेहरू महाविद्यालय के संस्कृत भवन सभागार में संस्कृत दिवस मनाया गया। वक्ताओं ने संस्कृत भाषा व साहित्य के प्रचार करते रहने का संकल्प लेते हुये कहा कि संस्कृत में ज्ञान का भण्डार छिपा हुआ है। संस्कृत भाषा के बिना जीवन अधूरा है।

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इस दौरान संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. ओमप्रकाश शास्त्री ने कहा कि संसार की अनेक प्राचीन सभ्यतायें धूल धूसरित हो चुकी हैं, किन्तु संस्कृत भाषा की वजह से भारतीय संस्कृति आज भी अपने स्थान पर अविचल खड़ी है। इसका श्रेय संस्कृत भाषा और उसके साहित्य को जाता है। भारत के पास विश्व की संजीवनी देने वाली संस्कृत भाषा है। उन्होंने विद्यार्थियों से संस्कृत भाषा को सीखकर इसमें छिपे जीवन और प्रकृति के रहस्यो को जानने की अपील की। प्राचार्य डॉ. अवधेश अग्रवाल ने कहा कि संस्कृत भाषा में विज्ञान, शिल्प, प्राविधिक विषयों का भी समावेश है। इसके अंदर जन-जन की भाषा बनाकर इसके अंदर छिपे ज्ञान के असीम भंडार को जनकल्याण हेतु प्रसारित किया जा सकता है। संस्कृत भारती प्रात संगठन मंत्री प्रकाश झा ने कहा कि संस्कृत साहित्य हमारे इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति, सभ्यता, धर्म, कर्म आचरण और व्यवहार भारतवासियों को एक सूत्र में बाँधे रहता है। संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति का प्रतिबिम्ब है। इसके संवर्धन पर हमें ध्यान देना चाहिये। आरएसएस के जिला कार्यवाह सजन कुमार शर्मा ने कहा कि संस्कृत संसार की सबसे प्राचीनतम एवं समृद्ध भाषा है। इसमें आध्यात्मिक ज्ञान का कोष छिपा हुआ है।

इस दौरान डॉ. रामकुमार रिछारिया, वैदिक विद्वत परिाद के अध्यक्ष जगदीश पाठक, महामंत्री कमलेश गोस्वामी, बृजनारायण मुखरैया, राजाराम गोस्वामी, सुनील सिरौठिया, संतोष पाठक, रमेश बबेले, कैलाश नारायण तिवारी, सुरेश पाठक, हरी शर्मा, राजेश दुबे, सीताराम गोस्वामी, डॉ. प्रीति सिरौठिया, डॉ. सुमन शर्मा, डॉ. मीना अवस्थी, भरतदास पुरोहित, फहीम बख्श, राजेन्द्र त्रिपाठी, जयशकर द्विवेदी, श्रीराम देवलिया, वीरेन्द्र शास्त्री, अरविन्द शास्त्री मौजूद रहे। संचालन संस्कृत भारती के प्रान्त प्रचारक प्रकाश झाँ व कमलेश गोस्वामी ने आभार व्यक्त किया।


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