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सुजानपुर में घाघरा नदी की कटान शुरू होने से ग्रामीणों में दहशत

धौरहरा तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत सुजानपुर में घाघरा नदी की कटान शुरू होने

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 10:50 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 10:50 PM (IST)
सुजानपुर में घाघरा नदी की कटान शुरू होने से ग्रामीणों में दहशत
सुजानपुर में घाघरा नदी की कटान शुरू होने से ग्रामीणों में दहशत

लखीमपुर : धौरहरा तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत सुजानपुर में घाघरा नदी की कटान शुरू होने से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया है। घाघरा जबरदस्त कटान करते हुए पिछले 48 घंटों में करीब 30 हेक्टेयर लहलहाती फसलों समेत भूमि को निगल गई है। काफी तेजी के साथ शुरू हुए कटान से ग्राम पंचायत सुजानपुर के गांव माथुरपुर, लालापुर, देवी पुरवा और कुर्तहिया आदि गांवों के ग्रामीणों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। ग्रामीणों का मानना है कि कटान यदि इसी तरह जबरदस्त होता रहा तो वह दिन भी अब दूर नहीं होंगे कि उक्त चारों गांवों का वजूद ही खत्म हो जाएगा और करीब एक हजार परिवारों के लोग बेघर हो जाएंगे। पिछले 48 घंटों में घाघरा के कटान पर यदि एक नजर डालें तो यहां माथुर पुर निवासी पूर्व प्रधान अच्छेलाल की चार हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि और उसमें लगे दर्जनभर कीमती सागौन के पेड़ देखते ही देखते नदी में समा गए हैं, जबकि करीब 80 पेड़ कटान के मुहाने पर हैं। इसी तरह कल्लू, मिहींलाल, श्रीराम तथा द्वारिका आदि की दो-दो हेक्टेयर भूमि और काशीराम, कौशल किशोर, छोटेलाल, मूलचंद, श्रवण व नंदलाल की एक-एक हेक्टेयर भूमि व उसमें लगे पेड़ पौधे, लहलहाती फसल नदी में समा चुकी है। ग्रामीणों ने इस ओर शासन प्रशासन का ध्यान आकर्षित करते हुए अविलंब नदी कटान को रोकने के लिए तटबंध निर्माण की गुहार लगाई है। पहले भी कट चुके हैं माथुरपुर और कुर्तहिया गांव

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जिले की उत्तर सीमा पर बह रही खूंखार नदी घाघरा के द्वारा वैसे तो तबाही का मंजर कई दशकों से तराई के ग्रामीण झेलते चले आ रहे हैं लेकिन, इन्हें अभी तक कटान से निजात नहीं मिल सकी है। 10 वर्ष पूर्व घर द्वार और जमीन आदि सबकुछ नदी में गवाकर दूसरी जगह सुरक्षित स्थानों पर बसे गांव माथुर पुर और कुर्तहिया के ग्रामीणों पर एक फिर दुखों का पहाड़ टूटने वाला है। क्योंकि जिस तरह घाघरा ने अपना रुख आबादी की और करते हुए जबरदस्त कटान शुरू कर दिया है उससे नहीं लगता है कि उक्त दोनों गांवों के ग्रामीण एक बार फिर बेघर होने से बच पाएंगे।


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