अधिक उपज के लिए ट्रेंच विधि से करें गन्ना बोआई
कम लागत पर गन्ना की ज्यादा पैदावार ले सकेंगे किसान। जिले में अभी तक किसान गन्ना परंपरागत तकनीक से बोते आ रहे हैं पर अब किसानों के लिए ट्रेंच विधि तैयार की गई है।
लखीमपुर : जिले में अभी तक किसान गन्ना परंपरागत तकनीक से बोते आ रहे हैं पर अब किसानों के लिए ट्रेंच विधि तैयार की गई है। जिससे किसान कम लागत पर गन्ना की ज्यादा पैदावार ले सकेंगे। इसमें गन्ने को ज्यादा पानी भी नहीं लगाना पड़ेगा। क्षेत्र में तमाम किसानों ने इस तकनीक से बोआई भी कर दी है।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सामान्य विधि से जहां गन्ने की उपज 600-800 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है वहीं ट्रेंच विधि से गन्ने की उपज 1200-2400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ली जा सकती है।
बजाज हिदुस्थान शुगर पलियाकलां के क्षेत्र के ग्राम गंगावेहड़ में प्रगतिशील किसान सतपाल सिंह के खेत पर चीनी मिल के वरिष्ठ प्रधान प्रबंधक प्रदीप कुमार सालार ने शरदकालीन गन्ना बोआई का शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि चीनी मिल पलिया क्षेत्र शारदा एवं सुहेली नदी के मध्य स्थित है। इसलिए इस क्षेत्र में अधिक समय तक काफी अधिक जलभराव रहता है। अधिक उपज लेने के लिए शरदकालीन गन्ना बोआई बेहतर विकल्प है। मौके पर मौजूद किसानों को गन्ना बोआई के समय बरती जाने वाली सभी सावधानियों को बारीकी से समझाया। उन्होंने बताया कि शीघ्र पकने वाली गन्ना प्रजाति को.-0238 में रेड रॉट बीमारी लाल सड़न रोग अधिकतर खेतों में दिखाई दे रहा है। इससे बचाव के लिए स्वस्थ गन्ना ही बीज में प्रयोग करें और थायोफिनेट मिथाइल 200 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी में घोल बनाकर उपचारित करें अथवा थायोफिनेट मिथाइल 200 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी के घोल को 50 डिग्री सेंग्रे तापमान पर गर्म करके पांच मिनट तक गन्ना बीज के टुकड़ों को उपचारित करके बोआई करें एवं चार किलोग्राम ट्राइकोडर्मा विरडी प्रति एकड़ की दर से भूमि उपचार अवश्य करें। जिससे कि गन्ने को लाल सड़न रोग से बचाया जा सकता है। साथ ही उन्होंने गन्ना बोआई की ट्रेंच विधि एवं दोहरी पंक्ति विधि को भी अधिक गन्ना उपज लेने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। लाइन से लाइन की दूरी कम से कम चार फिट और गन्ने का जमाव 60 प्रतिशत होना आवश्यक है।