परमिट देकर कटवाए पेड़, लगवाना भूल गए
खीरी जिले में किसानों पर एक तोहमत यह है कि वे वन विभाग से पेड़ काटने के लिए परमिट तो लेते हैं लेकिन नए पौधे लगाते नहीं।
लखीमपुर : खीरी जिले में किसानों पर एक तोहमत यह है कि वे वन विभाग से पेड़ काटने के लिए परमिट तो लेते हैं, लेकिन जब नए पौधे लगाने और वन विभाग से अपनी नेशनल सेविग सर्टिफिकेट (एनओसी) वापस लेने की बात आती है तो वे पीछे हट जाते हैं। एक दशक में करीब एक लाख से अधिक किसानों ने न तो पेड़ लगाया और न ही एनओसी ली।
आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रतिवर्ष साउथ डिवीजन और बफरजोन में करीब एक हजार किसान पेड़ काटने के लिए आवेदन करते हैं। इस हिसाब से अब तक एक लाख से अधिक किसानों को पेड़ काटने के लिए परमिट जारी किए गए। अधिकांश किसानों को भले ही ये न पता हो कि उन्हें एक पेड़ काटने के बदले वर्ष 2019 तक दो पौधे और अब 10 पौधे लगाने की शर्त होती है। जब तक किसान पौधे नहीं लगाते, प्रति पेड़ 1000 रुपये वन विभाग के पास बंधक रहते हैं। किसान अगर चाहें तो नए पौधे लगाकर अपना बंधक वापस ले सकते हैं, लेकिन रिकॉर्ड से पता चलता है कि किसान सिर्फ पेड़ ही काट रहे हैं। नए पौधे उगाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। अब किसानों की दो लाख से अधिक की एनओसी वन विभाग के पास पड़ी है। इस पैसे से सरकार कराती है पौधारोपण
किसानों के पास अपना बंधक छुड़ाने के लिए छह वर्ष तक मौका होता है। इसके बाद किसानों की धनराशि जब्त कर वन जमा में रखी जाती है। जब सरकार पौधारोपण कराती है तो इस धनराशि का इस्तेमाल किया जाता है। दो किसान आए आगे
मैलानी के लालता प्रसाद को 2012 में एनओसी का 7200 रुपया डाकखाने से वापस किया गया। धौरहरा रेंज में 36 पेड़ के हिसाब से 7200 रुपये दिया गया। इस समय साउथ में 40 और बफरजोन में 60 पररमिट का बंधक पड़ा हुआ है। किसान नहीं, यहां ठेकेदारों का बोलबाला दरअसल, ग्रामीण क्षेत्रों में पेड़ कटान के लिए आवेदन करने किसान नहीं बल्कि, उनके कागजात लेकर ठेकेदार ही वन विभाग के दफ्तरों और अधिकारियों के पास पहुंचते हैं। एक ऐसा जाल फैला कि कागजात तैयार करने की प्रक्रिया से किसान अलग हैं और उनकी जगह ठेकेदारों ने घुसपैठ कर ली है। उद्यान विभाग से लेकर वन विभाग तक की रिपोर्ट ठेकेदार तैयार कराते हैं। जैसा सबकुछ पहले से सेट है, इसलिए किसानों को उनके फायदे की जानकारी भी नहीं हो पाती है। जिम्मेदार की सुनिए
बफरजोन के डीडी डॉ. अनिल पटेल कहते हैं कि जब पौधा बढ़कर छह वर्ष का हो जाए तो किसानों को बंधक छुड़ाने के लिए दावा करना चाहिए लेकिन, यहां किसानों में जागरूकता की कमी है। इस वजह से किसानों का बंधक जब्त हो जाता है।