महेशपुर रेंज में खेतों में दिखाई दे रहे बाघ
17 बाघ और चार तेंदुए हैं रिकार्ड के अनुसार। 45 गांव पहले से संवेदनशील घोषित किए जा चुके हैं। ग्रामीण खेत जाने में भयभीत है।
लखीमपुर: बाघों, तेंदुओं की मौजूदगी वाले महेशपुर रेंज का इलाका दिनोंदिन बेहद संवेदनशील होता जा रहा है। यहां खेतों में बाघ दिखाई देने से किसानों में दहशत है। ग्रामीण खेत जाने में भयभीत है। आलम ये है कि बाघ आए दिन बेसहारा मवेशियों एवं नील गायों का शिकार कर रहे हैं, लेकिन वन विभाग की सुस्ती इन मामलों पर पर्दा डाले है।
पिछले साल की गणना के अनुसार महेशपुर रेंज में 17 बाघ और चार तेंदुओं की पुष्टि हो चुकी है। इस साल आठ से 10 बाघों के बढ़ने की चर्चा जोरों पर है। किसानों में डर है कि खेतों में काम करते समय यह बाघ कभी भी हमला कर सकते हैं। पिछले साल के आंकड़ों के अनुसार बाघ के हमलों में पूरे रेंज में सात लोगों की मौत और इससे ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। जबकि दर्जनों पालतू पशुओं को बाघ निवाला बना चुके हैं।
इन गांवों में दहशत में जी रहे ग्रामीण
जंगल क्षेत्र से निकली कठिना नदी के घमहा घाट, अयोध्यापुर, सुंदरपुर, गंगापुर, प्रवस्त नगर, देवीपुर, शहजनिया, मस्तीपुर, काशीपुर, भगतपुर, मुल्लापुर, बुधेली, नरसिंहपुर, हरगोविद, रामदीनपुर, सिघहा, मोतीपुर, अशर्र्फीगंज, बिहारीपुर, तुलमेलगंज, पन्नापुर समेत करीब चार दर्जन गांवों में लोगों को बाघों का डर सता रहा है।
इन उपायों को बताकर पल्ला झाड़ लेता है विभाग
कृषि कार्य के लिए सिर्फ समूह में जाने व हांका लगाने का सूत्र वन विभाग देता है, लेकिन हर वक्त हर काम के लिए समूह में जाना ग्रामीणों के लिए संभव नहीं है। बाघों व तेंदुओं की मौजूदगी के लिहाज से रेंज में 6000 हेक्टेयर में फैले वन क्षेत्र का एरिया बेहद संकुचित है। इसीलिए ये गन्ने की फसल तैयार होते ही बाहर का रुख करते हैं।
जिम्मेदार की सुनिए
एसडीओ रविशंकर शुक्ला कहते हैं कि अब तक रिकॉर्ड किए गए बाघ व तेंदुओं की मौजूदगी गन्ने के खेतों में ही मिली है। फिलहाल अभी ग्रामीणों को सतर्क किया जा रहा है। वन विभाग की सभी टीमों को कांबिग में लगाया गया है। बाघों के मूवमेंट पर पूरी नजर रखी जा रही।