लखीमपुर: दुधवा पार्क के जंगल से भटके बाघ ने आबादी क्षेत्र में कई दिनों से डेरा डाल रखा है। बाघ की चहलकदमी ने तकरीबन बीस गांवों के वाशिदों की नींद उड़ा रखी है। लगातार दो पालतू जानवरों का शिकार करने के बाद सोमवार देर शाम बाघ ने एक बेसहारा सांड पर हमला बोल कर जख्मी कर दिया था। वही मंगलवार शाम जगनपुरवा के दक्षिण दिशा में उसे देखा गया है। खेतों में काम कर रहे लोगो द्वारा बाघ देखे जाने की सूचना पर वन विभाग व कोतवाली पुलिस ने मौके पर पहुंच कर उसके पगचिह होने की पहचान करते हुऐ गांव वालों को होशियार रहने की सलाह दी है।
लुधौरी के गांव गोविदपुर फार्म में बाघ बीते कई दिनों से घूम रहे बाघ ने मंगलवार शाम अपना स्थान बदला है। तकरीबन पंद्रह किमी का सफर तय कर लुधौरी के ही मजरा जगनपुरवा में उसके मौजूद होने की बात प्रकाश में आई है। लगातार आबादी क्षेत्र में बाघ की आमद बनी रहने व उसके द्वारा हर दूसरे दिन शिकार किये जाने की खबर से लोगो में डर बढ़ता ही जा रहा है। लोग गांवों से निकलने में कतराने लगे हैं। इस बावत वन क्षेत्राधिकारी राममिलन ने बताया कि बाघ की मौजूदगी व उसकी प्रतिदिन की हरकत से गांव वाले परेशान है। टीम निरंतर निगरानी में लगी है। समय मिलते ही उसे जंगल की मोड़ने का प्रयास किया जाएगा। हालांकि सभी को सचेत रहने व सामूहिक खेतों की तरफ जाने की जरूरत है। खेतों में काम करते समय शोर शराबा करते रहे। आठ दिनों में बाघ ने यह किए हमले बीते सोमवार को बिहारीपुरवा के एक किसान की बछिया को निवाला बनाया था। उसके तीसरे दिन रानीगंज में भेड़ चराकर वापस लौट रहे अवधराम पाल की भेड़ों के झुंड पर हमला बोलकर एक भेड़ का शिकार किया था। सोमवार देर शाम अंबर पुरवा के पास एक सांड़ पर हमला बोल जख्मी कर दिया था। जागरूकता से ही रुकेगा मानव-वन्यजीव टकराव बाघ सुरक्षा माह के तहत महेशपुर रेंज की शहजनिया बीट के प्राथमिक स्कूल में विचार गोष्ठी हुई। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रधान मुरलीधर, संचालन जगदीश वर्मा ने किया। मुख्य वक्ता रेंजर मोहम्मद मोवीन आरिफ ने कहा कि हम सबको वन्यजीवों के स्वभाव एवं उनकी उपयोगिता को समझते हुए अपना बचाव कर उनकी सुरक्षा का संकल्प लेना होगा। जागरूकता से ही मानव और वन्यजीव संघर्ष को रोका जा सकता है। मानव वन्यजीव संघर्ष रुकने पर ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाघों के मामले में गर्व की बात हो सकती है। प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए पृथ्वी पर मौजूद सभी प्रकार के छोटे-बड़े शाकाहारी एवं मांसाहारी पशुओं का संरक्षण करना जरूरी है। वनों पर मानव का दखल कम हो व जंगल के किनारे गन्ना न बोया जाए तो वन्यजीव जंगल से पलायन नहीं करेगें। जैव विविधता यहां की खूबसूरत धरोहर है। बाघ आदि वन्यजीव स्वभाव से हिसक नहीं होते, घिरे होने पर ही वह हमलावर होते हैं। इसलिए किसान खेतों में हांका लगाएं, समूह में कृषि कार्य करें, छोटे बच्चों को स्कूल, बाजार, खेतों में वयस्कों की निगरानी में ही भेजें, घरों के आसपास पास झाड़ी आदि न रखें। मौजूद लोग को जागरूकता पर आधारित पंफ्लेट वितरित किए गए। गांवों में फ्लेक्सी बोर्ड लगाए गए। इस मौके पर डिप्टी रेंजर रामनरेश वर्मा, वनकर्मी श्याम किशोर शुक्ला, रोहित कुमार, राजेश कुमार, अजीत कुमार सहित ग्रामीण मौजूद रहे।
में कोरोना वायरस से जुडी सभी खबरे
blink LIVE
PNB MetLife Webinar
VIDEO