तराई में बाघों की सुरक्षा पर फिर खड़े हुए सवाल
लखीमपुर उत्तराखंड में दो दिन पहले बाघ की खाल और हड्डियों के साथ दो शिकारियों के पक
लखीमपुर
उत्तराखंड में दो दिन पहले बाघ की खाल और हड्डियों के साथ दो शिकारियों के पकड़े जाने के बाद तराई इलाके में बाघों की सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। कारण, ये दोनों शिकारी खीरी जिले के ही रहने वाले हैं और इन्होंने करीब डेढ़ साल पहले साउथ खीरी फॉरेस्ट डिवीजन के मैलानी के जंगल से उस बाघ का शिकार करने की बात कबूली है, जिसकी खाल व हड्डियां इनके पास से मिली हैं। ये मामला सामने आने के बाद जहां दुधवा प्रशासन व वन विभाग सकते में हैं, वहीं टाइगर रिजर्व क्षेत्र के जंगलों में हाई अलर्ट जारी करते हुए सतर्कता बढ़ा दी गई है।
उत्तराखंड के चंपावत जिले में भारत-नेपाल सीमा के निकट जंगल में एसटीएफ, पुलिस व वन विभाग की संयुक्त टीम ने लखीमपुर खीरी के गोला निवासी राजू व मैलानी निवासी महावीर को गिरफ्तार किया था। इनके कब्जे से बाघ की एक खाल और साढ़े आठ किलो हड्डियां बरामद हुई थीं। पूछताछ में इन दोनों ने डेढ़ साल पहले लखीमपुर के साउथ खीरी फॉरेस्ट डिवीजन के मैलानी जंगल से बाघ का शिकार करने की बात बताई है। दुधवा टाइगर रिजर्व परिक्षेत्र के अति सुरक्षित जंगल से इस तरह बाघ का शिकार हो गया और वन विभाग या दुधवा प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी, ये बात यहां बाघों की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े कर रही है। ये कोई पहला मामला नहीं हैं। इससे पहले भी कई बार दुधवा टाइगर रिजर्व परिक्षेत्र और साउथ खीरी के जंगलों में शिकारियों का मूवमेंट सामने आ चुका है। तीन साल पहले जनवरी व फरवरी 2015 में दुधवा से सटे नेपाल के कैलाली जिले में वन्यजीवों की तस्करी के तीन मामले पकड़े गए थे। इसमें एक तस्कर, जिसके पास गुलदार की खाल और हड्डियां बरामद हुई थीं, उसने पूछताछ में बताया था कि वह ये माल दुधवा के पास स्थित एक भारतीय गांव से लाया था। अब उत्तराखंड में बाघ की खाल और हड्डियां बरामदगी के बाद दुधवा प्रशासन सतर्क हो गया है। दुधवा टाइगर रिजर्व के डीडी महावीर कौजलगि बताते हैं कि मामले को लेकर पूरे परिक्षेत्र में हाई अलर्ट कर दिया गया है। रेग्युलर मॉनीट¨रग को और भी कड़ा किया गया है। इसके साथ ही जंगल क्षेत्र में संदिग्ध व्यक्तियों व स्थानों पर सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
कैमरा ट्रैप से किया जाएगा मिलान
डीएफओ साउथ खीरी डॉ. अनिल कुमार पटेल ने बताया कि उत्तराखंड के मामले को लेकर जंगल क्षेत्र में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। जो खाल शिकारियों के पास से बरामद हुई है, उसका मिलान यहां कैमरा ट्रैप में मौजूद खीरी के बाघों की तस्वीरों से किया जाएगा। इसके बाद ही ये स्पष्ट होगा कि मारा गया बाघ खीरी का था या कहीं और का। इसके अलावा पकड़े गए तस्करों ने कुछ अन्य संदिग्ध तस्करों के नाम बताए हैं, जिनकी तलाश में गोला व मैलानी क्षेत्र में छापामारी की जा रही है।
एक दशक में चली गई नौ बाघों की जान
-वर्ष 2007-08 में मैलानी क्षेत्र में खुटार रोड पर एक वयस्क नर बाघ का शव मिला था।
-वर्ष 2009 में मैलानी क्षेत्र में ही बांकेगंज नहर में बाघ का शव मिला था।
-वर्ष 2010 में उत्तर खीरी वन प्रभाग में परसपुर चौकी के पास एक बाघ का शव मिला था, जिसकी मौत करंट लगने से हुई थी।
-वर्ष 2010 में ही परसपुर क्षेत्र के सुतिया नाले में बाघ के शावक का शव मिला था।
-वर्ष 2010 में ही किशनपुर रेंज के संतगढ़ फार्म क्षेत्र में एक बाघ का भी शव मिला था, जिसके शरीर पर करंट लगने से हुए घाव के निशान मिले थे।
-वर्ष 2011 में मैलानी रेंज में ही मैलानी रोड पर डीसीएम की टक्कर से एक मादा बाघ की मौत हो गई थी।
-वर्ष 2012 में किशनपुर वन क्षेत्र में एक बाघ की मौत हुई थी।
-वर्ष 2016 में मैलानी क्षेत्र में बाघ का शव मिला, दुर्घटना में मौत होने की बात कही गई थी।
-वर्ष 2016 में दुधवा के चंदनचौकी क्षेत्र में एक बाघिन की मौत।