सूचना तंत्र कमजोर..तो यूं ही दम तोड़ते रहेंगे बाघ-हाथी
तराई में हिरन चीतल जंगली सुअर जैसे मांसाहारी वन्यजीवों का शिकार बाघ-हाथी पर भारी पड़ रहा है।
लखीमपुर: तराई में हिरन, चीतल, जंगली सुअर जैसे मांसाहारी वन्यजीवों का शिकार बाघ-हाथी पर भारी पड़ रहा है। जंगल से निकल कर खेतों में आने वाले इन वन्यजीवों के शिकार के लिए खेतों में कभी खाबड़ तो कभी बिजली का तार बिछाया जा रहा है। जिसमें बाघ-हाथी जैसे वन्यजीव फंस कर अपनी जान गवां रहे हैं। वन्यजीवों के शिकार के लिहाज से मोहम्मदी, मैलानी, भीरा, उत्तर निघासन, पलिया जैसे रेंज बेहद संवेदनशील हैं।
करीब डेढ़ साल पहले मोहम्मदी रेंज में हिरन के शिकार के लिए जंगल के किनारे खाबड़ लगा दिया था, जिसमें फंसकर बाघ की दर्दनाक मौत हो गई थी। एक साल पहले मैलानी रेंज के जटपुरा बीट में शिकारियों की रस्सी में फंसकर बाघ ने दम तोड़ दिया। किशनपुर सेंचुरी में अभी पांच माह पहले ही शिकारियों की रस्सी में बाघ फंस गया था, हालांकि, ऐन मौके पर टीमों के पहुंचने से दो शिकारी पकड़े गए थे। अभी भी बाघ के गले में रस्सी का फंदा पड़ा हुआ है। अभी एक पखवाड़े पहले ही दुधवा पार्क में बाघ का शिकार किए जाने का मामला सामने आया। जिस तरह मोहम्मदी में बाघ को करंट देकर मारा गया, उसी तर्ज पर 2019 में उत्तर निघासन में हाथी को करंट देकर मार डाला गया था। 2018 में बेलराया रेंज के रघुनगर में करंट लगने से हाथी की मौत हो गई थी। हैरान करने वाली बात ये है कि शिकारियों के बढ़ते हौंसले से वन विभाग पूरी तरह पस्त नजर आ रहा है। वन्यजीव जंगल से निकल कर खेतों में आ रहे हैं, लेकिन वन विभाग का सूचना तंत्र अभी भी जंगल तक ही सिमटा हुआ है। ऐसे में वन विभाग असहाय नजर आ रहा है। जिम्मेदार की सुनिए
डीडी बफरजोन डॉ. अनिल पटेल का कहना है कि खाने के लिए छोटे वन्यजीवों के शिकार की प्रवृति बढ़ रही है। बाघ-हाथी उसमें फंसकर जान गवां रहे हैं। लोगों का जागरूक होना जरूरी है। वे समय रहते अगर जानकारी देते हैं तो तमाम वन्यजीवों की जान बचाई जा सकती है।