बाघों से संकट में खेती किसानी, महकमे का सहजीवन पर जोर
गन्ने के खेतों में बाघों की नियमित मौजूदगी से बढ़ी दिक्कत। जिससे धान की कटाई चारा कटाई गन्ना छिलाई लाही मसूर सब्जी आदि की बुवाई-सिचाई अब कार्य कठिन होते जा रहे हैं।
लखीमपुर : कई स्थानों पर बाघों की नियमित मौजूदगी होने से ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। जिससे धान की कटाई, चारा कटाई, गन्ना छिलाई, लाही, मसूर, सब्जी आदि की बुवाई-सिचाई अब कार्य कठिन होते जा रहे हैं। बाघ के डर से खेतों में काम करने के लिए न तो मजदूर मिल पा रहे और न ही किसान खुद जा रहे हैं। कुछ मजदूर जाने की हिम्मत जुटा रहे लेकिन, उनकी महंगी दिहाड़ी के कारण किसान भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। यह समस्या क्षेत्र के सैंकड़ों किसानों के सामने है, जबकि वन विभाग के पास इसका समाधान नहीं है।
अधिकारी इससे निजात दिलाने के बजाए गांवों में गोष्ठी कर किसानों को मानव-बाघ सहजीवन अपनाने पर जोर दे रहे हैं। महेशपुर रेंज में कुल 17 बाघ और चार तेंदुए चिन्हित किए गए हैं। देवीपुर बीट की पंचायत इब्राहिम ग्रंट के सुंदरपुर इलाके में कठिना नदी के घमहाघाट तक दो से तीन बाघों की मौजूदगी बताई जा रही है। इस पर क्षेत्र पंचायत सदस्य रामकुमार वर्मा ने किसानों की चिता से अधिकारियों को अवगत कराया है। वन बुधेली पंचायत के ग्राम अयोध्यापुर के पश्चिम व दक्षिण दो बाघों की चहलकदमी बनी हुई है। बाघ मित्र अनिल चौहान किसानों को सतर्क कर खेतों की ओर समूह में जाने की सलाह दे रहे हैं। जबकि हर छोटे-बड़े कार्य के लिए किसानों का समूह में जाना संभव नहीं है। महेशपुर बीट के विहारीपुर व भुइयां मंदिर इलाके में भी दो से तीन बाघों की मौजूदगी बनी हुई है। वहां से एक बाघ का वीडियो भी वायरल हो चुका है। किसान इंद्रजीत सिंह आदि ने इसे देखा भी है। इसी बीट के जमुनहा घाट के निकट बाघ की मौजूदगी की पुष्टि वहां के किसान कर चुके हैं। इन जगहों पर बाघों की चहलकदमी व मवेशियों को निवाला बनाने की घटनाएं अब आम हो चुकी हैं। एसडीओ रविशंकर शुक्ला कहते हैं कि बाघों की मौजूदगी के कारण ही लोगों को गोष्ठियों के माध्यम से ही जागरूक किया जा रहा है। ताकि घटनाएं न हों।