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कागजों में गुम हो गए 33 मदरसे, दो साल से संचालन ठप

यू-डायस पर अपलोडिग न होने से हुआ राजफाश। बीएसए ने अल्पसंख्यक विभाग से मांगी रिपोर्ट। संचालित न होने वाले मदरसों की मान्यता रद्द करने का आदेश जारी किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 11:04 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 11:04 PM (IST)
कागजों में गुम हो गए 33 मदरसे, दो साल से संचालन ठप
कागजों में गुम हो गए 33 मदरसे, दो साल से संचालन ठप

लखीमपुर : दो साल पहले तक संचालित हो रहे जिलेभर में 33 मदरसे इनदिनों कागजों से गुम हो गए हैं। वर्ष 2005 से 2018 तक ये मदरसे अलग-अलग नामों से अपलोड हो रहे थे और इन्हें मान्यता भी थी, लेकिन इस समय यू-डायस पर ये मदरसे गायब हो चुके हैं और संचालन ठप पड़ा है। बेसिक शिक्षा विभाग के एबीआरसी की इस रिपोर्ट से अल्पसंख्यक विभाग में खलबली मच गई है। इस राजफाश के बाद अधिकारियों ने मदरसों की जांच शुरू कर दी है।

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मदरसा बोर्ड पोर्टल के अनुसार मौजूदा समय में जिलेभर में कुल 256 मदरसा संचालित हो रहे हैं। इनमें श्रीनगर और धौरहरा के मदरसों को वित्तीय सहायता प्राप्त है। जबकि 110 मदरसों का आधुनिकीकरण हो रहा है। शेष मदरसा मान्यता प्राप्त हैं। बीएसए बुद्धप्रिय सिंह ने इस संबंध में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से वर्ष 2019-20 की रिपोर्ट मांगी है। एबीआरसी की जांच के हवाले से बताया कि 33 मदरसों में 16 मदरसे अभी प्रक्रिया में हैं, पूरे नहीं हुए हैं। जबकि 10 मदरसा शुरू नहीं हो पाए हैं। फिर भी दो साल पहले तक इन मदरसों को यू-डायस पर अपलोड किया जाता रहा है। बीएसए की चिठ्ठी से विभागीय अधिकारियों में खलबली मची हुई है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी देवेंद्र कुमार कहते हैं कि यू-डायस पर डाटा फीड न करने वाले मदरसों का मौके पर सत्यापन शुरू किया गया है। संचालित न होने वाले मदरसों की मान्यता रद्द करने का आदेश जारी किया जाएगा। 11 इंटर कॉलेज, 82 प्राइवेट स्कूल भी बंद

एबीआरसी रिपोर्ट के मुताबिक, दो वर्ष पहले तक यू-डायस पर अपलोड 11 इंटर कॉलेज बंद पड़े हैं। 17 कॉलेज अभी पूर्ण नहीं हैं और पांच शुरू नहीं हुए हैं। इसी तरह 82 प्राइवेट स्कूल बंद पड़े हैं, 52 अधूरे हैं और 24 स्कूल शुरू नहीं हो पाए हैं। बीएसए की सुनिए

बीएसए बुद्धप्रिय सिंह कहते हैं कि मदरसों व विद्यालयों की यू-डायस पर अपलोडिग 15 जून तक करानी थी लेकिन, रिपोर्ट नहीं आई। सत्यापन के लिए जिला अल्पसंख्यक अधिकारी और डीआइओएस को पत्र भेजा गया है।


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